देहरादून जिले में रायपुर के भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ के मामले के बहाने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में मंत्री और विधायक बने नेताओं ने ठीक विधानसभा चुनाव के वक्त एकजुटता का सूत्र तलाश लिया है। काऊ के समर्थन में खड़े होने वाले नेताओं में अब एक नाम कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज का भी जुड़ गया है। सियासी जानकारों का मानना है कि जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं पर पार्टी कार्यकर्ताओं की घेराबंदी बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए अब ये मंत्री और विधायक कड़ियों की तरह जुड़ रहे हैं ताकि पार्टी में अपने प्रभाव को बनाए रख सकें। पिछले करीब साढ़े चार साल में महाराज पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के साथ भाजपा में आए विधायकों से फासला बनाकर चलते रहे हैं। लेकिन बुधवार को विधायक काऊ के समर्थन में खुलकर बयान दिया।
काऊ प्रकरण पर महाराज ने बेशक यह कहा कि ये कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं काऊ के साथ हूं और उनकी बात पार्टी फोरम पर रखूंगा।
उन्होंने कहा कि हम सब में समन्वय की भावना है। बातचीत से हर समस्या का हल है। पिछले दिनों ही कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने भी काऊ के समर्थन में खुलकर बयान दागे थे।
भाजपा में अब गुटबाजी सतह पर दिखने लगी है। रायपुर में भाजपा विधायक काऊ के साथ पार्टी के नेता की तकरार के बाद दोनों ओर से केंद्रीय नेतृत्व को एक-दूसरे के खिलाफ शिकायतें की गईं। दिल्ली से लौटकर काऊ ने यह कहकर हलचल पैदा कर दी कि उनकी समस्या का निदान नहीं हुआ तो वह पार्टी से बाहर बने संगठन में ये बात रखेंगे।
काऊ का इशारा दरअसल, उनके साथ भाजपा में आए सभी विधायकों व पूर्व विधायकों की ओर है जो अब पार्टी नेतृत्व को भी यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अच्छे व बुरे वक्त में वे एक-दूसरे के साथ मजबूती से खड़े हैं। उनकी यह एकजुटता पार्टी नेताओं को असहज कर रही है।