2022 आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्षी कैंप में भगदड़ मचा दी थी। अब उपराष्ट्रपति चुनाव में ओबीसी जाट चेहरे और पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ को NDA उम्मीदवार बनाकर मोदी-शाह ने फिर विपक्षी कैंप में खलबली मचा दी है। पश्चिम बंगाल के गवर्नर के रूप में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी सरकार से लगातार उलझ रहे धनखड़ को उपराष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनाकर सबसे बड़ा मैसेज तो पश्चिमी यूपी से लेकर दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की करीब 40-50 लोकसभा सीटों में फैले नाराज जाट वोटर को देने का दांव लगता है। तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ चले साल भर से भी लंबे किसान आंदोलन की रीढ़ बाद में हरियाणा और पश्चिमी यूपी का जाट तबका ही बन गया था।
अब जब अगले साल राजस्थान में विधानसभा का चुनाव होना हैं, तब राज्य की बड़ी आबादी यानी जाट वोटर्स को फ़ीलगुड कराने की पहली बड़ी कोशिश होती नजर आ रही है। कहते हैं राजस्थान में भले जाट सीएम न बन पा रहा हो लेकिन सरकार उसी की बनती है जिसे जाट वोटरों का समर्थन मिलता है। वह भी तब जब लगातार यह कहा जा रहा हो कि जाटों में भाजपा और मोदी सरकार को लेकर नाराजगी बढ़ रही है। पहली बार किसी ओबीसी चेहरे को उपराष्ट्रपति की रेस में अपना फेस बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर दिल्ली से लगती जाट वोटर्स के असर वाली करीब 50 सीटों के लिए तो हाथ बढ़ा ही दिए हैं। साथ ही जाट चेहरे धनखड़ को आगे कर 2023 में राजस्थान में हो रहे चुनाव में भाजपा बढ़त बना सकती है। जबकि उसे हरियाणा का विधानसभा चुनाव भी लड़ना है और जाट वर्सेस नॉन जाट की लड़ाई कहीं हैट्रिक बनाने उतरने वाली मनोहर लाल खट्टर सरकार पर भारी न पड़ जाए यह भी मोदी-शाह की चिन्ता का विषय रहा होगा। दिल्ली और पश्चिमी यूपी में भी जाट वोट लोकसभा चुनाव 2024 की लड़ाई में मोदी-शाह के बड़े मददगार साबित हो सकते हैं।
धनखड़ की उम्मीदवारी का ऐलान करते हुए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जिस तरह उन्हें ‘किसान पुत्र’ कहकर संबोधित किया उससे साफ लगता है कि मोदी-शाह ने किसानों और खासकर नाराज दिख रहे जाट तबके को साधने का दांव खेला है। धनखड़ के नाम पर मुहर लगाकर मोदी-शाह ने मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक को भी जवाब दे दिया है। ऐसे में जब राज्यपाल मलिक लगातार केन्द्र की नीतियों और फैसलों पर सवाल खड़े कर रहे हैं और रिटायरमेंट के बाद मूवमेंट से जुड़ने का दम भर रहे, तब जाट चेहरे के तौर पर धनखड़ को उपराष्ट्रपति की रेस में उतारकर जवाब दिया गया है। राज्यपाल धनखड़ जिस राजस्थान से आते हैं वहाँ से वे पूर्व उपराष्ट्रपति उम्मीदवार भैरों सिंह शेखावत के बाद दूसरे नेता हैं जिनको उपराष्ट्रपति बनने का अवसर मिल रहा है। जनता दल और देवीलाल से लेकर वीपी सिंह के करीबी रहे धनखड़ सीधे सीधे संघ या भाजपा की पाठशाला से न होकर किसान राजनीति के अगुआ रहे हैं। अब जब राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, तब किसान और जाट वोटरों को लुभाने का यह बड़ा दांव साबित हो सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पश्चिमी यूपी से लेकर हरियाणा, राजस्थान तक जाटों को अपने पाले में लाने का लक्ष्य है।