जी हां दोस्तो जो खतरा बीते कई सालों से देश की राजधानी डरा रहा था, वो अब अपने पहाड़ों तक भी जा पहुंचा है। खास कर प्रदेश की राजधानी में इस खतरे ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर कैसे जान बच पाएगी। बताउंगा आपको पूरी खबर कैसे और किसने बिगाड़ दिया अपने उत्तराखंड का हाल, जी हां दोस्तो एक तरफ मैदानी क्षेत्रों में लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हुआ तो वो बेहतर ऑक्सीजन की तलाश में अपने उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं, लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी। जो परेशानी लोंगों को देश की राजधानी में हो रही है। वही परेशानी अब दून वाले उठाने को मजबूर हो चुके हैं। दोस्तो उत्तराखंड में वायु प्रदूषण एक बार फिर चिंता का कारण बनता जा रहा है। दून में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से दिल्ली जैसे हालात बनते नजर आ रहे हैं। राजधानी देहरादून में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 के पार पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में है। दोतो बीते एक हफ्ते की बात करूं तो स्थति डराने वाली दिखाई देती है। दोस्तो जहां अधिकतम एक्यूआई 170 के आसपास बना हुआ था, वहीं औसत एक्यूआई 132 और मंगलवार को यह बढ़कर 207 दर्ज किया गया, जो कि खराब श्रेणी में है। 24 घंटे में प्रदूषण स्तर में इस तेज बढ़ोतरी ने आम लोगों के साथ-साथ विशेषज्ञों और प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। दून विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष की माने तो रात के समय हवा की गति बेहद कम रहने और बादल छाए रहने के कारण प्रदूषक तत्व वातावरण में ही फंसे रहे, जिससे एक्यूआई में तेजी से वृद्धि हुई।
दोस्तो सोमवार रात एक्यूआई कुछ समय के लिए तीन सौ का आंकड़ा पार कर गया था। दिन के समय हवा चलने से कुछ राहत जरूर मिलती है, लेकिन यदि मौसम की यही स्थिति बनी रही तो प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है। आशंका जताई कि 24 दिसंबर के बाद क्रिसमस और नववर्ष के दौरान पर्यटकों और वाहनों की संख्या बढ़ने से वायु गुणवत्ता और बिगड़ सकती है। पर्यटकों के वाहनों की आवाजाही बढ़ने के कारण प्रदूषण का स्तर और बढ़ने की आशंका है। दोस्तो अपनी राजधानी के साथ राज्य के अन्य शहरों में भी वायु गुणवत्ता में गिरावट दर्ज की गई है। मंगलवार को काशीपुर में एक्यूआई 128 हो गया, जो सोमवार को 98 था, यानी हवा अब प्रदूषण की श्रेणी में आ गई। ऋषिकेश में 85, हरिद्वार में 90 और रुद्रपुर में 90 दर्ज किया गया। ये सभी आंकड़े सामान्य स्तर (50) से ऊपर हैं, जो ये संकेत देते हैं कि राज्य के शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण धीरे-धीरे बढ़ रहा है। दोस्तो विशेषज्ञों के अनुसार उत्तराखंड में वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह सड़कों पर वाहनों की आवाजाही से उड़ने वाली धूल है, जो कुल प्रदूषण का करीब 56 प्रतिशत हिस्सा है। इसके अलावा वाहनों से निकलने वाला धुआं लगभग 17 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। अलग-अलग शहरों में उद्योगों से करीब 10 प्रतिशत प्रदूषण फैल रहा है, जबकि घरों में जलने वाले चूल्हे, आग, कोयला और कूड़ा जलाने से करीब 14 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा है।
यहां दोस्तो पर्यावरण विशेषज्ञों की कई तरह की चिंताएं भी हैं कि मौसम में बदलाव की वजह से प्रदूषण का स्तर कुछ बढ़ा है। रात में बादल लगने और ज्यादा ठंड की वजह से प्रदूषण के कण फैल नहीं पा रहे हैं। जिस कारण भी एक्यूआई में बढोतरी दर्ज की जा रही है। हालांकि ये कुछ समय के लिए हो रहा है। सामान्य तौर पर प्रदूषण का स्तर ठीक है। अगर प्रदूषण और बढ़ता है तो रोकथाम के उपाए किए जाएंगे। लेकिन आगे कैसे बढ सकती है परेशानी वो बताता हूं। दोस्तो यदि मौसम में बदलाव नहीं हुआ और वाहनों का दबाव इसी तरह बढ़ता रहा, तो आने वाले दिनों में राज्य के कई शहरों में वायु प्रदूषण की स्थिति और गंभीर हो सकती है। ऐसे में सड़कों की नियमित सफाई, धूल नियंत्रण, सार्वजनिक परिवहन के उपयोग और कूड़ा जलाने पर सख्ती जैसे कदम जरूरी हो गए हैं। उत्तराखंड में बढ़ते वायु प्रदूषण की कहानी, बताती है कि हालात गंभीर हैं, लेकिन अगर हम सड़कों की सफाई, धूल नियंत्रण और सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल जैसी सावधानियां अपनाएं, तो स्थिति को काबू में लाया जा सकता है।