केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह उत्तराखंड में चुनावी शतरंज की बिसात बिछा गए। अमित शाह ने एक तरह से साफ कर दिया कि भाजपा के निशाने पर सबसे ज्यादा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत ही रहने वाले हैं।
सियासी जानकारों का मानना है कि शाह के तरकश में कांग्रेस पर छोड़ने के लिए कई तीर हैं। हालांकि उनकी यह चुनावी सभा नहीं थी, लेकिन अपने तरकश के सभी तीरों का उपयोग उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव के लक्ष्य को भेदने के मकसद से किया।
उन्होंने पूर्व कांग्रेस सरकार में हुए स्टिंग ऑपरेशन के तार छेड़कर न सिर्फ हरीश रावत बल्कि समूची कांग्रेस को भी असहज करने की कोशिश की। शाह ने सोची समझी रणनीति के तहत हरीश रावत को निशाने पर रखा। अब आने वाले दिनों में अगर प्रदेश भाजपा के सभी नेता इसी लीक पर चलें, तो इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।
अमित शाह ने रणनीतिक तरीके से डेनिस शराब के कथित भ्रष्टाचार का तीर छोड़ा। हरीश सरकार में डेनिस शराब को लेकर भाजपा ने खूब हंगामा काटा था। लेकिन पिछले साढ़े चार साल में पार्टी ने इस पर कभी तल्खी नहीं दिखाई। चुनावी साल में ये तीर अमित शाह के तरकश से निकला है। सियासी जानकारों का मानना है कि शाह के वार पर पलटवार हरीश खेमे को छोड़कर कांग्रेस पार्टी के अन्य प्रमुख नेता तो नहीं करेंगे।
शाह ने सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस व पूर्व मुख्यमंत्री पर धार्मिक तुष्टिकरण का आरोप लगाया। हिंदू बहुल राज्य में उन्होंने जिस तरह से हरीश राज में जुमे की नमाज की छुट्टी का जिक्र किया, उसे धार्मिक ध्रुवीकरण की सियासत के तौर पर भी देखा जा रहा है। उन्होंने बेहद सधे अंदाज में बदरीनाथ और केदारनाथ के पुनर्निर्माण कार्यों के बहाने ये संदेश देने की कोशिश की कि भाजपा के लिए इन दोनों का खास महत्व है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल का जिक्र किया और उत्तराखंड के विकास का श्रेय दिया। उन्होंने उत्तराखंड के प्रति मोदी के लगाव को उन तमाम विकास योजनाओं का जिक्र करते हुए पेश किया, जिन पर पांच सालों में 85 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। विकास की इस धारा को प्रवाहित रखने के लिए उन्होंने एक बार फिर से भाजपा को मौका देने की अपील की।
शाह ने जिस तरह से लोगों से कहा कि आने वाले दिनों में वह कोई गलती न कर दें, तो इससे कहीं न कहीं उनकी उत्तराखंड को लेकर चिंता भी दिखाई दी। हालांकि उन्होंने डबल इंजन के दम पर विकास की नई इबारत लिखकर चुनाव में जीत का इरादा जताया।
उत्तराखंड में तीसरी ताकत के तौर पर खुद को मान रही आम आदमी पार्टी का अमित शाह ने अपने भाषण में जिक्र तक नहीं किया। हालांकि जब-जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उत्तराखंड में आए और उन्होंने घोषणाएं कीं और भाजपा नेताओं ने आगे आकर प्रतिक्रिया भी दी। बहरहाल शाह के निशाने पर सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस ही रही।