अंकिता भंडारी मर्डर केस: फैक्ट फाइंडिंग टीम ने खोले कई राज, विधायक रेनू बिष्ट पर उठे सवाल

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उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद देशभर के महिला संगठनों ने 20 सदस्य फैक्ट फाइंडिंग टीम बनाई थी। फैक्ट फाइंडिंग टीम द्वारा 27, 28 और 29 अक्टूबर को उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा किया गया। पौड़ी गढ़वाल के 2 गांव में अंकिता भंडारी के माता-पिता से मुलाकात की गई। श्रीनगर में स्थानीय लोगों पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की गई। महिला संगठनों की दूसरी टीम ने ऋषिकेश में रिजॉर्ट और बैराज के आसपास जगहों का दौरा किया। अपनी तमाम जांच पड़ताल में फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पाया कि ऋषिकेश मैं पुलकित का रिजॉर्ट अवैध जमीन पर बना हुआ है। ये जमीन आयुर्वेदिक फैक्ट्री के नाम पर ली गई थी। इस खुलासे से पता चलता है कि पूरे उत्तराखंड में जमीनों की खरीद-फरोख्त किस तरीके से हो रही है। महिला संगठन से जुड़ी कविता श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही से कई महत्वपूर्ण सबूत मिट गए हैं। महिला संगठनों ने मांग उठाई है कि उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने कानूनों का खुला उल्लंघन हो रहा है। पुलिस और प्रशासन की लापरवाही से कई महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो गए। 

रिजॉर्ट को समय पर सील नहीं किया गया। यहां तक कि यम्केश्वर विधायक रेनू बिष्ट की भूमिका पर भी महिला संगठनों ने सवाल उठाया है। महिला संगठन द्वारा यह भी बताया गया है कि आरोपी पुलकित आर्य रसूखदार है और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। महिला संगठनों का कहना है कि यमकेश्वर विधायक रेनू बिष्ट की साक्ष्य मिटाने में क्या भूमिका थी? इस बात का भी संज्ञान लिया जाए। आनन-फानन में रिसोर्ट में बुलडोजर क्यों चलाया गया? महिला संगठनों का सवाल यह भी है कि अंकिता भंडारी की पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टरों की टीम में कोई गायनाकोलॉजिस्ट क्यों मौजूद नहीं थी? महिला संगठनों का कहना है कि उनकी टीम को यह भी जानकारी मिली है कि जिस रात रिसोर्ट में ध्वस्तरीकरण की कार्यवाही हो रही थी, तो खुद यम्केश्वर विधायक रेनू बिष्ट भी वहां मौजूद थी। इन सभी बातों की जांच की मांग महिला संगठनों द्वारा की गई है।