स्कूल जाना भी कितना जोखिम और संघर्ष भरा हो सकता है। ये कल्पना आप सामने आई वीडियो को देखकर कर सकते हैं। जहां जान हथेली पर रखकर बच्चे स्कूल जाने के लिए मजबूर हैं। Demand for construction of Pithoragarh bridge पिथौरागढ़ और चंपावत की सीमा पर घाट क्षेत्र में रामेश्वर मंदिर को जोड़ने वाला पैदल मार्ग एक दशक बाद भी नहीं बन सका है। जिसका खामियाजा स्कूली बच्चों से लेकर श्रद्धालु भुगत रहे हैं। स्कूली बच्चे आए दिनों जान जोखिम में डालकर उफनती सरयू नदी किनारे पत्थरों पर कूदकर विद्यालय जा रहे हैं रहे हैं। साथ ही छोटी सी चूक बच्चों की जिंदगी पर भारी पड़ सकती है। गांवों को विद्यालय से जोड़ने के लिए सड़क नहीं है। लगभग 3 किमी पैदल चलकर रामेश्वर मंदिर होते हुए छात्र-छात्राएं विद्यालय पहुंचते हैं। बारिश के कारण भूस्खलन से पैदल मार्ग इन दिनों क्षतिग्रस्त है। इस कारण इन गांवों के छात्र-छात्राएं नदी किनारे से होकर विद्यालय पहुंच रहे हैं।