उत्तराखंड में फिर LUCC जैसा फ्राड ! | Uttarakhand News | Dehradun News Doon Samriddhi Group

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उत्तराखंड में फिर LUCC जैसा फ्राड, इस बार एक सरकारी शिक्षक ने कर डाला बड़ा खेल। पत्नी के नाम खोली कंपनी फिर कैसे कर दिया झोल। एक बार फिर “LUCC” जैसा फ्रॉड — वही पुराना खेल, लेकिन इस बार एक नया चेहरा। Samriddhi Nidhi Limited Fraud दोस्तो आपने देश भर में LUCC द्वारा की गई बड़ी ठगी के बारे में खूब सुना होगा, लेकिन अब एक और मामला पर्दे के पीछे से चलता रहा लाखों का घोटाला और हैरानी की बात ये है कि इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड कोई सफेदपोश नेता नही, कोई बड़ा मास्टर माइंड नहीं बल्कि एक सरकारी शिक्षक है। जी हां दोस्तो सही सुना आपने वो ही सकरकारी शिक्षक जो स्कूल में बच्चों को नैतिकता पढ़ाने वाला। अपने घर में ही फ्रॉड की पाठशाला चला रहा था, पत्नी के नाम पर खोली गई फर्ज़ी कंपनी, सरकारी दस्तावेज़ों में किए गए हेरफेर, और LUCC जैसा पैटर्न — यानी ज़मीन, लाइसेंस, और कागज़ी कंपनियों के दम पर चल रहा था बड़ा खेल सब बताउंगा आपको। दगड़ियो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक बड़ा धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जहां पर समृद्धि निधि लिमिटेड नाम की एक माइक्रोफाइनेंस कंपनी ने आम जनता को अधिक ब्याज देने के मुनाफे में कुछ इस कदर फंसाया की उनके साथ 47 करोड़ की धोखाधड़ी हो गई।

इसके बाद फाइनेंस कंपनी के 100 से अधिक एजेंट एसएसपी कार्यालय पहुंचे जहां पर उन्होंने अपने पैसे वापसी को लेकर एसएसपी से मदद की गुहार लगाई। इस पूरे मामले में पुलिस प्रशासन ने 6 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए जांच पड़ताल शुरू कर दी है, दोस्तो जो जानकारी मेरे तक पहुंची वो ये कि देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाना क्षेत्र में स्थित दून समृद्धि निधि लिमिटेड नाम की माइक्रो फाइनेंस कंपनी ने लोगों के साथ LUCC जैसा फ्राड करते हुए 47 करोड़ रुपए की ठगी की है। दरअसल दून समृद्धि निधि लिमिटेड कंपनी की ओर से दैनिक जमा योजना फिक्स्ड डिपॉजिट और रिकरिंग डिपॉजिट के खाते खोले जाते थे। जिसमें पैसा जमा कर इसके बदले सरकारी बैंकों से अधिक ब्याज का झांसा दिया जाता था। वर्ष 2022 में नीलम चौहान और जगमोहन चौहान दोनो पति पत्नी ने समृद्धि निधि लिमिटेड शुरू की थी। जिनका ऑफिस दून विश्वविद्यालय रोड स्थित संस्कार एंक्लेव में है। इस कंपनी के जरिए उन्होंने अलग-अलग पदों पर कई लोगों को शामिल किया। दगड़ियो इसके अलावा देहरादून से अलग क्षेत्र में करीब 150 से अधिक एजेंट तैनात किए। कंपनी में 1000 से अधिक ग्राहकों को जोड़ा गया जिसमें करोड़ों रुपए की धनराशि जमा कराई गई। समय सीमा पूरी होने के बाद जब लोग पैसे लेने के लिए पहुंचे तो उन्हें मूल राशि तक वापस नहीं मिली। इसके बाद जब पैसा जमाकराने वालों को तगड़ा झटका तब लगा जब  दोनों पति-पत्नी लोगों का पैसा लेकर फरार हो गए।

