जी हां दोस्तो एक तरफ पूरा देश बात में उलझा दिखा कि मनरेगा का नाम बदल कर बीवी जीरामजी कर दिया गया, क्यों किया इससे क्या होगा। पूरा संसद सत्र इस बहस में खत्म हो गया तो इधर अपने उत्तराखंड में मनरेगा में बड़ा खेल हो गया। Big game in MNREGA in Uttarakhand नाम जुड़ा एक बीजेपी के विधायक, अब सवाल ये है कि बीजेपी के विधायक हैं या मनरेगा मजदूर। कैसे 4 साल तक विधायक के खाते में हुआ मनरेगा की मजदूरी का भुगतान, बताउंगा आपको ये पूरा खेल और कैसे खुली पोल। दोस्तो उत्तराखंड में मनरेगा योजना को लेकर बड़ा खेल सामने आया तो बवाल होना ही था। चार साल तक हुई भुगतान की गड़बड़ी, लेकिन सवाल उठता है –क्या ये कोई लापरवाही या साजिश के तहत हुआ है या फिर मनरेगा मजदूरों के साथ बड़ा हो गया बड़ा अन्याय विधायक डकार गए मजदूरी। अपने प्रदेश के सीमांत जिले उत्तरकाशी के पुरोला विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल और उनकी पत्नी के खातों में मनरेगा की धनराशि पड़ने का मामला सामने आया है। बीजेपी विधायक दुर्गेश्वर लाल और उनकी पत्नी के खाते में मनरेगा की धनराशि कैसे आई, ये मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले में विकासखंड कार्यालय के अधिकारियों कहते है कि ये पूर्व में उनके जॉब कार्ड के आधार पर डाले गए थे, साथ ही विधायक का कहना है कि ये उनको बदनाम करने की साजिश है। वहीं मामले को गंभीरता से लेते हुए खंड विकास अधिकारी ने जारी की गई धनराशि की रिकवरी करने की बात कही है।
इधर दोसतो देश में एक ओर जहां मनेरगा योजना का नाम बदले जाने से कांग्रेसियों में उबाल है, वहीं जनपद की पुरोला विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक दुर्गेश लाल व उनकी पत्नी निशा के खाते में मनरेगा योजना की मजदूरी (दिहाड़ी) दिए जाने का मामला अब खूब बवाल काट रहा है। पूरा मामला बताता हूं दोस्तो थोड़ा गौर कीजिएगा कि हुआ क्या दरअसल, दोस्तो साल 2022 में BJP के टिकट से विधायक का चुनाव जीतने वाले दुर्गेश लाल का पूर्व में मनरेगा जॉब कार्ड बना हुआ था। उस कार्ड के जरिए उन्हें व उनकी पत्नी को पूर्व में कई बार मनरेगा मजदूरी का भुगतान हुआ लेकिन हाल में विधायक रहते हुए उनके जॉब कार्ड पर दोनों पति-पत्नी को मनरेगा मजदूरी के भुगतान का मामला सामने आया। दोस्तो मनरेगा के ऑनलाइन पोर्टल से जो जानकारी मिलती है उसके अनुसार, जून 2022 में जहां विधायक की पत्नी निशा को रेक्चा के आम रास्ते की पीसीसी खड़ंजा निर्माण कार्य मिलना दिखाया गया है। वहीं, पिछले साल अगस्त-सितंबर 2024 व नवंबर 2024 में भी उन्हें दो बार क्रमश: बाजुडी तोक में पीसीसी व समलाडी तोक में वृक्षारोपण कार्य मिलना दिखाया गया है।
इसी मामले ने अब सियासी तौर पर कांग्रेस को मौका दिया है, तो वहीं सोशल मीडिया से तमाम वेवसाइट्स और अखवारों के पन्नों इस बात का जिक्र और सवाल हैं। जबकि दोस्तो, इस साल में खुद विधायक दुर्गेश लाल को भी पिनेक्ची तोक में भूमि विकास कार्य में रोजगार मिलना दिखाया गया है। दोस्तो थोड़ा इसे भी समझिये, पोर्टल पर विधायक रहते हुए तीन काम का जहां 5,214 रुपए का भुगतान दर्शाया गया है, वहीं साल 2021 से 2025 तक के 11 काम में दोनों पति व पत्नी के खातों में कुल 22,962 रुपए का भुगतान होना दिखाया गया है। दोस्तो इस संबंध में ब्लॉक कार्यालय में मौजूदा क्षेत्र के मनरेगा सहायक कहते हैं कि उनके किसी भी मस्टरोल (श्रमिकों की उपस्थिति, किए गए कार्य और मजदूरी के भुगतान का एक रिकॉर्ड होता है) पर हस्ताक्षर नहीं हैं और न ही ब्लॉक कार्यालय में इसकी फाइल व मस्टरोल भी मिल रही है…वहीं तमाम पोर्टल और पेपर ये छाप रहे हैं कि दुर्गेश लाल विधायक पुरोला विधानसा कहते हैं कि बिचौलियों की दुकानें बंद हो गई, इसलिए वह मुझे ट्रोल कर रहे हैं। तब तक मनरेगा का मस्टरोल नहीं निकलता, जब तक जो काम करता है उसके साइन नहीं होते। यह मेरी छवि खराब करने की साजिश है, विधायक बनने से पूर्व जरूर मेरा जॉब कार्ड था। अब दोस्तो विधायक जी जो भी कहें लेकिन सवाल तो लोग पहुंच ही रही हैं कि ये खेल क्या है। दोस्तो दूसरी तरफ वीडियो मोरी कहते हैं कि मामला संज्ञान में आया है। आराकोट में जन सेवा शिविर के बाद संबंधित सभी कार्मिकों को तलब कर जानकारी ली जायेगी, इसके बाद मामले में दोषी पाये जाने वाले व्यक्ति से मनरेगा के तहत जारी की धनराशि की पूरी रिकवरी की जायेगी। दोस्तों, यह मामला साफ तौर पर बताता है कि मनरेगा जैसी सरकारी योजना में पारदर्शिता और जवाबदेही कितनी अहम है। विधायक और उनके परिवार के खातों में मजदूरी का भुगतान कैसे हुआ, ये सवाल अब पूरी तरह से अधिकारियों की जांच के आगे है देखा जाए तो यह सिर्फ एक राजनीतिक मामला नहीं, बल्कि योजना की पारदर्शिता और आम लोगों के हक की लड़ाई भी है।