जी हां दोस्तो सोशल मीडिया की एक दोस्ती कब ज़िंदगी की सबसे बड़ी ठगी में बदल जाती है — इसका ताज़ा और चौंकाने वाला मामला सामने आया है अपने उत्तराखंड में, एक बैंककर्मी ने फेसबुक पर खुद को “लंदन से इंडिया आ रही महिला” बताने वाली एक फ्रेंड से बातचीत शुरू की। बातों-बातों में दोस्ती गहरी हुई और भरोसा इस कदर बढ़ा कि उसने महिला की मदद के नाम हो गई एक बड़ी ठगी। दोस्तो खबर कुछ ये कि फेसबुक पर दोस्ती कर एक महिला ने बैंक कर्मी को विश्वास में लिया। इसके बाद लंदन से भारत घूमने आने की बात कहकर साथियों की मदद से 28.37 लाख रुपये की ठगी कर दी। ठगी का एहसास होने पर पीड़ित ने साइबर थाने में तहरीर दी, जिसके बाद अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। दोस्तो पुलिस को दी तहरीर में क्लेमेनटाउन निवासी सुरेश चंद्र ने बताया कि वह सेंट्रल बैंक में कार्यरत हैं। फेसबुक के माध्यम से लंदन में रहने वाली मारिया विलियमस नाम की महिला से उनकी कुछ समय पहले दोस्ती हुई। बाद में उसने वाट्सएप नंबर मांगा और अपने मोबाइल से बातें करने लगी, तो यहां कहा जा सकता है कि पहले फेसबुक पर दोस्ती कर जीता विश्वास, फिर भारत घूमने आने की बात कहकर कर दी बड़ी ठगी, दोस्तो थोड़ा गौर कीजिएगा, शिकायतकर्ता मुताबिक 27 सितंबर 2025 को महिला ने उन्हें बताया कि वह भारत घूमने आ रही है।
महिला ने वाट्सएप नंबर पर टिकट व वीजा भेजा जिससे उसकी बात पर यकीन हो गया कि वह भारत घूमने आ रही रही है। 29 सितंबर को उन्हें एक अज्ञात नंबर से फोन आया जिस पर एक महिला बोल रही थी। फोन करने वाली महिला ने कहा कि वह मुंबई एयरपोर्ट की कर्मचारी बात कर रही है। इसके बाद बात करने के लिए मारिया विलियम्स को फोन दे दिया। मारिया ने कहा कि उसके पास कुछ पोंड्स हैं जोकि भारत की धनराशि के हिसाब से 59 लाख रुपये हो रहे हैं। इसके बाद मारिया ने दूसरी महिला को फोन पकड़ा दिया। महिला ने कहा कि मारिया की कुछ औपचारिकताएं पूरी करनी होगी जिसके बाद इस धनराशि को स्थानांतरित किया जा सकता है। इसके बाद उन्हें दो वाट्सएप नंबर से मैसेज आने लगे। मारिया विलियम्स ने उनसे कहा कि वह समस्या में फंस गई है। कुछ धनराशि इनके बैंक खातों में डाल दो, जिसके बाद बैंक सारा पैसा आपके खाते में भेज देगा। पीड़ित ने बताया कि वह मारिया विलियम्स और मुंबई एयरपोर्ट कर्मचारी की बातों में आ गया, दोस्तो मारिया विलियम्स व मुंबई एयरपोर्ट कर्मचारी ने उन्हें दो खाता संख्या भेजे जिनमें उन्होंने आरोपितों के कहने पर रकम ट्रांसफर करनी शुरू कर दी। आरोपितों ने विभिन्न चार्ज की बात कहकर 29 सितंबर से आठ अक्टूबर के बीच 28.37 लाख रुपये दोनों खातों में ट्रांसफर कराए। इतना भर नहीं है, दोस्तो मारिया ने कभी टैक्स जमा करवाने, कभी विदेशी मुद्रा सार्टिफिकेट, सीए सार्टिफिकेट चार्ज के नाम से जमा करवा लिए, बार-बार यही कहती रही कि अब पैसा जमा हो गया है फंड रिलीज हो जाएगा। इसके बाद भी मारिया ने 3.41 लाख रुपये और भेजने के लिए कहा तो उन्हें धोखाधड़ी का एहसास हुआ।
