धारी देवी क्षेत्र में कार्यवाही जनता नाराज दोस्तों धारी देवी मंदिर परिसर में रात में प्रेस और विवादित कार्यवाही ने लोगों के बीच गहरी चिंता और आक्रोश पैदा कर दिया है। Bulldozers ran overnight at Dhari Devi Temple किसी पूर्व सूचना के नेशनल हाईवे से जुड़े संपर्क मार्ग पर स्थित कहीं दुकानों को जेसीबी से तोड़ दिया गया पुलिस स्टॉप ऐसे में बड़ा सवाल है कि आखिर यह कार्यवाही रातों-रात क्यों की गई? क्या प्रशासन ने स्थानीय लोगों की आवाज सुनी या फिर यह कोई सियासी दबाव का हिस्सा है? इस कार्यवाही ने न सिर्फ व्यापारियों की आजीविका पर असर डाला है बल्कि हाल ही में हुई बाढ़ और बारिश के बीच स्थानीय लोगों की मुश्किल है और बढ़ा दी हैं पुलिस ऑफ दगड़िया धारी देवी मंदिर जो धार्मिक आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ आसपास के इलाकों के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है मंदिर क्षेत्र परिसर में प्रशासन में एक अचानक और विवादित कार्यवाही की नेशनल हाईवे से धारी देवी मंदिर को जोड़ने वाले संपर्क मार्ग पर स्थित कहानी छोटी दुकानों को जेसीबी के बुलडोजर से रातों रात तोड़ दिया गया।
प्रशासन ने इस अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत किया बताया लेकिन इस कार्यवाही ने स्थानीय व्यापारियों और आम जनता के बीच भारी गुस्सा और असंतोष उत्पन्न कर दिया है। दोस्तों धारी देवी के आसपास का बाजार वर्षों से यहां के लोगों के लिए रोजगार और रोजी-रोटी का जरिया रहा है। छोटे दुकानदार अपने परिवार का सहारा इसी बाजार से जुटाते हैं। यह बाजार धार्मिक यात्रियों के अलावा आसपास के ग्रामीण इलाकों के लिए भी आवश्यक वस्तुओं का मुख्य केंद्र है। दुकानदारों का कहना है कि प्रशासन ने ना तो कोई भी पूर्व सूचना दी न किसी वैकल्पिक व्यवस्था की बात कही अचानक और रात के वक्त हुई इस कार्यवाही में उनकी आजीविका को सीधे चोट पहुंचाई है। दोस्तों इस कार्यवाही के पीछे प्रशासन की मनसा-साफ लगती है कि यह अतिक्रमण हटाना और सड़क मार्ग को बेहतर बनाना है ताकि तीर्थ यात्रा और यातायात में बाधा ना आए।
वैसे किसी प्रशासनिक अधिकारी की कोई बात सामने नहीं आई है हालांकि सवाल उठता है कि इतनी संवेदनशील जगहों पर और भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात के बीच यह कार्यवाही रातों-रात क्यों की गई? क्या प्रशासन के पास दिन में कार्यवाही करने का कोई विकल्प नहीं था वहीं दगड़िया धारी देवी क्षेत्र में हाल ही में भारी-बड़ी हुई है जिस कारण आसपास की नदियों का जल स्तर बढ़ गया था इससे बाढ़ जैसे स्थिति उत्पन्न हो गई जिसने पहले ही स्थानीय लोगों की मुश्किल को बढ़ाया है। स्थानीय दुकानदारों ने कहा बिना नोटिस शाहपुर और चेतावनी के दुकान तोड़ दी जिससे बाजार में भारी आक्रोश फैल गया। लगभग चार से पांच दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया है जिससे प्रभावित परिवारों का आर्थिक नुकसान हुआ है। पूरी घटना से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन और स्थानीय जनता के बीच संवाद की कमी है बेहतर होता अगर प्रशासन पहले स्थानीय व्यापारियों को कार्यवाही की सूचना देता और वैकल्पिक व्यवस्था का प्रबंध करता ताकि किसी का रोजगार ना छीने।
इसके अलावा बाढ़ और बारिश के बीच कार्यवाही करने का फैसला भी पुनर्विचार का विषय है। इस घटना ने यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि धार्मिक और पर्यटन स्थल के आसपास के बाजारों को संरक्षित और व्यवस्थित करने के लिए प्रशासन क्या कदम उठा रहा है? क्या भविष्य में इस तरह की कार्यवाहियों को और ज्यादा पारदर्शी और संवेदनशील तरीके से किया जाएगा यह भी देखना होगा कि प्रशासन स्थानीय लोगों की परेशानियों को किस प्रकार काम करता है और उनके साथ संवाद स्थापित करता है लेकिन अभी तो प्रशासन की तरफ से कुछ भी इस मामले में नहीं कहा गया है यह बात बता रही है कि प्रसाद परेशानी बड़ी है ऐसी कहीं और दुकान होगी और दोस्तों अपनी तो देवभूमि है मंदिरों के आसपास सड़क के किनारे आपको स्थानीय और अस्थाई दुकानें खूब मिलेगी जिससे सैकड़ो हजारों लोगों का घर चल रहा है इस ठोस काम जिससे कि लोगों के सामने बाढ़ और बारिश नदी नालों के सैलाब के अलावा कोई दूसरी परेशानी खड़ी ना हो।