आरोप-प्रत्यारोप के बीच BKTC का मामला पहुंचा सीएम के पास, गणेश गोदियाल ने करी जांच की मांग, ये है मामला

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देहरादून: मंत्री धन सिंह रावत के साथ विवाद के बीच कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने उच्च स्तरीय जांच के लिए रविवार को सीएम के दरबार में दस्तक दे दी। गोदियाल आज सुबह सुबह साढ़े नौ बजे ही सीएम आवास पहुंच गए। गोदियाल ने सीएम को ज्ञापन देते हुए अपने ओर सहकारिता मंत्री पर लगे आरोपों की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की। सीएम पुष्कर धामी से मिलने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों के साथ साथ मंत्री धन सिंह रावत के विभागों में लग रहें भ्रस्टाचार के आरोपों की जाँच किसी रिटायर्ड जज से कराने की सीएम से किया आग्रह अपने ज्ञापन में गोदियाल ने सीएम को पत्र लिखा।

साथ ही यह भी कहा कि यदि जांच न की गईतो एक हफ्ते बाद वो सीएम आवास के बाहर धरना शुरू कर देंगे। उन्होंने सीएम को कहा कि श्रीबद्रीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति के एक वर्तमान सदस्य ने वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य मेरी अध्यक्षता वाली मन्दिर समिति पर विभिन्न अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। इसकी शिकायत विभागीय मंत्री से करने की बजाय मेरे राजनैतिक प्रतिद्वंदी सहकाारिता मंत्री से की गई है। मंत्री ने भी शिकायत का संज्ञान लेते हुए तत्काल जांच के आदेश भी जारी किये गये हैं।

 

पत्र में गोदियाल ने लिखा मेरे द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के सहकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा उच्च शिक्षा विभाग में मा0 मंत्री श्री धनसिंह रावत के प्राश्रय में हुए तमाम घोटालों को उद्धृत करते हुए इन घोटालों की निष्पक्ष जांच की मांग की गई थी, जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। मेरा आपसे निवेदन है कि सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन में यह आवश्यक है कि लगाये गये आरोपों पर दोहरा मापदण्ड नहीं अपनाया जाना चाहिए तथा शिकायत की तटस्थ भाव से जांच एवं तद्नुसार कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही मुझ पर व मेरी अध्यक्षता वाली समिति पर लगाये गये आरोपों की जांच के साथ ही मा० मंत्री जी के प्रश्रय में सहकारिता विभाग में हुए भर्ती घोटाले, ऋण आवंटन घोटाले शेयर खरीद घोटाले, उच्च शिक्षा विभाग के सहायक प्रवक्ता भर्ती घोटाले, निदेशक भर्ती घोटाले तथा स्वास्थ्य विभाग में फर्जी बिलों के आधार पर आयुष्मान योजना के तहत हुए घोटालों की जांच हेतु माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की देखरेख में एक सप्ताह के अन्दर पृथक से अलग–अलग जांच समितियां गठित की जाय।