जी हां दोस्तो प्रदेश भर से कई तरह की तस्वीरों ने मौजूदा सरकार की परेशानी को बढाने का काम किया है, अब जिन कर्मचारियों के भरोसे की महत्वपूर्ण विभागों का काम चल रहा है। वो कर्मचारी ही मोर्चो खोल कर क्यों तंबू गाड़ कर धरने पर बैठ गए। UPNL Employee Demand कैसे कर्मचारी सरकार पर कई तरह के आरोप लगा रहे हैं और कौन कौन से विभाग हैं जहां इन कर्मचारियों के ना रहने से आम जन को परेशानी होगी। बताउंगा आपको अपनी इस रिपोर्ट के जरिए। दोस्तो खबर बेहद अहम है। क्योंकि यहां तो सरकार ने फैसला भी ले लिया फिर उस कैबिनेट के फैसले पर क्यों भड़क उठे उपनल कर्मचारी। ये वो सवाल है जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है। दोस्तो उत्तराखंड में धामी कैबिनेट के ताज़ा फैसले के बाद उपनल कर्मचारियों का गुस्सा कम होने की बजाय और बढ़ गया है। वैसे जब कैबिनेट कर्मचारियों के नियमितीकर को लेकर फैसला लिया तो मुझे भी लगा की अब लंबे वक्त से संघर्षरत कर्मियों को राहत मिलेगी। जी हां दोस्तो सरकार के फैसले से नाराज़ उपनल कर्मचारी भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। दोस्तो उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में उपनल के लिए लिए गए फैसलों से उपनल कर्मचारी खुश नहीं हैं। अब उपनल कर्मचारी हड़ताल को और उग्र रूप देने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। दो उपनल कर्मचारी भूख हड़ताल पर चले गए हैं। आगे ये अनुमान लगाया जा रहा है कि कर्मचारियों की संख्या बढ़ती जाएगी। आपको आगे दिखाउंगा क्या कहना है कर्मचारी संघ का और क्यों इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं उपनल कर्मचारी, लेकिन उससे पहले आप खबर को थोड़ा समझ लीजिए।
दोस्तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से उत्तराखंड के उपनल कर्मचारियों के नियमितकारण को लेकर स्पष्ट आदेश के बाद भी लंबे समय से लटकाया जा रहा है। इस मामले पर उपनल कर्मचारियों ने राज्य स्थापना दिवस यानी 9 नवंबर तक राज्य सरकार को मौका दिया। उपनल कर्मचारियों को उम्मीद थी कि राज्य गठन के 25 साल पूरे होने और रजत जयंती वर्ष की वर्षगांठ 9 नवंबर 2025 को उत्तराखंड की धामी सरकार उपनल कर्मचारी के लिए नियमितीकरण से संबंधित कोई बड़ा फैसला लेगी। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, राज्य स्थापना के अगले ही दिन 10 नवंबर 2025 को प्रदेश के 22000 ओपन कर्मचारी प्रदेश भर में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर सभी हड़ताल पर चले गए। दोस्तो स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो उपनल कर्मचारी केवल राज्य की राजधानी देहरादून के सबसे बड़े अस्पताल दूर मेडिकल कॉलेज के अपने सभी 300 कर्मचारी को हड़ताल पर बुलाया। बाकी प्रदेश भर में सभी स्वास्थ्य और इमरजेंसी सेवाओं में कार्यरत उपनल कर्मचारियों को अभी फिलहाल हड़ताल पर नहीं बुलाया गया है। 10 नवंबर से चल रही इस हड़ताल के बाद जब बुधवार को प्रदेश की धामी सरकार की कैबिनेट बैठक आयोजित की गई, जिसमें कर्मचारियों को बड़ी उम्मीद थी। एक बार लगा भी कि कर्मचारियों के लिए कुछ ठोस सोचा जा रहा है, लेकिन ऐसा शायद नहीं हुआ। दोस्तो यहां मै आपको बता दूं एक तरफ कर्मचारी हड़ताल पर हैं धरना प्रदर्शन चल रहा है आगे और उग्र करने की चेतावनी दी जा रही है, तो इधर धामी कैबिनेट में इस बार उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण मामले को लेकर एक और कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया गया है। इससे उपनल कर्मचारी बेहद नाखुश नजर आए।
