उत्तराखंड में नदी का प्रवाह रोककर बन रहा Resort ।Dehradun News | Uttarakhand News | DM Savin Bansal

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नदी में बन रहा है रिजॉर्ट, जी हां सही सुना आपने। अब आप कह रहे हैं होंगे कि अभी तो आपदा के जख्म पर ठीक से मरहम लगा भी नहीं फिर ये कैसे खबर, लेकिन दोस्तो ये सच है। इसकी पड़ताल में इस रिपोर्ट के जरिए करने जा रहा हूं। दोस्तो हाल में उत्तराखंड में आपदा ने की वजह से बहुत निकसान हुआ है, लेकिन इस आपदा के लिए कई कारण ऐसे निकल कर सामने आए कि जो मानवीय हैं। जैसे नदियों के कीनारे पर निर्माण का होना, होटल रिजॉर्ट और घर दुकान जब आपदा के वक्त में ये सवाल हुआ कि धराली में पूरा बाजार सैलाब की चपेट में आ गया तो इधर सरकार ने कह दिया कि नदि के किनारे कोर्ई निर्माण नहीं होगा, लेकिन फिर भी निर्माण हो रहा है, रिजॉर्ट बन रहा है। वो देहरादून से कुछ किमी की दूरी पर दोस्तो। दोस्तो देहरादून-टिहरी सीमा पर नदी का प्राकृतिक प्रवाह रोककर एक रिजॉर्ट का निर्माण किया जा रहा है, जिससे न सिर्फ पर्यावरण बल्कि स्थानीय सुरक्षा भी दांव पर लग गई है। सवाल ये उठता है कि क्या प्रशासन की नजर इस खतरनाक खेल पर नहीं पड़ी? इसी पर बात करूंगा। दोस्तो उत्तराखंड में इस मॉनसून सीजन की आपदाओं ने ऐसे गहरे जख्म दिए हैं कि आगे आने वाले कई सालों तक इनकी भरपाई करना मुश्किल लग रहा है। जैसे-जैसे इन आपदाओं की समीक्षा की जा रही है तो उसमें कई नई बातें सामने आ रही हैं।

दरअसल, 15 सितंबर की रात और 16 सितंबर की सुबह देहरादून के मालदेवता, सहस्त्रधारा, शहंशाही आश्रम, राजपुर रोड और मसूरी रोड इलाके में भारी वर्षा और अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन और फ्लैश फ्लड से भारी नुकसान हुआ था। नुकसान का मुआयना करने के दौरान जिला प्रशासन ने सहस्त्रधारा से आने वाली नदी के किनारे एक रिजॉर्ट का निर्माण पाया था। नदी के रास्ते में इस रिजॉर्ट का निर्माण कर नदी के प्रवाह को दूसरी तरफ मोड़ दिया गया था, फिर जब नदी में बाढ़ आई तो उसने सब तहस नहस कर दिया। इस मामले पर देहरादून जिलाधिकारी ने नदी के प्रवाह को बदलने वाले रिजॉर्ट स्वामी के ऊपर 7 करोड़ का जुर्माना लगाया है। दोस्तो ऐसा ही एक और मामला सामने आया है, देहरादून और टिहरी जिले की सीमा पर सरखेत गांव के पास बांदल नदी के प्रवाह के किनारे एक रिजॉर्ट का निर्माण किया जा रहा है। 19 अगस्त 2022 को आई सरखेत आपदा के पहले इस रिजॉर्ट का नामोनिशान नहीं था, लेकिन अब नदी के प्रवाह से कुछ ही दूरी पर एक बड़ा आलीशान रिजॉर्ट का निर्माण किया जा रहा है, रिजॉर्ट अभी भी निर्माणाधीन है। दोस्तो यहां बांदल नदी के प्रवाह को बदला गया है। कृत्रिम रूप से खुदाई करके नदी को दूसरी तरफ धकेला जा रहा है। इससे दूसरी तरफ के पहाड़ पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