आरोप है कि इन कंपनियों के जरिए चार साल में 150 करोड़ का लेनदेन हुआ है। मै आपको इसके मास्टरमांइट और खेल में आगे बताउं उसे पहले देखिए पीड़ित लोगों ने कांग्रेस के नेता सुर्यकांत धमस्माना से मुलाकात की तो कांग्रेस का क्या कहना है। तो ये तो सियासी बात हो गई। दगड़ियो आरोपी जगमोहन चौहान सरकारी शिक्षक है जो दून में तैनात है उन्होंने अपनी पत्नी और परिजनों के नाम पर तीन कंपनियां बनाई थी। बीते शनिवार को दून समृद्धि निधि लिमिटेड कंपनी से जुड़े 150 एजेंट एसएसपी कार्यालय पहुंचे जहां पर उन्होंने पैसों की वापसी को लेकर एसएसपी से सहायता मांगी। एजेंट ने कहा कि यह लोग 2022 से कंपनी से जुड़े थे। जिन्हें शुरुआत में रिफंड दिया गया लेकिन अब ग्राहकों को रिफंड देना बंद कर दिया गया है। कंपनी के एजेंट अलग-अलग क्षेत्र में जुड़े हैं डोईवाला के एजेंट का कहना है कि उन्होंने मेंबर को जोड़कर करीब 8 करोड रुपए जमा करवाए हैं। वहीं विकास नगर से आई महिला एजेंट ने अपने क्षेत्र से एक करोड़ से अधिक ग्राहकों को कंपनी में जोड़ा है। दोस्तो अब मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस प्रशासन ने चौकी प्रभारी बाईपास प्रवीण पुंडीर की तहरीर के आधार पर कंपनी निदेशक नीलम चौहान संस्थापक जगमोहन चौहान, कमलेश बिजलवान कुसुम शर्मा अनिल रावत और दीपिका समेत अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। कंपनी द्वारा नियम विरुद्ध ब्याज दिया जा रहा था जिसमें करीब 8% से 12% तक कंपनी ब्याज दे रही थी।

इस कंपनी ने लोगों को 2 साल तक मुनाफे के साथ पैसा दिया लेकिन पिछले 4 महीने से निदेशक ने पैसा देना बंद कर दिया है। पुलिस ने कंपनी के दस्तावेज खंगालने शुरू कर दिए हैं। जिसमें उन्हें आठ खाते मिले हैं पुलिस ने सभी खातों को फ्रीज कर दिया है वहीं आरोपियों की तलाश जारी है। इसके अलावा एक और जानकारी इस खबर को लेकर ये है कि लोगों ने एसएसपी से शिकायत करते हुए बताया कि आरोपी के दो बच्चे हैं जो उत्तराखंड के एक नामी मेडिकल कॉलेज से डाक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं। आरोपियों ने कहा था कि उनका कुमाऊं में रियल एस्टेट कारोबार है जहां पर फ्लैट बनाए जा रहे हैं। लोगों का आरोप है कि निवेश के नाम पर जमा हो रही रकम में कुछ रकम उन्होंने वही निवेश की है जिसकी जांच पड़ताल जारी है। दोस्तो पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले व हाल ही में राजधानी देहरादून के कुंज विहार पटेल नगर के निवासी शिक्षा विभाग के एक कर्मचारी कहते हैं कि उन्होंने आरोपियों को दी रकम बैंक से लोन लेकर दी थी। इसकी किस्त वो आज भी चुका रहे हैं। लंबे समय बाद आरोपियों ने रकम लौटाने का वादा किया था लेकिन अभी तक रुपए नहीं दिए। अब सवाल ये है —क्या ये सिर्फ़ एक शिक्षक की करतूत है?या फिर इसके पीछे है कोई संगठित रैकेट?और सबसे बड़ा सवाल —सिस्टम को भनक तक क्यों नहीं लगी? अभी एलयूसीसी वाले पीड़ित दर दर भटक रहे हैं अब ये नया धोखाधड़ी का मामला अब पुलिस क्या करती है ये देखना होगा।