काशीपुर में चालान घोटाला ! | Uttarakhand News | Kashipur News | E Challan

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काशीपुर में चालान की बड़ी गड़बड़ी, बिना हेलमेट चालान मिला गलत शख्स को, कैसे खुला मामला। दोस्तो काशीपुर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां बिना हेलमेट स्कूटर सवार महिला का जुर्माना गलत शख्स को भेज दिया गया। Challan scam in Kashipur खटीमा के रहने वाले उग्रसेन के नाम पर आई चालान की राशि करीब साढ़े चार हजार रुपये है, जबकि उनके पास स्कूटर तक नहीं है। क्या यह प्रशासन की गलती है या कहीं इसमें कोई साजिश छुपी है?इस मामले ने ट्रैफिक पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। चलिए दोस्तो विस्तार से बताता हूं इस चालान विवाद की पूरी कहानी। दोस्तो ऊधम सिंह नगर के काशीपुर में ट्रैफिक पुलिस द्वारा बिना हेलमेट स्कूटर सवार महिला का लगभग साढ़े चार हजार रुपए का ई-चालान जारी किया गया। मामला यहीं तक सीमित रहता तो शायद इतनी चर्चा न होती, लेकिन बड़ी बात यह है कि चालान खटीमा के पहेनिया निवासी उग्रसेन के नाम पर भेज दिया गया, जो स्कूटर का मालिक भी नहीं है, अब आता हूं दोस्तो चालान की गड़बड़ी ने कैसे बढ़ाई परेशानी पर दोस्तो जिसे ये चलाना मिल जिसका नाम उग्रसेन के पास मोटरसाइकिल है, न कि स्कूटर, और वह कभी काशीपुर भी नहीं गया।

इस घटना ने एक बड़ी प्रशासनिक गड़बड़ी को उजागर किया है, जो आम जनता के लिए चिंताजनक है। बिना हेलमेट का जुर्माना कानूनन उचित हो सकता है, लेकिन जब जुर्माना किसी निर्दोष व्यक्ति पर थोप दिया जाए, तो यह सवाल उठता है कि प्रशासन कितनी सावधानी बरत रहा है तो इस मामले का क्या होगा सच बल ये कैसे हो सकता है। उग्रसेन का कहना है कि यह मामला या तो दो अलग-अलग वाहनों के एक जैसे नंबर होने का है या नंबर की किसी अंक की गलती की वजह से इस गड़बड़ी को जन्म दिया गया है। जब उन्हें पहली बार चालान का मैसेज आया, तो उन्होंने उसे नजरअंदाज कर दिया। लेकिन जब दूसरी बार चालान जमा करने की चेतावनी आई, तो उन्होंने ऑनलाइन दस्तावेज निकालकर जांच की और पूरे मामले को सामने लाया। इताना भर नहीं है कि उग्रसेन ने डीएम, एसपी, काशीपुर और खटीमा थाने में शिकायत दर्ज कराई है और ट्रैफिक पुलिस से मामले की जांच कर सही व्यक्ति पर ही चालान लगाने तथा उन्हें गलत चालान से मुक्त कराने की मांग की है। उनकी अपील है कि स्कूटर सवार महिला का चालान सही व्यक्ति से वसूला जाए, न कि निर्दोष को फंसाया जाए।

दोस्तो ये मामला प्रशासन की कार्यप्रणाली और तकनीकी जांच की कमजोरी को उजागर करता है। ई-चालान सिस्टम का उद्देश्य जनता को नियम पालन के प्रति जागरूक करना है, लेकिन ऐसी गलतियां जनता के विश्वास को कमजोर करती हैं। काशीपुर ट्रैफिक पुलिस पर यह जिम्मेदारी बनती है कि वह जल्द से जल्द इस मामले की निष्पक्ष जांच करें और ऐसी भूल को दोबारा न होने दें। इसके अलावा दोस्तो ये घटना आम जनता के लिए भी चेतावनी है कि वे प्राप्त हुए चालान की जांच करें और यदि कोई त्रुटि हो तो तत्काल प्रशासन को सूचित करें। केवल जुर्माना भरना समाधान नहीं, बल्कि सही कार्रवाई का पालन आवश्यक है। दोस्तो काशीपुर की यह चालान गड़बड़ी न केवल प्रशासन के लिए चुनौती है, बल्कि पूरे सिस्टम में सुधार की जरूरत का आईना भी है। न्याय मिलने तक उग्रसेन का संघर्ष जारी रहेगा और प्रशासन की जवाबदेही का इंतजार रहेगा। अब सवाल यह है कि प्रशासन इस मामले को कितनी तेजी और गंभीरता से सुलझाता है, ताकि निर्दोष लोगों को बेवजह परेशानी का सामना न करना पड़े।