विजलेंस जांच में हुआ बड़ा खुलासा, आयुर्वेद विवि में 300 करोड़ का घपला..जल्द हो सकता है मुकदमा

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देहरादून: विजिलेंस जांच में आयुर्वेद विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई है। विजिलेंस ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। आयुर्वेद विश्वविद्यालय में सामान खरीद, निर्माण कार्यों और भर्ती करने में करीब 250 से 300 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए निर्माण कार्यों के टेंडर भी चहेतों को दिए गए। विजिलेंस जांच में यह बात सामने आई है। विजिलेंस समिति ने आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के मौखिक आदेश जारी कर दिए हैं। अब विजिलेंस लिखित आदेश के इंतजार में है।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में वर्ष 2017 से 2020 तक गलत तरीके से हुई नियुक्तियों, सामान खरीद में गड़बड़ी और वित्तीय अनियमितता की विजिलेंस जांच करवाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुमोदन के बाद कार्मिक एवं सतर्कता सचिव शैलेश बगोली ने मई 2022 को आदेश जारी किए थे। विजिलेंस निदेशक अमित सिन्हा के निर्देश पर जांच इंस्पेक्टर किरन असवाल को सौंपी गई। विजिलेंस टीम ने आयुर्वेद विश्वविद्यालय पहुंचकर दस्तावेज खंगाले और खरीद कमेटी में शामिल पदाधिकारियों के बयान दर्ज किए।

खुद को फंसता देख आयुर्वेद यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से काफी समय तो विजिलेंस टीम का सहयोग नहीं किया गया। इसके लिए विजिलेंस को कड़ा रुख अपनाना पड़ा। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने, माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन न करने, बायोमेडिकल संकाय, संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने का आरोप है। साथ ही विवि में पद न होते हुए भी संस्कृत शिक्षकों को प्रमोशन और एसीपी का भुगतान किया गया। बिना शासन की अनुमति बार-बार विवि की ओर से विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले गए।