CM धामी ने की जी 20 बैठक में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों से मुलाकात, डिनर में लगा उत्तराखंड के जायके का तड़का

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G20 Summit Uttarakhand: भारत जी 20 सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है। जिसको लेकर देश के कई हिस्सों में जी 20 बैठक हो रही है। वहीं, उत्तराखंड में भी तीन बैठक रखी गई है। रामनगर में आयोजित जी 20 बैठक को लेकर देश-विदेश से डेलीगेट्स आए हुए हैं। इस दौरान उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोसी रिवर व्यू लॉन के नमह रिजॉर्ट में जी 20 बैठक में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों से मुलाकात की। साथ ही बैठक में शामिल होने वाले प्रतिनिधियों के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज में सीएम धामी शामिल हुए। इस दौरान रामनगर की स्थानीय जनता ने भी सीएम धामी का स्वागत किया।

मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि विश्व की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला हिमालय की गोद में बसा हमारा यह प्रदेश उत्तराखंड, “देवभूमि” के रूप में विख्यात है, क्योंकि यह केदारखंड और मानसखंड मंदिर समूहों तथा बद्रीनाथ धाम जैसे पौराणिक धाम की पवित्र भूमि है। यह हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे आध्यात्मिक केंद्रों तथा योग, आयुर्वेद और प्राणायाम का एक वैश्विक हब हैं, इतना ही नहीं यह प्रदेश सनातन धर्म और संस्कृति जिसे हिंदू धर्म के रूप में भी जाना जाता है, का प्राचीनतम केंद्र भी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी महान वैज्ञानिकों द्वारा एक बेहतर विश्व बनाने के प्रयासों के अंतर्गत ऐसी महान धरती पर किया जा रहा यह चिंतन अवश्य ही संपूर्ण मानवता के लिए हितकारी सिद्ध होगा। जी-20 की थीम One Earth, One Family, One Future भारतीय संस्कृति की “वसुधैव कुटुंबकम की सोच पर आधारित है। हमारे देश की प्राचीन और महान संस्कृति ने ही सर्वप्रथम “वसुधैव कुटुम्बकम” अर्थात “समस्त विश्व ही एक परिवार है” की अवधारणा समस्त विश्व के समक्ष रखी थी। G-20 की यह विशेष बैठक Chief Science Advisors Roundtable हमारी सनातन संस्कृति की इसी मूल अवधारणा को पुष्चित व पल्लवित करने में सहायक सिद्ध होगी।

जी 20 समिट में कई मुद्दों पर चर्चा की गई। प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने बताया इस दौरान चार मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। जिसमें पहला मुद्दा स्वास्थ्य का रहा, जिसके तहत वन हेल्थ पर मंथन हुआ। जिसके तहत भविष्य आने वाले कोई भी बड़ी बीमारी और महामारी से कैसे निपटा जाए? इस पर चर्चा हुई। दूसरा मुद्दा पूरी दुनिया में विज्ञान से जुड़ी जानकारियों को जन-जन तक पहुंचाने को लेकर हुई। तीसरा मुद्दा विज्ञान स्तर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विविधता और समानता लाने को लेकर हुई। जबकि, चौथा मुद्दा विज्ञान को बीच में रखते हुए सभी देश के लीडरशिप तक आवाज पहुंचाने को लेकर हुआ।