दोस्तो यहां भी देखिए कि कर्मचारी महासंघ के प्रदेश संयोजक विनोद गोदियाल ने कहते हैं कि प्रदेश के सभी 22000 कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार उनके हित में कोई फैसला लेगी। हड़ताल खत्म होनी की उम्मीद थी। दूसरी तरफ पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उपनल कर्मचारियों को यह अंदेशा भी था कि सरकार फिर से एक कमेटी का गठन कर देगी और ऐसा ही कुछ हुआ भी, उपनल कर्मचारी महासंघ के संयोजक विनोद गोदियाल ने कहा ये पहली बार नहीं है जब सरकार कमेटी गठित कर रही है वो डॉक्यूमेंट के साथ सिलसिले बार तरीके से कमेटियां का इतिहास बताते भी दिखाई दिए। पहले आपको दिखा रहा हूं क्या कहना है कर्माचरी महासंघ का तो सुना आपने उपनल कर्मचारी महासंघ कैबिनेट के मौजूदा फैसले से क्यों नाखुश है। वैसे दोस्तो इसका जायज कारण भी लगता है नाराजगी का, क्योंकि लंबे समय से ऐसा लगा की इस मामले में टालमटोल के अलावा कुछ होता दिखाई नहीं दिया वैसे ये मै नहीं कह रहा। ये अब तक सरकारों द्वारा इस मामले में हुई कार्रवाई बता रही है। थोड़ा गौर कीजिएगा और ये भी देखिए दोस्तो कि इतने महत्वपूर्म मामले में कैसे अब तक सिर्फ कमेटी कमेटी का खेल चला है। अब तक गठित की गई समितियां,15 मार्च 2016 मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी गठित 21 मार्च 2021 मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी गठित 19 फरवरी 2024 मुख्य सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी गठित। 21 जुलाई 2025 प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित वैसे दोस्तो बताने दिखाने के लिए काफी है कि इस मामले में काम किया गया, लेकिन अब तक गठित की गई इन सभी कमेटियों का क्या कुछ हुआ? इनका परिणाम क्या हुआ? यह कोई नहीं जानता है। शायद ये ही वो वजह है कि बुधवार को कैबिनेट फैसले से नाखुश उपनल कर्मचारियों की अब हड़ताल को लेकर आगे रणनीति आंदोलन की बनाई है। वहीं उपनल कर्मचारियों का ये कहना कि अब जो आंदोलन होगा प्रदर्शन होगा और इससे जो काम प्रभावित होगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन प्रशासन और सरकार की होगी। उपनल के मंत्री गणेश जोशी पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके विभागीय मंत्री गणेश जोशी ने 22000 कर्मचारियों की एक भी बार सुध नहीं ली है।
इसके अलावा दोस्तो आगे रणनीति में उपनल कर्मचारियों की ये भी है अब प्रदेश भर से स्वास्थ्य कर्मियों को भी बुलाया जाएगा। उपनल कर्मचारियों ने बताया अभी तक केवल पूरे प्रदेश में देहरादून के दून अस्पताल के उपनल के माध्यम से लगे स्वास्थ्य कर्मचारियों को हड़ताल पर बुलाया गया है। जिनकी संख्या तकरीबन 300 के करीब है. अभी प्रदेश भर में अलग-अलग जगह पर उपनल के माध्यम से तैनात स्वास्थ्य कर्मियों और इमरजेंसी में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को हड़ताल पर नहीं बुलाया गया है। अब जिस तरह से सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी है उसके बाद प्रदेश भर के इमरजेंसी और स्वास्थ्य कर्मियों को भी इस हड़ताल में बुलाया जाएगा। इधर दोस्तो आपको यहां मै ये भी बता दूं कि उत्तराखंड के कई सरकारी विभागों में उपनल समेत अन्य आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित करने के मामले पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। मामले की सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने पूर्व में दिए गए निर्देश के आधार पर उन्हें नियमित करने को लेकर प्राथमिकता देने को कहा था। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि पूर्व में खंडपीठ ने आउटसोर्सिंग और उपनल कर्मचारियों को नियमित करने का सुझाव राज्य सरकार को दिया था, जो अभी राज्य की कैबिनेट में लंबित है. जिस पर पर निर्णय लिया जाना बाकी है, लेकिन कैबिनेट ने जो निर्णयलिया वो भी उपनल कर्मचारियों को रास नहीं आया है।