जी हां दोस्तो उत्तराखंड में एक बार फिर करोड़ों की चोरी ने सबको हेरान कर दिया तो वहीं पुलिसिया कार्यशैली के पर सवाल उठने लगे। व्यापारियों ने सड़क पर उतर कर काटा बवाल, लेकिन पुलिस को नहीं मिला चोरों का सुराग, कैसे अपनी देवभूमि में चोर बेखौफ हैं। Jewelry Shop Robbed In Haldwani कैसे हो जा रही हैं इतनी बड़ी-बड़ी चोरियां, क्यों निशाने पर ज्वेलर्स हैं। दोस्तो उत्तराखंड के व्यापारी आज फिर सन्न हैं, क्योंकि शहर में हुई करोड़ों की चोरी ने हिला दी सुरक्षा व्यवस्था। चोर इतने बेखौफ कि पुलिस की कथित गश्त भी उन्हें रोक नहीं सकी, कैसे व्यापारी और आम लोगों में बढ़ता भरोसा संकट में दिखाई देने लगा है क्योंकि दोस्तो प्रदेश की राजधानी से लेकर अलग-अलग शहरों में अपराध बढ़ रहे हैं। सवाल ये नहीं कि एफआईआर दर्ज हुई या नहीं, सवाल ये है कि आखिर अपराधियों के दिलोदिमाग में पुलिस का खौफ क्यों नहीं है? क्या पुलिस सिर्फ और सिर्फ आम आदमी को डराने के लिए है? कहीं आपके घर, ऑफिस दुकान पर तो नहीं है चोरों की नजर। दोस्तो जब ज्वेलर्स भी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिक किस भरोसे सोए? हल्द्वानी के मुखानी थाना क्षेत्र में चोरों के हौसले इस कदर बुलंद हो चुके हैं कि अब ज्वेलर्स की दुकानें भी उनकी पहुंच से बाहर नहीं रहीं। कुसुमखेड़ा में हुई ज्वेलरी चोरी की बड़ी वारदात ने न सिर्फ व्यापारियों की नींद उड़ाई है, बल्कि पुलिस की कथित रात्रि गश्त की भी पोल खोल दी है। सवाल सीधा है जब ज्वेलर्स की दुकानें कट रही हैं, तो पुलिस आखिर कर क्या रही है?
दोस्तो कुसुमखेड़ा स्थित राधिका ज्वेलर्स को अज्ञात चोरों ने रात के अधेरे में निशाना बनाया। अगले दिन साप्ताहिक बंदी के चलते बाजार दुकान बंद रही। उसके जब ज्वेलर नवनीत ने दुकान का शटर खोला तो वारदात का पता चला, तो दोस्तो अब दुकान लुट चुकी है। पुलिस जांच कर रही है। जांच में पता चला कि चोरों ने बड़ी प्लानिंग से इस वारदात को अंजाम दिया। ज्वेलर की शॉप के ठीक बगल वाली दुकान 40 दिन पहले दुकान मालिक गौरव बिष्ट से किराए पर ली गई। इतना ही नहीं करीब 22500 रुपए महीने का किराया भी तय किया और फिर उसी दुकान के बीच की दीवार को ड्रिल मशीन से काटकर बड़ी आसानी से ज्वेलर का करोड़ों का सोना-चांदी समेटकर फरार हो गए। दोस्तो चोरों ने पूरी प्लानिंग के साथ वारदात को अंजाम दिया। दुकान मालिक ने 40 दिन पहले दुकान किराए पर दी लेकिन सत्यापन नहीं कराया। हैरानी इस बात की भी है कि इतनी बड़ी चोरी के दौरान न तो किसी ने शोर सुना और न ही पुलिस की कोई गश्ती टीम मौके पर नजर आई। पुलिस जांच में पता चला है कि वारदात को अंजाम देने के बाद चोर नेपाल भाग गए हैं। दोस्तो अब पुलिस जो भी दावा करे लेकिन ये घटना पुलिस के उस दावे पर बड़ा सवाल है, जिसमें रातभर गश्त किए जाने की बात कही जाती है। अगर वाकई गश्त हो रही थी, तो चोरों को इतनी आसानी से दुकान में घुसने और आराम से माल समेटकर निकलने का मौका कैसे मिला? या फिर गश्त केवल थाने के रजिस्टर में दर्ज होकर रह जाती है? जब दुकान मालिक को चोरी की जानकारी मिली तो पूरे इलाके में हड़कंप मच गया।
सूचना पर मुखानी थाना पुलिस मौके पर पहुंची, फोरेंसिक टीम बुलाई गई और औपचारिकता निभाते हुए जांच शुरू कर दी गई। पुलिस अब आसपास लगे सीसीटीवी की फुटेज खंगालने और जल्द खुलासे का दावा कर रही है, लेकिन यह वही दावा है जो हर चोरी के बाद दोहराया जाता है, लगातार हो रही चोरी की घटनाओं से व्यापारियों में भारी रोष है। स्थानीय दुकानदारों का साफ कहना है कि पुलिस की मौजूदगी सिर्फ दिखावे तक सीमित है। चोर बेखौफ होकर वारदात कर रहे हैं और व्यापारी खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। सवाल यह भी है कि जब संवेदनशील इलाकों और ज्वेलरी प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पहले से तय होनी चाहिए, तो ऐसी लापरवाही क्यों?मुखानी क्षेत्र में हुई ये चोरी केवल एक दुकान की नहीं, बल्कि पूरी सुरक्षा व्यवस्था की असफलता को बताती है व्यापारियों ने पुलिस प्रशासन से रात्रि गश्त को कागजों से निकालकर जमीन पर उतारने, संवेदनशील क्षेत्रों में सख्त निगरानी और जल्द से जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है। जब तक चोर पकड़े नहीं जाते और गश्त वास्तव में नजर नहीं आती, तब तक हर अगली सुबह किसी और दुकान के कटने की आशंका बनी रहेगी। पुलिस के लिए अब सवाल यह नहीं कि जांच चल रही है, बल्कि यह है कि आखिर भरोसा कैसे बहाल किया जाए?