AIIMS Rishikesh: उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं लगातार सवालों के घेरे में हैं। कहने को सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ऑल इज वेल का डंका बजाते गुजरात से लेकर हरियाणा तक टिप्स बंटोरने को घूम रहे हैं और यहां लगातार बैठकों का दौर भी चला रहे। लेकिन कहीं प्रभारी डीएम को दो-दो जिलों में इलाज न मिलने पर रेफर होकर हल्द्वानी दौड़ना पड़ रहा है। तो अब एक ऐसा दुखद मामला सामने आया है जिसे देखकर किसी को भी रोना आ जाएगा। मंगलवार को उपचार न मिलने पर उत्तरकाशी की महिला और उसके गर्भस्थ शिशु की मौत के अगले दिन बुधवार को रुड़की के एक नवजात ने समय पर उपचार न मिलने से दम तोड़ दिया।
12 दिन के शिशु को भर्ती करने के लिए बच्चों के आइसीयू में बेड नहीं मिला। शिशु के पिता उसे हिमालयन हास्पिटल जौलीग्रांट ले गए। बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। शिशु के पिता ने इंटरनेट मीडिया पर वीडियो वायरल कर इस घटना के लिए एम्स प्रशासन को दोषी ठहराया है और इंसाफ की मांग की है। भूपेंद्र का आरोप है कि उन्होंने और उनकी पत्नी नीलू ने करीब सवा घंटे तक चिकित्सकों की मिन्नतें कीं, लेकिन बच्चे को भर्ती नहीं किया गया।
मृतक बच्चे के पिता भूपेंद्र का कहना है कि अगर समय पर उपचार मिल जाता तो उनके बच्चे की जान बच जाती। उन्होंने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से गुहार लगाई कि और किसी बच्चे के साथ ऐसा न हो, इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए। बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट पर इमरजेंसी में भर्ती किया गया था, लेकिन उसे नीकू वार्ड में भर्ती करने की आवश्यकता थी। नीकू वार्ड में बेड उपलब्ध नहीं था। इसलिए नवजात का तत्काल उपचार संभव नहीं था।
वही एम्स के चिकित्सा अधीक्षक के मुताबिक बच्चे को आक्सीजन और प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थी। बेड उपलब्ध ना होने के कारण उसे कहीं और जाने के लिए कहा गया था। इस से पहले भी ऐसे मामले सामने आए है लेकिन सवाल ये है की कब इन चीजों में सुधार होगा। अब पिता ने एक अगस्त को हुई इस दुखद घटना पर एक वीडियो जारी कर इंसाफ की गुहार लगाई है।