इसके बाद उन्होंने मुंबई एयरपोर्ट के हेल्प डेस्क से मारिया की ओर से उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के संबंध मे जानकारी जुटाई तो पता चला कि इस नाम से कोई भी जानकारी नहीं है। दोस्तो फिर क्या था ये सुनकर उनके हाथपांव फूल गए और वो चक्कर खाकर जमीन पर गिर गए, उन्होंने तत्काल साइबर पोर्टल 1930 पर अपनी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन यहां समझने वाली बात ये है कि यहां मदद के नाम पर बड़ी ठगी होगी। ये एक सुनियोजित फरेब था, लंदन की चमकदार पहचान के पीछे छिपी थी एक जालसाज़ी — जिसने दोस्ती की आड़ में ठगा भरोसा और लूट ली जिंदगी की कमाई और लुट गया उत्तराखंड का बैंक कर्मचारी तो क्या सोशल मीडिया अब दोस्ती का नहीं, धोखे का नया अड्डा बनता जा रहा है? क्योंकि दोस्तो मैं लंदन से इंडिया आ रही हूं, ये ही तो कहा था उस महिला मित्र ने ये एक मैसेज था, जो फेसबुक पर एक आम बैंककर्मी को बेहद खास लगा। प्रोफाइल चमकदार थी — विदेशी महिला, अच्छी अंग्रेजी, लंदन की तस्वीरें और फिर शुरू हुई चैटिंग, हालचाल, भरोसा और धीरे-धीरे एक फरेब की मजबूत बुनियाद, उस महिला ने खुद को लंदन निवासी बताया और कहा कि वह जल्द ही भारत आ रही है। कुछ दिनों बाद उसने बताया कि वह एयरपोर्ट पर कस्टम में फंस गई है, और भारत में उसके पास कोई नहीं है। मदद की दरख्वास्त की गई — छोटे-छोटे अमाउंट्स से शुरुआत हुई, लेकिन फिर धीरे-धीरे रकम बढ़ती गई। दोस्तो वो विदेशी महिला कहती रही — “थोड़ा और भेज दो, बस इसके बाद सब लौटाए दूंगी और फिर बैंककर्मी ने अपनी मेहनत की कमाई, एफडी, लोन सब कुछ निकाल कर दे दिया।
जब तक उसे सच्चाई का एहसास हुआ, तब तक ₹28 लाख रुपये किसी जालसाज़ के खाते में जा चुके थे। बैंककर्मी ने महिला से मिलने की ज़िद की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। प्रोफाइल डिलीट हो चुकी थी, नंबर स्विच ऑफ और तब जाकर उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। जांच में सामने आया कि ये एक साइबर फ्रॉड गिरोह है जो विदेशी प्रोफाइल और नकली पहचान बनाकर लोगों को निशाना बनाता है। ये गैंग देशभर में कई लोगों को इसी तरह झांसे में ले चुका है, दोस्तो तो क्या वाकई इंटरनेट की दुनिया में “लंदन से आ रही दोस्त” इतनी जल्दी भरोसे के काबिल होती है? या हो सकती है। वो भी वो दोस्त जिसे आप जानते नहीं बस फेसबुक फेंड, दोस्तो ये मामला हमें एक बार फिर आगाह करता है कि सोशल मीडिया पर हर मुस्कुराता चेहरा दोस्त नहीं होता, भरोसा करें, लेकिन जांच-परख कर, भावनाओं में बहें नहीं, तथ्यों को देखें और सबसे जरूरी — कोई भी ऑनलाइन पहचान आपके पैसे से ज्यादा कीमती नहीं है। मै तो बस ये ही कह सकता हूं कि साइबर ठगी के इस दौर में सतर्क रहें, सुरक्षित रहें, और दूसरों को भी सतर्क करें।