मंकीपॉक्स वायरस को लेकर उत्तराखंड में अलर्ट, स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी

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तेजी से फैल रहे मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर उत्तराखंड का स्वास्थ्य महकमा भी अलर्ट हो गया है। जिसके चलते उत्तराखंड सरकार ने गाइडलाइन जारी कर दी गई है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. शैलजा भट्ट ने मंगलवार को सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश जारी किए। एडवाइजरी में कहा गया है कि जिन लोग में बुखार के साथ शरीर पर लाल चकते जैसे लक्षण दिखाई देते हों, वह तुरंत अपनी नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें। साथ ही ऐसे व्यक्ति जिन्होंने पिछले 21 दिन में किसी ऐसे देश की यात्रा की है, जहां हाल ही में मंकीपाक्स के मामले मिले हैं, या फिर इस बीमारी के संदिग्ध मामलों की पहचान हुई है, वह भी चिकित्सक से जांच कराएं।

सभी जिलों के सीएमओ को निर्देश दिए गए हैं कि मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों को चिन्हित अस्पतालों में तब तक आइसोलेट किया जाएगा, जब तक कि संबंधित व्यक्ति के सभी घावों पर त्वचा की नई परत नहीं बन जाती है। इलाज कराने वाले चिकित्सक के आइसोलेशन समाप्त करने का निर्णय लेने पर ही मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाएगा। हालांकि सरकार ने दावा किया है कि देश में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है।

मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है जो चेचक के समान तो है लेकिन उससे कम गंभीर है। मंकीपॉक्स वायरस पॉक्सविरिडे फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीन से संबंधित है 1958 में बंदरों में दो चेचक जैसी बीमारियों का पता लगा था, उनमें से ही एक मंकीपॉक्स था। चेंबूर के जैन मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में कंसल्टिंग फिजिशियन और इंफेक्शन स्पेशलिस्ट डॉ. विक्रांत शाह के मुताबिक, मंकीपॉक्स एक जूनोसिस डिसीज है जो अफ्रीका में ज्यादातर जानवरों से इंसानों में फैलती है। इसके लक्षण दो से चार सप्ताह तक दिखाई देते हैं। इंसानों में एक से दूसरे को कटी-फटी त्वचा श्वांस नली आंख या नाक के जरिये बीमारी फैलने का खतरा है।