भ्रष्टाचार के भंवर में फंस गई BJP! | Uttarakhand News | Trivendra Singh Rawat | Harak Singh Rawat

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उत्तराखंड में माफिया लिंक और चंदे की आड़ में सत्ता की सफेदी पर लगते काले धब्बे के बारे में बताने आया हूं। दगड़ियो भ्रष्टाचार ‘चेक से’ हो या ‘कैश से’, होता तो भ्रष्टाचार ही है! दोस्तो उत्तराखंड में पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत का कबूलनामा! BJP Of Extorting Money माफिया से लिया पैसा, BJP में मच गया हड़कंप, साथ ही कैसे भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का दावा हुआ ध्वस्त? बताने आया हूं, दगड़ियों हाल के दिनों में उत्तराखंड में ये शोर है कि पार्टिया चंदा लेती हैं बल करोड़ो का और माफिया शराब के ठेकेदारों खनन के ठेकेदारों से ये चंदा लिया जाता है बल, लेकिन ये बिलकुल साफ होता है बल। इस पर कोई काला दाग नहीं होता है बल, कुछ दिन पहले पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के नेता हरक सिंह रावत के उस धमाके ने जहां बीजेपी वालों की नींद उड़ाने का काम किया। जिसमें उन्होंने कहा बीजेपी माफिया से चंदा लेती है और करोड़ों का लेती है। इस पर बीजेपी की तरफ से किसी ने भी खुल कर कुछ नहीं बोलो लेकिन अब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कबूलनाम आया है कि हां पैसा लिया था। हरक सिंह रावत ठीक कह रहे हैं, बीजेपी वालों को पहले इस बात का आभास भी नहीं था कि कुछ ऐसा भी होगा। अब जब हरक सिंह रावत ने कह दिया तो मरता क्या नहीं करता वाली स्थिति में बीजेपी आ गई। बयान पर पलटवार हुआ लेकिन उतने आक्राम अंदाज में नहीं जिससे लगे कि नहीं आरोप झूठे हैं। अब पूर्व मुख्यमंत्री ने कबूल किया है हरक सिंह रावत ठीक बोल रहे हैं और सच बोल रहे हैं, 30 करोड़ नहीं 27 करोड़ लिया था, वाह।

उत्तराखंड की राजनीति में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह बयान न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि BJP के ‘भ्रष्टाचार मुक्त शासन’ के दावे की असलियत भी उजागर करता है। ये कबूलनामा खुद में एक राजनीतिक विस्फोट से कम नहीं, जो सत्ता के गलियारों में मचे उस सन्नाटे को तोड़ रहा है जो हरक सिंह रावत के 30 करोड़ रूपया लेने के बाद बीजेपी में छाया था। दगड़ियो ऐसा लगता है जैसे जिसे अब तक ‘सुशासन’ की चादर से ढका गया था। अब चादर हट रही है तो सच्चाई भी समने आ रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत ने हाल ही में खुलासा किया कि भाजपा ने एक माफिया से 30 करोड़ रुपये पार्टी फंड के नाम पर लिए थे। अब चौंकाने वाली बात यह है कि इस पर भाजपा के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस फंडिंग की पुष्टि की है, यह कहते हुए कि “30 करोड़ नहीं, 27 करोड़ रुपये लिए थे, और वो भी चेक सेदोस्तो अब सवाल यह नहीं है कि पैसा चेक से लिया या टेबल के ऊपर से — सवाल यह है कि अगर पैसा माफिया से लिया गया तो लिया ही क्यों गया? कुछ बड़े सवाल जो BJP से पूछे जाने चाहिए…क्या कोई भी माफिया ‘निःस्वार्थ भाव’ से पार्टी को करोड़ों रुपये दान देता है? अगर पैसा लिया गया, तो उसके बदले में क्या “फेवर” दिए गए? क्या चेक से लिया गया पैसा, अगर माफिया से हो, तो वह वैध हो जाता है? क्या अब भ्रष्टाचार का नया पैमाना यह होगा कि कैश मत लो, चेक ले लो? 27 करोड़ किसने लिए, किस माफिया से लिए, और क्यों लिए? बताओगे क्या यह पैसा इनकम टैक्स या चुनाव आयोग को डिक्लेयर किया गया था? ये भी जांच होनी चाहिए। इस पर भी बात होनी चाहिए।

क्या यह फंड पार्टी अकाउंट में गया या किसी अन्य ट्रस्ट/नाम से ट्रांसफर हुआ? अगर यह पैसा माफिया से लिया गया, तो उस माफिया को क्या-क्या लाभ दिए गए — खनन लाइसेंस? ठेके? या ज़मीन के सौदे? दगड़ियों कुछ भी हो सकता है सवाल कई हो सकते हैं। आप ये कह कर कतई बच नहीं सकते हैं कि आपने पैसा चेक से लिया। टेबल के ऊपर से लिया। “भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड” का नारा किसने दिया था। अब नारे का अब क्या मतलब रह गया बल। जब खुद पूर्व मुख्यमंत्री माफिया से लेन-देन की बात स्वीकार कर रहे हैं? दगड़ियो बीजेपी लगातार खुद को भ्रष्टाचार मुक्त पार्टी के रूप में पेश करती रही है, लेकिन जब उसके ही वरिष्ठ नेता खुलेआम माफिया से पार्टी फंड लेने की बात स्वीकार करते हैं, तो उस छवि को भारी धक्का लगता है…क्या उत्तराखंड में अब माफिया ही सरकार चला रहे हैं? अरे भाई जब पार्टी चलाने के लिए माफिया से मोटा पैसा लिया गया होगा, तो उनकी भी दखंदाजी होगी ना या नहीं होगी। 27 करोड़ रुपये का यह मामला सिर्फ एक लेन-देन नहीं, बल्कि जनता के विश्वास के साथ किया गया खेल है। चुनाव में पारदर्शिता, नीति, और नैतिकता की बातें करने वाले नेता जब माफिया की गोद में बैठते हैं, तो लोकतंत्र का आधार हिलता है। भ्रष्टाचार चाहे टेबल के नीचे हो या ऊपर, कैश में हो या चेक में, वह भ्रष्टाचार ही है।और BJP को यह तय करना होगा कि क्या वह सच में एक “विचार आधारित पार्टी” है — या फिर माफियाओं के दम पर सत्ता में रहने वाली राजनीतिक मशीन?