उत्तराखंड में पट बंद होने से पहले बड़ा चमत्कार,टूटा गया रिकॉर्ड | Uttarakhand News | Char Dham Yatra

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उत्तराखंड में बाबा केदार के कपाट बंद होने से पहले हुआ ऐसा चमत्कार की टूट गए सारे पूराने रिकॉर्ड, श्रद्धालुओँ की संख्या ने इस चौंका दिया। जी हां दगड़ियो अपने उत्तराखंड के धामों में इस बार कुछ ऐसा हुआ, जो पहले कभी नहीं देखा गया, कपाट बंद होने से पहले हुआ एक बड़ा चमत्कार श्रद्धा की ऐसी बाढ़ आई कि रिकॉर्ड ही टूट गया। Uttarakand Chardham Yatra 2025 हर कोई हैरान है कि आखिर इतने श्रद्धालु कैसे पहुंचे, और क्यों इस बार की यात्रा बन गई सबसे खास?तो क्या यह सिर्फ संयोग था या कुछ और? दोस्तो उत्तराखंड की पवित्र वादियों में इन दिनों कुछ खास हो रहा है हर ओर सिर्फ एक ही नाम गूंज रहा है—बोलो केदारनाथ बाबा की जय बर्फबारी, बारिश, भूस्खलन ये तमाम बाधाएं भी उस आस्था के सामने हार मानती दिख रही हैं, जिसे लेकर लाखों श्रद्धालु हर साल हिमालय की कठिन चोटियों की ओर बढ़ते हैं। चारधाम यात्रा में फिर लौटा जोश, मानसून के बाद दिखा नया उत्साह वो कैसे आगे बता रहा हूं आपको। दोस्तो मानसून की विदाई के साथ ही उत्तराखंड में चारधाम यात्रा एक बार फिर रफ्तार पकड़ चुकी है। पर्वतीय क्षेत्रों में बीते दिनों हुई बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हुई ताज़ा बर्फबारी ने एक ओर जहां मौसम को ठंडा कर दिया, वहीं दूसरी ओर श्रद्धालुओं के उत्साह को और गर्म कर दिया।

इस बार केदारनाथ धाम में जिस तरह श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा है, उसने पिछले सभी रिकॉर्ड्स को पीछे छोड़ दिया है। 8 अक्टूबर, बुधवार तक के आंकड़ों की बात करें तो 2025 में केदारनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 16 लाख 56 हजार के पार पहुंच चुकी है। ये वही संख्या है, जिसने 2024 का रिकॉर्ड तोड़ दिया, 2024 पूरे यात्राकाल में 16 लाख 52 हजार 76 श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन को पहुंचे थे दोस्तो और खास बात ये है कि अब भी कपाट बंद होने में 15 दिन बाकी हैं। यानी यह संख्या अभी और तेजी से बढ़ेगी, केदारनाथ धाम में सिर्फ 8 अक्टूबर को ही 5614 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए।कपाट 23 अक्टूबर (भैयादूज) के दिन बंद होंगे, लेकिन उससे पहले आस्था का यह उफान थमने का नाम नहीं ले रहा। दोस्तो श्रद्धालुओं की इस ऐतिहासिक भीड़ को देखते हुए राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए हैं। चारधाम यात्रा मार्गों पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती, यातायात व्यवस्था और मेडिकल इमरजेंसी के लिए हर स्तर पर प्रशासन मुस्तैद है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां भूस्खलन की आशंका ज्यादा होती है, वहां जेसीबी मशीनें हर समय मलबा हटाने के लिए तैनात हैं। सरकार का एक ही मकसद है—यात्रा भी चले, और सुरक्षा भी बनी रहे।

इस साल मानसून के दौरान गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा पर बड़ा असर पड़ा था। धराली जैसे महत्वपूर्ण पड़ाव तबाह हो गए थे। सड़कें टूटीं, रास्ते बंद हुए और श्रद्धालुओं को कुछ समय के लिए यात्रा रोकनी पड़ी, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस चुनौती को अवसर में बदला युद्ध स्तर पर काम हुआ, और कुछ ही हफ्तों में यात्रा मार्ग फिर से खोल दिए गए। दोस्तो दोनों धामों में भी यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, और आस्था फिर से मुस्कुरा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा से जुड़े सभी जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं—श्रद्धालुओं की सुरक्षा में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी अलर्ट मोड में रहें, आपातकालीन स्थिति में तुरंत रेस्क्यू और राहत कार्य शुरू किया जाए। यात्रा मार्गों पर जरूरी सुविधाएं – मेडिकल, खाने-पीने, ठहरने और दिशा-निर्देशों की उपलब्धता हर हाल में सुनिश्चित की जाए। दरअसल दोस्तो इस साल चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ हुई थी।

2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे लेकिन इन छह महीनों में उत्तराखंड ने कई उतार-चढ़ाव देखे। भीषण बारिश, बादल फटना, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं आईं, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था डगमगाई नहीं, वो रुके जरूर, लेकिन लौटे नहीं और अब तो बर्फबारी बनी आस्था का आकर्षण का केंद्र। दगड़ियो इन दिनों केदारनाथ धाम में ताजा बर्फबारी ने नज़ारे को और भी अलौकिक बना दिया है। जो श्रद्धालु पहली बार हिमालय की गोद में बर्फ गिरते देख रहे हैं, वो इस अनुभव को जीवनभर की सबसे पवित्र स्मृति बता रहे हैं। दोस्तो, चारधाम यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं है, यह आस्था, प्रकृति, और मानव संकल्प का संगम है। हर साल लाखों लोग न सिर्फ दर्शन को, बल्कि खुद को परखने के लिए इन कठिन मार्गों पर निकलते हैं और इस बार, जब रिकॉर्ड टूटे, बारिश रुकी, बर्फ गिरी और यात्रा फिर भी रुकी नहीं, तो ये साबित हो गया कि—जहां श्रद्धा है, वहां रास्ते अपने आप बनते हैं। बाबा केदारनाथ के जयकारों के साथ ये यात्रा आगे भी नए कीर्तिमान रचने को तैयार है।