Uttarakhand Poltics: 2022 की चुनावी बिसात में जब कांग्रेस का तमाम पर्वतीय जिलों में सुपड़ा साफ हो रहा था, तब हरिद्वार जिले में पार्टी की परफॉर्मेंस ने भाजपा रणनीतिकारों को तगड़ा झटका दिया और आठ सीटों से गिरकर भाजपा तीन सीटों पर सिमट गई। बावजूद इसके लोकसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भाजपा ने जबरदस्त वापसी करते हुए पहली बार जिला पंचायत चुनाव में 14 सीटें झटक ली, तो वहीं,कांग्रेस पंचायत चुनाव बुरी तरह पिछड़ गई और अब तो आलम यह है कि विधानसभा चुनाव नतीजों में दिखे हरिद्वार जैसे गढ़ में ही कांग्रेस में भगदड़ मच गई है!
हरिद्वार में बाकी नेता कार्यकर्ताओं का हाल क्या होगा उसकी कल्पना करना छोड़िए बल्कि आलम देखिए कि पार्टी की वरिष्ठ विधायक ममता राकेश के बेटा और बेटी ने भी BJP ज्वाइन कर ली है। सवाल है कि अगला नंबर किसका है? क्या कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने खुद अपने बेटे अभिषेक राकेश और बेटी आयुषी राकेश को आशीर्वाद देकर बीजेपी में भेजा है? अगर ऐसा है तो क्या अभी से कयास लगाए जाने शुरू कर दिए जाने चाहिए कि जल्द ममता राकेश भी अपने समर्थकों संग कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो जाएंगी?
यह कयास इसलिए भी लगाए जा सकते हैं क्योंकि विधायक ममता राकेश का बेटा अभिषेक राकेश राजनीतिक कामकाज में अपनी मां का हाथ बंटाता रहा। यानी बेटे अभिषेक का भाजपा में जाना कोई घर के भीतर की बगावत या मतभेद नहीं जान पड़ता है। ज्ञात हो कि ममता राकेश की बेटी आयुषी निर्विरोध क्षेत्र पंचायत चुनाव जीती है और दावेदारी भगवानपुर से ब्लॉक प्रमुख पद को लेकर है। जाहिर है कांग्रेस में रहते यह संभव नहीं था लिहाजा राजनीतिक ‘समझदारी’ दिखाकर बीजेपी ज्वाइन कर डाली। इसी तरह ममता राकेश के बेटे अभिषेक राकेश को भी बीजेपी में राजनीतिक भविष्य सुरक्षित नजर आ रहा है।
रविवार को लक्सर रोड स्थित जगजीतपुर में भाजपा जिला कार्यालय में कांग्रेस विधायक ममता राकेश के बेटा बेटी को भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। जानकार बता रहे कि असल में यह खेला पूर्व मुख्यमंत्री निशंक का ही है, जिनकी रणनीति लोकसभा चुनाव 2024 तक हरिद्वार जिले में कांग्रेस की कमर तोड़ देना है। दरअसल हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की पहली चुनावी चुनौती थी जिसमें मिली कामयाबी ने दोनों के राजनीतिक कद ने इजाफा करने का काम किया है। अब जिस तरह से कांग्रेस के विधायकों का कुनबा टूटने लगा वह कांग्रेस पार्टी के लिए किसी बड़े खतरे से कम नहीं।