Uttarakhand Poltics: कांग्रेस विधानसभा बैक डोर भर्ती मामले में लगातार धामी सरकार को घेर रही है। इस कड़ी में कांग्रेस के सभी नेता सड़कों पर हैं, मगर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य इस दौरान कहीं भी नजर नहीं आ रहे हैं। जहा एक तरफ उत्तराखंड विधानसभा में नेताओं द्वारा रिश्तेदारों और करीबियों को नौकरी दिलाई का मामला पूरे देश की सुर्खियों में छाया है। इस बीच उत्तराखंड कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य इस पूरे एपिसोड से गायब दिखाई दे रहे हैं। हैरत की बात तो यह है कि विधानसभा के बाहर हुए कार्यक्रम में भी यशपाल आर्य देहरादून में होने के बावजूद शामिल नहीं हुए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य की बैक डोर भर्ती मामले में चुप्पी बहुत से सवाल खड़े कर रही है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि जब कांग्रेस ने विधानसभा के बाहर इस नियुक्ति का विरोध किया तो भी यशपाल आर्य यहां भी नहीं पहुंचे। जानकर आश्चर्य होगा कि यशपाल आर्य इस दौरान देहरादून में ही मौजूद थे। जब विधानसभा में हुए विरोध के बाद कांग्रेस भवन में संगठन का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया तो उसमें यशपाल आर्य दिखाई दिए। इससे पहले हरीश रावत का इस मामले पर 24 घंटे तक चुप्पी साधे रखना और अब इतने दिनों बाद भी विधानसभा में नियुक्ति पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का चुप रहना कई सवाल खड़े कर रहे हैं। हालांकि, इस मामले में कांग्रेस के नेता कहते हैं कि नेता प्रतिपक्ष की असली भूमिका विधानसभा के अंदर होती है, फिलहाल सड़कों पर संगठन संघर्ष कर रहा है।
दरअसल, पहली निर्वाचित सरकार में जहां मुख्यमंत्री के तौर पर नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री थे तो उनके करीबी यशपाल आर्य को विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। यह वह समय था जब कांग्रेस के नेताओं के रिश्तेदारों को विधानसभा में नौकरी दी गई, शायद इसीलिए यशपाल आर्य खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। यशपाल आर्य का इस तरह दूर दूर रहना उनकी भूमिका को संदेह के घेरे में खड़ा करता है। कहा जा रहा है कि उस दौरान विधानसभा में कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर कोई नियमावली नहीं थी। यदि यह बात है तो यशपाल आर्य को खुलकर सामने आना चाहिए और नेता प्रतिपक्ष होने का धर्म भी निभाना चाहिए, ताकि पार्टी एक मंच पर मजबूत दिखाई दे।