जी हां दो दोस्तो अपने उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में हालात कुछ ऐसे हो चले हैं कि ना रात सुरक्षित रही और ना दिन, रात का खौफ खौफ है, लेकिन अब तो दिन में भी हमला शुरू हो चुका है। कहीं गुलदार की धमक ने लोगों की बेचैनी को बढ़ा दिया, तो कहीं भालुओं का झुंड कर रहा खौफनाक हमला, कैसे गुलदार के बाद भालू पहुंच रहे घर आगन, कैसे जंगल में भालुओं से भिड़ गया एक बकरी वाला। दोस्तो टिहरी के पर्वतीय क्षेत्रों में भालुओं और गुलदारों का आतंक दिन-दिहाड़े भी लोगों को डराने लगा है। चलड गांव में बकरी ले जा रहे युवक पर दो भालुओं ने हमला कर दिया। संघर्ष के दौरान एक भालू को युवक ने हिम्मत दिखाते हुए दूर फेंका, लेकिन दूसरा हमला कर बैठा। अब सवाल ये है कि क्या पर्वतीय इलाके के लोग जंगल के इन खतरों से कभी सुरक्षित रह पाएंगे? सुरक्षित हुए भी तो कैसे, मै आपको उत्तराखंड के हिम्मती बकरी वाले के बारे में बताउं उससे पहले एक ताजा तस्वीर दिखाना चाहता हूं उसे देखिए कि अब खतरा कैसे घर घर के द्वार तक पहुंच चुका है। दोस्तो टिहरी के उस खौफनाक खबर से पहले ये जानलीजिए कि उत्तरकाशी में घर में घुसे भालू, सीसीटीवी में कैद हुई ये तस्वीरें, अब डरे हुए हैं लोग- दोस्तो वैसे उत्तरकाशी का पूरे पहाड़ में लगातार भालुओं की दहशत बढ़ती जा रही है। टकनौर क्षेत्र के मल्ला गांव सहित कई गांवों में भालू घरों की छतों और आंगन में घूम रहे हैं। इस कारण लोग अंधेरा होने के बाद घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, लेकिन दिन में क्या हो दिन में घर से बाहर निकलना ही पड़ेगा और जो दिन में घर से बाहर निकल भी रहा है तो वो भी सुरक्षित नहीं है।
अब आपको बताता हूं कैसे एक नहीं दो भालुओं से भिड़ गया अपने उत्तराखंड का बकरी वाला। दोस्तो टिहरी के नरेंद्र नगर के आगरा-खाल चौकी के अंतर्गत चलड गांव आता है। यहां के एक युवक पर भालुओं ने उस समय हमला कर दिया जब वह बकरी ले कर आ रहा था। वैसे पर्वतीय क्षेत्रों में इन दिनों भालुओं और गुलदारों के कारण लोगों का जीना मुहाल हो चुका है। वन्य जीवों के कारण लोग दिन ढलते ही अपने घरों में बंद हो रहे हैं लेकिन अब दिन के उजाले में भी लोगों को घर से निकलना भारी पड़ रहा है। दोस्तो, नरेंद्र नगर के कद्दूखाल निवासी बिजेंद्र (25) बकरी लेकर आगरा खाल आ रहा था। इसी दौरान रास्ते में उन पर दो भालुओं ने हमला कर दिया। हालांकि मजबूत कदकाठी का होने के कारण बिजेंद्र ने हिम्मत जुटा कर एक भालू की गर्दन दबाकर उसे दूर फेंक दिया, लेकिन तभी दूसरे भालू ने उस पर हमला कर दिया। भालू से हुए संघर्ष में बिजेंद्र के गले, कंधे, पीठ पर काफी चोटें आई हैं। दोस्तो भालू के हमले से घायल बिजेंद्र के चीखने की आवाज सुनकर आसपास के लोग जब मौके पर पहुंचे तो भालू वहां से भाग गया। ग्रामीणों ने तत्काल घायल बिजेंद्र को एंबुलेंस से श्री देव सुमन राजकीय उप जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। उपचार के बाद उसकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है। घटना की सूचना पर तहसीलदार नरेंद्र नगर समेत प्रशासनिक अमला भी पहुंचा, दोस्तो हिम्मत दिखाई बचगया। नहीं तो एक और आकड़ा सरकारी फाइलों में होता। दोस्तो ऐसे कई लोग हैं जो मानव-वन्यजीव संघर्ष में अनपी जान गवां चुके हैं, कई लोग बूरी तरह से घायल हुए हैं। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में भालुओं और गुलदारों का आतंक देखते हुए वन विभाग के कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि वे बच्चों को एस्कार्ट कर स्कूल तक छोड़ेंगे और वापस लायेंगे। ऐसा इसलिए ताकि वन्य जीवों के दहशत से इन बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो, वन्य जीवों के आतंक से प्रभावित क्षेत्रों में बच्चे अब वन कर्मियों के पहरे में स्कूल जा रहे हैं, लेकिन लोग डरे हुए हैं तो वहीं दूसरी और उत्तराखंड के चमोली जिले के पोखरी क्षेत्र में भालू और अन्य हिंसक वन्य जीवों का आतंक अब इस हद तक बढ़ चुका है कि लोग मजबूर होकर सड़कों पर उतर आए हैं। थाली और कनस्तर बजाकर ग्रामीणों ने आक्रोश रैली निकाली और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है बल, ये विरोध सिर्फ गुस्से का नहीं, बल्कि उस डर और असहायता का है जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी बन चुकी है। कभी लोग थाली घंटी कनस्तर बजा कर जंगली जानवरों को दूर भगाने का काम करते थे तो वहीं सरकार और सिस्टम को जगाने के लिए बजा रहे हैं, लेकिन स्थित गंभीर होने के साथ भयावह भी होती जा रही है।