आनंद का पिता हरीश रावत और नए विधायकों पर तंज, सीएम धामी की सुबह की सैर को बताया नौटंकी…

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Uttarakhand Poltics: राज्य के लिए कुछ करने और कहने की जैसी छटपटाहट उत्तराखंड यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष आनंद रावत में दिखती है, शायद बहुतों में उसकी चौथाई भी नहीं! आनंद रावत की उपलब्धि भी है कि वे हरीश रावत जैसे राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी के बेटे हैं जिनका सानी कांग्रेस राजनीति में प्रदेश छोड़िए राष्ट्रीय स्तर पर गिने चुने नेता होंगे। लेकिन यहीं हरीश रावत आनंद रावत की चुनावी राजनीति के लिए विडंबनापूर्ण ही सही लेकिन सबसे बड़े बाधक भी बनते दिखते हैं।

सोशल मीडिया के जरिए आनंद रावत की झलकती छटपटाहट उत्तराखंड को लेकर उनकी चिंता तो है ही बल्कि उनकी अपनी राजनीतिक स्थिति का प्रतिबिंब भी है। पूर्व सीएम हरीश रावत की सोशल मीडिया पोस्ट पर कई बार चुटीले अंदाज में तंज कसने वाले उनके पुत्र आनंद रावत एक बार फिर अपनी पोस्ट को लेकर चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने अपने पिता हरीश रावत समेत उत्तराखंड के सभी नए विधायकों को घेरा है। सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर आनंद रावत ने नेताओं में विजन की कमी को पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन का कारण बताया है।

साथ ही सीएम पुष्कर धामी की सुबह की सैर करने वाली पोस्ट को नौटंकी बताते हुए हरीश रावत की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठाए हैं। आनंद रावत ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट की शुरुआत सुपरहिट फल्मि पुष्पा के डायलॉग ह्यमैं फ्लावर नहीं, फायर हैह्ण से की। आगे उन्होंने लिखा है कि जिला पूर्ति कार्यालयों, प्रॉपर्टी डीलर्स से जुटाए आंकड़ों के अनुसार, पहाड़ में तेजी से पलायन हो रहा है। कपकोट से रोज पांच परिवार अपना राशनकार्ड बिंदुखत्ता ट्रांसफर करा रहे हैं। ऐसा ही ट्रेंड द्वाराहाट, रानीखेत, चौखुटिया और शीतलाखेत के आसपास के लोगों में भी देखने को मिल रहा है।

उन्होंने लिखा कि पहले सात हजार करोड़ रुपये खर्च कर जिस हाईकोर्ट को नैनीताल में स्थापित किया गया, अब उसे मैदान में शफ्टि करने की योजना है। यदि नैनीताल जिले के मैदानी क्षेत्र, ऊधमसिंहनगर और देहरादून जैसे क्षेत्रों में ही सारी सुविधाएं स्थापित कर दी जाएंगी तो जनता भी उसी तरफ आकर्षित होगी। आनंद ने लिखा कि आश्चर्यजनक है कि पहाड़ से पलायन और वहां सुविधाओं की कमी पर कोई भी नेता कुछ बोल नहीं रहा है या शायद किसी के पास विजन ही नहीं है।

सोशल मीडिया पर लिखी पोस्ट में अपने पिता हरीश रावत को राजनीति के भीष्म पितामह की संज्ञा देते हुए आनंद ने लिखा कि वे पुष्कर धामी की सुबह की सैर करने वाली नौटंकी पर टप्पिणी कर रहे है, लेकिन पलायन के विषय पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। वहीं, नए-नवेले विधायक बने लोग अभी शायद रोज अपने विधायकी के प्रमाण पत्र को देखकर वश्विास नहीं कर पा रहे हैं कि, जनता ने उनमें ऐसा क्या देखा? आनंद ने नसीहत देते हुए कहा है कि कुछ करो वरना उत्तराखंड के लिए आने वाला समय काफी कठिन हो जाएगा।