उत्तराखंड में नए बड़े घोटाले ने उड़ा दी सबकी नींद | Uttarakhand News | CM Dhami | Breaking News

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उत्तराखंड में नए बड़े घोटाले ने उड़ा दी सबकी नींद पूर्व निदेशक समेत तीन पर मुकदमा, जी हां दोस्तो उत्तराखंड में एक और बड़ा धमाका! नए घोटाले ने सरकार से लेकर सिस्टम तक — सबकी नींद उड़ा दी है। Big scam in Rishikesh AIIMS पूर्व निदेशक के खिलाफ बड़ा एक्शन, तीन लोगों पर दर्ज हुआ गंभीर मुकदमा! क्या ये सिर्फ एक नाम है, या परतें अभी खुलनी बाकी हैं? घोटाले की इस काली किताब में और कौन-कौन हैं शामिल? आज मै करूंगा पर्दाफाश — उन चेहरों का, जो अब तक पर्दे के पीछे खेल खेलते रहे। दोस्तो कई घोटाले आपने देखे होंगे प्रदेश में इससे पहले मेने भी कई घपलों और घोटालों पर बात लेकिन अब 2.73 करोड़ का घोटाला! कौन है इस घोटाले का मास्टरमाइंड? और कैसे उजागर हुआ ये पूरा जाल? पूरी कहानी, एक्सक्लूसिव खुलासों के साथ — सिर्फ यहीं, अभी और इसी वक्त बताने जा रहा हूं। दोस्तो पूरी खबर आपको बताउंगा उससे पहले आप इस पर गौर कीजिए कि इस पूरे मामले का खुलासा सीबीआई ने किया है। वहीं सीबीआई जिसकी जांच की मांग मौजूदा वक्त में पेपर लीक पर अभियर्थी और बेरोजगार संघ कर रहा है। अगर यहां भी सीबीआई जांच हो गई तो नजाने कितने काले चेहरों से नकाब उतरेगा न जाने कितने लोग होंगे जो इस खेल शामिल मिलेगें। खैर तो जब होगा तब होगा, बताउंगा आपको लेकिन अभी जिस महा घोटाले की बात में करने जा रहा हूं उसे देखिए आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कैसे हो गया इतना बड़ा खेल।

दोस्तो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आ रहा है ,जहां पर ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल में बड़ा घोटाला हुआ है। इतना ही नहीं बल्कि एम्स के पूर्व निदेशक डॉक्टर रविकांत ने तात्कालिक एडिशनल प्रोफेसर रेडिएशन ओंकोलॉजी और तात्कालिक स्टोर कीपर के साथ मिलकर 2.73 करोड रुपए का घोटाला किया जिसका खुलासा होते ही पूर्व निदेशक समेत अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। दोस्तो अभी तक जो जानकारी मेरे तक पहुंची है उसके अनुसार राजधानी देहरादून के ऋषिकेश एम्स अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के 16 बेड की कोरोनरी केयर यूनिट के निर्माण में बड़ा घोटाला सामने आया है। दरअसल आरोप है कि टेंडर जारी करने के बाद पूरे उपकरण नहीं खरीदे गए और जो उपकरण इंस्टॉल किए गए थे उनकी गुणवत्ता भी अच्छी नहीं थी। जिसके तहत 8 करोड रुपए से ज्यादा खर्च करने के बाद भी मरीजों को लाभ नहीं मिला। इस प्रकरण में सीबीआई ने पूर्व निदेशक समेत तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है, अब थोड़ा इसे समझिए, दिल्ली की कंपनी ने AIIMS के साथ की धोखाधड़ी, घटिया किस्म किस्म का सामान बेचा, दोस्तो आरोप है कि 5 दिसंबर 2017 को जारी टेंडर के तहत दिल्ली की कंपनी एमएस प्रो मेडिक डिवाइसेस को ठेका दिया गया जबकि कंपनी ने 2019-20 में दो किस्तों में सामान की आपूर्ति की। काम के एवज मे एम्स ने 8. 8 करोड रुपए का भुगतान किया इतना ही नहीं बल्कि इतनी अधिक रकम खर्च करने के बावजूद यह यूनिट 1 दिन भी नहीं टिकी। वहीं दोस्तो 26 मार्च को सीबीआई और एम्स अफसरों ने संयुक्त जाँच में पाया कि आपूर्ति किए गए सामान में बहुत सा सामान बेकार है। जबकि कुछ सामान गायब और कुछ स्पेसिफिकेशन से मेल नहीं खाता, यहां तक की टेंडर फाइल भी गुम हो चुकी है। अब सवाल ये आता है दगड़ियो की AIIMS की टेंडर फाइल तक थी गायब तो कहां गई वो फाइल। इसे समझिएगा टेंडर फाइल स्टोर अधिकारी दीपक जायसवाल से मांगी गई लेकिन उन्होंने बताया की फाइल लंबे समय से गायब है।

इसके बाद दीपक के साथ सीबीआई टीम ने कार्यालय के रिकॉर्ड रूम में फाइल ढूंढने का प्रयास किया लेकिन उन्हें कुछ पता नहीं चला, वहीं इस मामले का खुलासा होते ही सीबीआई एसीबी दून में एम्स के पूर्व निदेशक डॉ रविकांत, पूर्व खरीद अधिकारी डॉ. राजेश पसरीचा, पूर्व स्टोर कीपर रूपसिंह समेत अज्ञात सरकारी कर्मियों व निजी लोगों के विरुद्ध बीते 26 सितंबर को एफआईआर दर्ज करती है। वहीं एक और बात एम्स के साथ धोखाधड़ी करने वाले ठेकेदार पुनीत शर्मा का हो चुका निधन, अब क्या करें। मामले की जाँच मे सामने आया कि मेसर्स प्रो मेडिक डिवाइसेस खनेजा कांपलेक्स शकरपुर दिल्ली के मालिक पुनीत शर्मा ने एम्स के साथ धोखाधड़ी की, इतना ही नही बल्कि मेसर्स प्रो मेडिक डिवाइसेस को अनुचित लाभ पहुंचाया। जिसके कारण एम्स ऋषिकेश को 2.73 रुपये का अनुचित नुकसान और स्वयं को भी अनुचित लाभ पहुंचाया, हालांकि अब कांट्रेक्टर पुनीत शर्मा इस दुनिया मे नही है। तो दोस्तों, सवाल सिर्फ 2.73 करोड़ का नहीं है। सवाल है उस सिस्टम का, जहां टेंडर गायब हो जाते हैं, घटिया सामान खरीदा जाता है, और जिम्मेदार कुर्सियों पर बैठे लोग आंखें मूंद लेते हैं। एम्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में अगर फर्जीवाड़ा हो सकता है, तो सोचिए बाकी जगहों का क्या हाल होगा?पूर्व निदेशक, अधिकारी, ठेकेदार — सबका नाम सामने आ चुका है लेकिन क्या ये ही अंत है इस घोटाले की कहानी का? या अभी और परतें खुलनी बाकी हैं? और सबसे बड़ा सवाल — क्या अब भी ऐसे घोटालों पर सियासत ही होगी या सिस्टम सुधरेगा?