इस बात की पुष्टि वरिष्ठ जियोलॉजिस्ट एमपीएस बिष्ट भी कर रहे हैं। जियोलॉजिस्ट एमपीएस बिष्ट ने इस इलाके के भूगोल के बारे में बताते हैं कि ये बेहद सेंसिटिव इलाका है। ऐसे में इस तरह से नदी के बीच निर्माण कर बड़ी लापरवाही बरती जा रही है। उन्होंने बताया कि यह रिजॉर्ट जहां बनाया जा रहा है, वहां एक तरफ नदी पर अतिक्रमण किया गया है, जिसका भविष्य में बहुत बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा, लेकिन दूसरी तरफ लैंडस्लाइड एक्टिवेट है, जो कि आने वाले समय में इसके ऊपर आएगा। इतना ही नहीं दोस्तो जिस रिजॉर्ट का निमार्ण किया जा रहा है एक तो वो नदी के किनारे हो रहा है दूसरा ये भी कि इस रिजॉर्ट के ऊपर एक स्क्रीन फैन ढेबरी लैंडस्लाइड एक्टिवेट है, जो धीरे-धीरे नीचे की तरफ आ रहा है। इसके निशान भी साफ दिखाई दे रहे हैं। बहरहाल, जहां पर ये निर्माण किया जा रहा है, वह नदी क्षेत्र है और यहीं बांदल नदी टिहरी और देहरादून दो जिलों की सीमा बांटती है. अब रिजॉर्ट निर्माणकर्ता ने नदी को डायवर्ट कर देहरादून की तरफ धकेल दिया है और खुद नदी में निर्माण कर टिहरी की सीमा में रिजॉर्ट बनाया जा रहा है। वैसे दोस्तो ये सच है कि अपने उत्तराखंड में खूबसूरत बैली की खान है। नदी के किनारे वाला क्षेत्र और मनोरम होता है और ये हर किसी को अपनी ओर आकर्षित भी करता है इसी का नतीजा है कि एनजीटी के नियमों को ताक पर रख कर, सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी को नजरअंदाज कर, जिसमें कोर्ट ने कहा है कि नदी नालों के किनारे निर्माण बर्दाश्त नहीं होगा और प्रदेश सरकार ने तो हाल ही में कहा है कि कोई निर्माण नदी नालों गाड़ गधेरों के किनारे नहीं होगा, लेकिन फिर भी बांदल नदी के बीच में नदी को डाइवर्ट कर करके बन रहे इस निर्माण को लेकर कोई कुछ बोलता नहीं है।

दोस्तो लोग बताते हैं कि जहां ये निर्माण हो रहा है वहां पर कभी लवार्खा गांव के लोगों का सेरा (नदी किनारे खेत) हुआ करते थे, यानी इस जगह पर लवार्खा गांव के लोगों के संचित खेत हुआ करते थे जो हर एक दो साल में बरसात के मौसम में उजड़ जाते थे। दगड़ियो इतना भर नहीं है कृषि वाले खेतों को बेचकर यहां पर व्यावसायिक निर्माण किए जा रहे हैं। वैसे ये भी जान लीजिए कि उत्तराखंड में नदियों किनारे इस तरह के नाप भूमि के संचित खेत होते हैं लेकिन वहां पर आवासीय और व्यावसायिक निर्माण नहीं होता है। यह एक कृषि भूमि होती है। इसके अलावा उत्तराखंड में साल 2013 के बाद ये नियम है कि नदी से 200 मीटर के अंदर किसी भी तरह का आवासीय और व्यावसायिक नया निर्माण नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद भी यहां पर इस तरह से निर्माण किया जा रहा है, तो किसकी शह पर हो रहा है और ये रिजॉर्ट जो बन रहा है वो किसका है। दोस्तो ये निर्माण पूरी तरह से नदी के जद में है और इस तरह यहां निर्माण होने से केवल यही निर्माण नहीं बल्कि इसके नीचे के क्षेत्र में भी सभी लोग खतरे में आते हैं। इस तरह से नदियों में बने तमाम निर्माण कमला नदी अपने साथ लेकर नीचे आती है और वो निचले इलाकों में तबाही मचाती है।

दोस्तो एक बात और है जो यहां गौर करने वाली है वो ये कि ये नदी सीमा है देहारादून और टिहरी की और निर्माण देहरादून वाले क्षेत्र में नहीं टिपरी वाले क्षेत्र में हो रहा है। इस तरह से दोनों जिलों की सीमा पर बन रहे इस रिजॉर्ट को लेकर कई सवाल टिहरी जिला प्रशासन से भी है और देहरादान के जिलाप्रशासन से भी किया जा सकता है कि इस निर्माण की वजह से नुकसान देहारदून और निचले इलाके को भारी होगा। दोस्तो यहां मै ये बता दूं कि 19 अगस्त 2022 को देहरादून के मालदेवता और रायपुर क्षेत्र के ऊपरी इलाके मसूरी विधानसभा क्षेत्र के सरखेत गांव में भीषण आपदा आई थी. इस आपदा में पांच लोगों की मौत हो गई थी जबकि पूरा गांव तबाह हो गया था। इस आपदा में स्कूल और कई सरकारी भवन भी क्षतिग्रस्त हो गए थे। इससे गांव के कई परिवार प्रभावित हुए थे। इस आपदा के बाद गांव के कई परिवारों ने पलायन कर मालदेवता समेत अन्य जगहों पर रहने लगे हैं, लेकिन फिर ये निर्माण सवालों के घेरे में इस कब क्या एक्शन लिया जाता है ये देखना अभी बाकि है।