उत्तराखंड में ड्रग विभाग की छापेमारी ! | Uttarakhand News | Dehradun News | CM Dhami

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जी हां दोस्तो रूड़की में औषधि विभाग की बड़ी कार्रवाई: अवैध दवाओं के गढ़ पर छापेमारी, सुरक्षा को बड़ा झटका? रूड़की में बड़ी गिरफ्तारी! कैसे मच गया हड़कंप, जहां बिना लाइसेंस चल रहा था दवा कारोबार जो अब पकड़ा गया —और बरामद हुआ सरकारी दवाओं का बड़ा भंडार, कैसे हमारी जिदंगी से किया जा रहा था खिलवाड़। Drug Department Raid दोस्तो उत्तराखंड के रूड़की में औषधि विभाग की बड़ी कार्रवाई, अवैध दवाओं के गढ़ पर छापेमारी, सुरक्षा को लगता दिखा बड़ा झटका?दोस्तो रूड़की में हाल ही में औषधि विभाग ने एक बड़ा ऑपरेशन चलाकर अवैध दवाओं के एक बड़े भंडार का पर्दाफाश किया है। वरिष्ठ औषधि निरीक्षक अनीता भारती के नेतृत्व में हुई इस छापेमारी में गांव सलियर स्थित एम/एस फलक नाज़ नामक प्रतिष्ठान को निशाना बनाया गया। ये प्रतिष्ठान बिना वैध औषधि लाइसेंस के संचालित हो रहा था और आसपास के झोला छाप चिकित्सकों को अवैध रूप से दवाएं सप्लाई कर रहा था। अब आपको बताने जा रहा हूं कैसे अवैध दवा करोबार पर हुआ बड़ा खुलासा। तब आप समझ पाएंगे कि कैसे जीवन दायनी दवा ही जानलेवा बना दी जाती है। इसका पूरा खेल कुछ यूं है, दोस्तो जब छापेमारी के दौरान इस प्रतिष्ठान से राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार की मोहर लगी सरकारी दवाओं का बड़ा जखीरा बरामद हुआ, तो सबके होश उड़ गये।

दोस्तो कुल 12 प्रकार की एलोपैथिक दवाएं जब्त की गई है। इन दवाओं की वैधता और सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है क्योंकि ये दवाएं बिना किसी लाइसेंस के गैर-पंजीकृत चिकित्सकों तक पहुंच रही थीं। ये स्थिति न सिर्फ़ मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की विश्वसनीयता पर भी गंभीर चोट पहुंचाती है। दोस्तो खबर के मुताबिक प्रतिष्ठान उन झोला छाप चिकित्सकों को दवाओं की आपूर्ति कर रहा था, जिनका औषधि विभाग में कोई पंजीकरण ही नहीं है। झोला छाप चिकित्सक अक्सर बिना सही प्रशिक्षण और अनुमति के इलाज करते हैं, जो मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में ये दवाएं असल में कितनी सुरक्षित और प्रभावी थीं, यह प्रश्न भी उठता है। अब दोस्तो बात आती है कानूनी कार्रवाई और जवाबदेही की, दोस्तो संचालक से पूछताछ में औषधि लाइसेंस और क्रय-विक्रय अभिलेख प्रस्तुत नहीं कर पाए। इसके चलते औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की गई है। ये मामला पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य सुरक्षा और सरकारी नियंत्रण की कमजोरियों को उजागर करता है। ऐसे मामलों से न केवल आम जनता की सुरक्षा खतरे में पड़ती है बल्कि सरकारी दवाओं के दुरुपयोग की संभावना भी बढ़ जाती है। दगड़ियो देश में दवाओं के सुरक्षित वितरण और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम हैं, लेकिन इस प्रकार के अवैध प्रतिष्ठान इन नियमों की अनदेखी करते हुए, न केवल कानून की अवहेलना करते हैं बल्कि मरीजों के जीवन को भी जोखिम में डालते हैं। ये कार्रवाई इसलिए भी अहम है दोस्तो क्योंकि सरकारी दवाओं के गलत उपयोग से स्वास्थ्य सेवा की विश्वसनीयता प्रभावित होती है और लोगों का विश्वास टूटता है। दोस्तो औषधि विभाग ने इस तरह की छापेमारी और जांच जारी रखने का आश्वासन दिया है। ये आवश्यक है कि ऐसी कार्रवाई नियमित और सख्त हो ताकि भविष्य में इस तरह के अवैध कारोबार को पूरी तरह से रोका जा सके।

साथ ही, जनता को भी जागरूक करना होगा कि वे केवल प्रमाणित चिकित्सकों और लाइसेंस प्राप्त दवाओं का ही उपयोग करें। दोस्तो हाल में बच्चो को पिलाई जाने वाली कफ सिरप को लेकर कई सवाल हुए देश कई राज्यों में बच्चों की मौत तक हो गई। अपने उत्तराखंड में कई दवालों को बेन कर दिया गाया, अब ये दवाएं जिनका भंडारण मानको ताक पर रख कर किया जा रहा था। दोस्तो रूड़की में हुई यह छापेमारी हमें एक बार फिर याद दिलाती है कि स्वास्थ्य सुरक्षा और सरकारी दवाओं के सही उपयोग पर हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। साथ ही सरकार और विभागों को भी चाहिए कि वे अपने निगरानी तंत्र को और मजबूत करें ताकि इस तरह के अवैध कारोबार की जड़ें जल्दी से जल्दी समाप्त हो सकें। केवल कड़े कानून ही नहीं, बल्कि सक्रिय कार्यवाही और जागरूकता से ही हम एक सुरक्षित स्वास्थ्य व्यवस्था सुनिश्चित कर पाएंगे और इस बड़ी कार्रवाई के साथ एक बार फिर सामने आया है कि कैसे अवैध तरीके से दवाओं का कारोबार आम लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा है। रूड़की में बिना लाइसेंस चल रहे इस प्रतिष्ठान से मिली सरकारी मोहर लगी दवाएं कई सवाल खड़े कर रही हैं — क्या ये दवाएं कहीं और से चोरी कर लाई गईं? क्या इसमें किसी बड़े नेटवर्क का हाथ है?फिलहाल जांच जारी है, और उम्मीद की जा रही है कि दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी। हम आपसे अपील करते हैं कि किसी भी अनधिकृत स्रोत से दवा लेने से बचें और ऐसे किसी भी संदेहास्पद गतिविधि की जानकारी तुरंत प्रशासन को दें।