Uttarakhand Power Crisis: ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड बिजली संकट से जूझ रहा है ऊर्जा विभाग इस दिक्कत को दूर करने के लिए कई प्रयोग कर भी चुका है और नए प्रयोग करने की ओर अग्रसर भी है। केंद्र सरकार की ओर से ऊर्जा निगम को 300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली दिए जाने से कुछ राहत मिली है। फिलहाल उत्तराखंड में विद्युत आपूर्ति काफी हद तक पटरी पर है। केवल ग्रामीण व औद्योगिक क्षेत्रों में कहीं-कहीं कटौती की जा रही है। इस बार बिजली संकट के दौरान यूपीसीएल ने एनर्जी बैंकिंग के माध्यम से अन्य राज्यों से 21 नवंबर से 30 नवंबर, एक दिसंबर से 31 दिसंबर, एक जनवरी से 31 जनवरी और एक फरवरी से 15 फरवरी के बीच कुल 39 करोड़ 36 लाख यूनिट बिजली उधार ली थी।
अब उन्हें यह बिजली चार प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ लौटानी है। नियामक आयोग में अध्यक्ष डीपी गैरोला और सदस्य तकनीकी एमके जैन की खंडपीठ ने निर्णय दिया है कि उधार की यह बिजली इस साल जून से सितंबर माह के बीच लौटा सकते हैं। यूपीसीएल को यह बिजली 21 जून से 30 सितंबर के बीच चरणबद्ध लौटानी होगी। आयोग ने कुल 41 करोड़ 24 लाख 40 हजार यूनिट बिजली लौटाने की अनुमति दे दी है। चूंकि जून में प्रदेश में बिजली की भारी मांग रहती है, इसलिए जून माह में केवल 12 करोड़ यूनिट का उधार लौटाना है। इसके बाद बरसात होने से प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन बढ़ जाता है। वहीं गर्मी कम होने से बिजली की मांग घट जाती है। लिहाजा, यूपीसीएल के पास इतनी बिजली रहती है कि वह उधार लौटा सके।
इस उधार में से जुलाई में यूपीसीएल को 13 करोड़ दो लाख यूनिट, अगस्त माह में 15 करोड़ 62 लाख 40 हजार यूनिट और सितंबर माह में 12 करोड़ 60 लाख यूनिट लौटानी होगी। मौसम के मिजाज को देखते हुए आने वाले दिनों में ऊर्जा निगम की चुनौती बढ़ सकती है। आने वाले दिनों में भीषण गर्मी के चलते विद्युत खपत चरम पर पहुंचने का अंदेशा है। जिसे देखते हुए बिजली की पर्याप्त उपलब्धता के लिए ऊर्जा निगम को खासी कसरत करनी पड़ेगी। जबकि, प्रदेशवासियों को बिजली कटौती से जूझना पड़ सकता है। आगामी महीनों में विद्युत की मांग की वृद्धि को देखते हुए ऊर्जा निगम को बढ़ी हुई दरों पर पावर एक्सचेंज या अन्य माध्यमों से विद्युत खरीदनी होगी।