उत्तराखंड मांस विवाद में घिरी BJP High Court से नहीं मिली राहत | Uttarakhand News | Nainital

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जी हां दोस्तो उत्तराखंड में मांस विवाद पर एक बड़ी खबर सामने आ रही है, जहां ये मामला अब कोर्ट में है वहीं नैनीतिला हाई कोर्ट के फैसले ने बीजेपी वालों चौका दिया है। कैसे कोर्ट की सख्ती के बाद एक्शन में आई पुलिस, क्यों बीजेपी नेताओं को करना होगा सरेंडर। दोस्तो उत्तराखंड में मांस विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बाद अब बीजेपी नेताओं को नोटिस चस्पा कर सरेंडर करना होगा। राज्य पुलिस हाईकोर्ट की सख्ती के साथ सक्रिय हो गई है और मामले की गहनता से जांच शुरू कर दी गई है। इस विवाद के नए developments और कानूनी कार्रवाई की पूरी जानकारी। मै आपको देने जा रहा हूं थोड़ा गौर कीजिएगा। दोस्तो मांस विवाद में उत्तराखंड हाईकोर्ट की सख्ती के बाद नैनीताल पुलिस अब पूरी तरह हरकत में आ गई है। मांस विवाद मामले में घिरे बीजेपी के पूर्व मंडल अध्यक्ष मदन जोशी सहित तीन आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने सख्त रुख अपनाया है। SSP नैनीताल ने इन सभी को नोटिस जारी कर अदालत में पेश होने के आदेश दिए हैं। दोस्तो यहां आपको ये भी बता दूं कि पुलिस ने मदन जोशी, राजू रावत और जतिन के घरों पर नोटिस चस्पा किए हैं।

नोटिस में चेतावनी दी गई है कि वे 10 दिसंबर को एसीजेएम (ACJM) कोर्ट रामनगर में पेश होकर अपने खिलाफ लगे आरोपों का जवाब दें। दोस्तो ये कार्रवाई तब की गई जब हाल ही में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इस पूरे प्रकरण को लेकर SSP नैनीताल और रामनगर कोतवाल को तलब किया था। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा था कि अब तक आरोपियों के खिलाफ क्या कदम उठाए गए हैं, साथ ही ये भी साफ किया था कि यदि पुलिस ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो अदालत को सख्त रुख अपनाना पड़ेगा और इसी सख्ती के बाद ये खबर निकल कर आई है कि मारपीट के आरोपियों के घर नोटिस चस्पा किया गया है। दरअसल दोस्तो हाईकोर्ट की इस फटकार के बाद SSP नैनीताल ने तुरंत एक्शन मोड अपनाया। पुलिस ने न केवल आरोपियों के घरों पर नोटिस चस्पा किए, बल्कि इलाके में मुनादी (सार्वजनिक घोषणा) भी कराई ताकि उन्हें सार्वजनिक रूप से अदालत में पेश होने के लिए बाध्य किया जा सके। इसके अलावा दोस्तो इस पूरे मामले में जो जानकारी निकलकर सामने आई है वो ये भी कि पुलिस की ये कार्रवाई आरोपियों पर दबाव बनाने की रणनीति है, ताकि वे जल्द से जल्द पुलिस या अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करें। दोस्तो यहां गौर इस बात पर भी करना होगा कि रामनगर के छोई और बैलपड़ाव गांव में हुए मांस विवाद में 23 अक्टूबर को ग्रामीणों ने एक वाहन को गोमांस की तस्करी के शक में रोका था। इस दौरान हिंसा भड़क गई थी और चालक की पिटाई की गई थी। मामले के बाद राजनीतिक संगठनों और पुलिस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। इसके अलावा इस मामले में कोर्ट ने सख्ती दिखाते पुलिस कार्रवाई में हो रही ढिलाई पर सवाल किया था कि इतने बड़े संवेदनशील मसले पर पुलिस क्यों नहीं सख्ती से कार्रवाई कर रही है। साथ ही कोर्ट ने इस पूरे मामले के सियासी कनेक्शन पर सवाल किया था क्योंकि दोस्तो पूरे मामले में बीजेपी के नेताओं के नाम सामने आने के बाद इस विवाद को राजनीति से जुड़ा हुआ माना गया और उसके बाद कुछ एक लोगों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस उन बड़े लोगों पर हाथ नहीं लगाया। दोस्तो अब हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पुलिस सक्रिय हो गई है, ताकि 17 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई में SSP और कोतवाल अदालत में अपनी कार्रवाई का ठोस पक्ष रख सकें।

कुल मिलाकर हाईकोर्ट के दबाव और जवाबदेही की घड़ी ने पुलिस को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है। उधर दोस्तो मांस विवाद का मामला अब दिल्ली की दहलीज तक भी पहुंच गया है। बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने गढ़वाल सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी से दिल्ली में मुलाकात कर पूरे घटनाक्रम की शिकायत दर्ज कराई है. बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने सांसद बलूनी से निर्दोष कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा संगीन धाराओं में दर्ज मुकदमों की समीक्षा करवाने और निष्पक्ष जांच की मांग की. दोस्तो बीजेपी नेताओं ने सांसद को बताया कि हाल ही में रामनगर में हुए मांस विवाद में पुलिस ने जल्दबाज़ी में कार्रवाई करते हुए कई निर्दोष युवाओं पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज कर दिए, जबकि इनमें से कई युवक घटना स्थल पर केवल दर्शक के रूप में मौजूद थे. कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि बिना पर्याप्त सबूत के बीजेपी कार्यकर्ताओं को दोषी ठहराना अन्याय है। दोस्तो नैनीताल जिले के रामनगर में कथित प्रतिबंधित मांस को लेकर वाहन चालक के साथ मारपीट करने के मामले में 5 और आरोपी गिरफ्तार हो गए हैं। जिन्हें पुलिस ने कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

वहीं, घटना के बाद फरार चल रहे आरोपियों की तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही थी। दोस्तो 23 अक्टूबर को छोई क्षेत्र में पिकअप चालक की भीड़ ने कर दी थी पिटाई की थी। बरेली से मीट लेकर पिकअप चालक नासिर हुसैन पर भीड़ ने हमला कर दिया था। भीड़ ने न केवल नासिर की पिटाई की बल्कि, उसकी पिकअप गाड़ी में भी तोड़फोड़ की थी। इस दौरान नासिर गंभीर रूप से घायल हो गया था। बाद में उसकी पत्नी नूरजहां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। दोस्तो पुलिस ने मामले में शुरुआती जांच के बाद कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया था. जबकि, कई लोग फरार हो गए थे। अब सोमवार को पुलिस ने फरार चल रहे 5 युवकों को दबोचा है। सभी आरोपियों को पुलिस ने सोमवार को ही कोर्ट में पेश किया। जहां से कोर्ट के आदेश पर उन्हें न्यायिक हिरासत में हल्द्वानी कारागार भेज दिया गया। अब बीजेपी नेताओं के घर पर नोटिस चस्पा किया गया है और उन्हें कोर्ट में पेश हो कर अपना पक्ष रखने को कहा गया है। ऐसे में देखना होगा कि अब आगे इस पूरे मामले में क्या नया होता है। वैसे बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल क्यों पहुंचा दिल्ली, क्यों पुलिस पर ही बीजेपी के कार्यकर्ता आरोप लगा रहे हैं किसे बचाने और क्या छिपाने की कोशिश हो रही है।