चुनाव कोई भी हो लेकिन उत्तराखंड में कई ऐसी राजनीतिक पार्टियां अचानक ही नजर आने लगती हैं। इन राजनीतिक पार्टियों के नाम न तो लोगों ने पहले सुना होता है न ही इनको लेकर उन्हें कोई जानकारी होती है। उत्तराखंड में ऐसी ही 41 राजनीतिक पार्टियों की तलाश चुनाव आयोग की ओऱ से की जा रही है। आयोग ने इनसे 2017-18 से लेकर 2021-22 तक पार्टी को मिले फंड, आय-व्यय की ऑडिट रिपोर्ट, चुनाव में खर्च का ब्यौरा मांगा। लेकिन गौर करने वाली बात हैं कि इन राजनीतिक पार्टियों का कोई पता ही नहीं है।
इन राजनीतिक दलों पर चुनाव आयोग जल्द ही शिकंजा कस सकता है। इनमें से कई पार्टियों के ऑफिस तक का ही अता-पता नहीं है। अंतिम तौर पर चुनाव आयोग ने अब इन दलों के नाम अखबारों में सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। आयोग ने स्पीड पोस्ट के जरिये भी नोटिस सर्व किए, लेकिन इनमें से भी अधिकांश स्पीड पोस्ट वापस आ गए। उत्तराखंड की मुख्य निर्वाचन अधिकारी, सौजन्य का कहना है कि ये अंतिम नोटिस है। इसके बाद केंद्रीय चुनाव आयोग को पूरा विवरण भेज दिया जाएगा। आगे की कार्यवाही केंद्रीय चुनाव आयोग करेगा।
उत्तराखंड में गायब हुई कुछ पार्टियों के नाम तो शायद ही आपने कभी सुने हों। जैसे भारत कौमी दल, भारतीय शक्ति सेना, मैदानी क्रांति दल, प्रगतिशील लोक मंच नैनीताल, प्रजातांत्रिक पार्टी ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय ग्राम विकास पार्टी, जनता कैबिनेट पार्टी। बार-बार नोटिस के बावजूद भी मांगा गया लेखा-जोखा उपलब्ध न कराने पर अब इन दलों का रजिस्ट्रेशन भी समाप्त किया जा सकता है। चुनाव के समय पैदा होने वाले ऐसे दल अक्सर विपक्षियों के वोट काटने के लिए बना दिए जाते हैं, चुनाव के बाद इनका कोई नाम लेने वाला नहीं होता। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में भी इनमें से दस पार्टियों ने चुनाव लड़ा था। लेकिन, चुनाव के बाद ये कहां गए किसी को नहीं पता।