देहरादून: सीबीआई ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) के 8 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। मामला 6 करोड़ रुपए के उपकरणों की खरीद घोटाले से जुड़ा है। जानकारी के मुताबिक सीबीआई ने बीती 21 अगस्त हो ही मामला दर्ज कर लिया था। बताया जा रहा है कि उपकरण खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता की शिकायत के बाद सीबीआई, अपराध निरोधक शाखा और एम्स के अधिकारियों ने मामले की जांच की थी। बताया जा रहा है कि जांच में उपकरणों की खरीद में अनियमितता की बात सामने आई है। इसके अलावा जांच में ये भी सामने आया कि करोड़ों रुपए की लागत के खरीदे गए उपकरणों का तीन साल इस्तेमाल भी नहीं किया गया। प्राथमिक जांच में करीब 6 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आने की बात पता चली है। एम्स ऋषिकेश में उन्नत वेसल सीलिंग उपकरण की खरीद के लिए आठ जनवरी 2019 से 22 फरवरी 2019 के बीच टेंडर प्रक्रिया की गई थी। जिसमें एम्स ऋषिकेश में कार्यरत माइक्रोबायोलाजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर बलराम जी ओमर को खरीद अधिकारी और समन्वयक नियुक्त किया गया था।
सीबीआइ जांच में यह बात सामने आई कि एम्स ऋषिकेश ने निविदा शर्तों को ताक पर रखते हुए कम बोली लगाने वाली आरोग्य इंटरनेशनल कंपनी से सात उन्नत वेसल सीलिंग उपकरण 55,38,312.70 रुपये प्रति यूनिट की दर से कुल 38,76,8188.93 रुपए में क्रय किए। जबकि इससे पूर्व एम्स ऋषिकेश ने यही उपकरण 19,92,480 रुपये प्रति यूनिट के दर से क्रय किए थे। जांच में यह भी पाया गया कि करोड़ों की लागत से खरीदे गए इन उपकरणों का उपयोग तीन वर्ष तक नहीं किया। इस खरीद में लगभग 6.57 करोड रुपये से अधिक की राशि का घोटाला किया गया। इस मामले में जांच में दोषी पाए जाने पर एम्स के माइक्रोबायोलाजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. बलराम जी ओमर , मैसर्स आरोग्य इंटरनेशनल, सेंट्रल मार्केट, प्रशांत विहार, नई दिल्ली और उसके साझेदार सुमन वर्मा व विश्ववीर वर्मा निवासी पीतमपुरा, नई दिल्ली साथ ही मैसर्स रिया एजेंसीज, ट्रांसपोर्ट नगर, जोधपुर, राजस्थान और उसके पार्टनर निखिल कुमार निवासी महादेव रोड, नई दिल्ली, आदित्य कुमार सिंह निवासी जगसरा,हरदोई, उत्तर प्रदेश व एक अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।