केस है UKSSSC पेपर लीक का — सच उभरने को है, पर दबाव है चरम पर, सीएम धामी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, लेकिन कांग्रेस कह रही है — ‘अब और दबी हुई कहानी नहीं चलेगी’ देहरादून की सड़कों पर हंगामा मचा — सीएम आवास की ओर कांग्रेस का कूच हुआ, पुलिस ने रोका। Congress March To CM Residence उसके बाद एक सुर में कांग्रेस के बड़े से लेकर छोटे नेता ने कह दिया प्रदेश की बीजेपी सरकार भारी दबाव में है अब ये दबाव क्या है। दगडि़यो UKSSSC स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा में कथित पेपर लीक की घटना ने प्रदेश राजनीति, युवा अभ्यर्थियों की आशाएँ और प्रशासन की विश्वसनीयता — तीनों को एक साथ कस कर परीक्षण में डाल दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुछ कदम उठाए — जैसे सीबीआई जांच की संस्तुति, और हाईकोर्ट के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश की निगरानी में जांच करने की घोषणा — लेकिन विपक्ष का कहना है कि ये घोषणाएँ मात्र दबाव कम करने की रणनीति हैं। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें बैरिकेड्स लगाकर रोक दिया। इस बीच राजनीति गरमाई हुई है और जनता, विशेषकर युवाओं, स्थिति से चिंतित हैं। पेपर लीक की घटना और सार्वजनिक विवाद बन गया अब सियासत भी जमकर सड़क पर सरकार को घेर रही है। दोस्तो 21 सितंबर को UKSSSC की स्नातक स्तर की भर्ती परीक्षा आयोजित की गई। उसी दिन परीक्षा के तुरंत बाद (या के बीच में) पेपर के कुछ पृष्ठ सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। छात्रों, अभ्यर्थियों और बेरोजगार संघों ने इस घटना को निष्पक्ष परीक्षा प्रक्रिया पर गंभीर धक्का माना और विरोध प्रदर्शन प्रारंभ कर दिया। मुख्य आरोपी खालिद मलिक को गिरफ्तार किया गया है — उसके कई कदों की पूछताछ जारी है लेकिन कांग्रेस की मांग है कि कार्रवाई जो हो हो लेकिन सीबीआई जांच पर भी भरोसा नहीं हैं। दोस्तो अब विपक्ष अपनी मांग को लेकर सरकार को घेर रहा है, लेकिन सरकार और सीएम धामी का कदम उठाए हैं – छात्रों द्वारा धरना दिए जाने के बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद प्रदर्शन स्थल पहुंचकर छात्रों से संवाद किया। – उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है, और उन्होंने सीबीआई जांच की सिफारिश की। – इसके पहले ही सरकार ने एक SIT (विशेष जांच दल) गठित किया था, जिसकी निगरानी हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को सौंपी गई थी। परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है। अब कांग्रेस वाले पेरर को रद्द करने की मांग कर रहे हैं– कांग्रेस ने इस विषय को राजनीतिक मोर्चा बनाया और आज मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया।– आंदोलन की मांगें तीन प्रमुख बिंदुओं पर केन्द्रित हैं: पेपर लीक की जांच सीबीआई से कराई जाए, और वह भी हाईकोर्ट के जज की निगरानी में। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष को तत्काल बर्खास्त किया जाए। विवादित परीक्षा रद्द कर नई तिथि घोषित की जाए। दोस्तो विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार इस घोटाले को दबाने की कोशिश कर रही है, और निष्पक्ष जांच से बच रही है। कहा जा रहा है कि छात्रों के दबाव और विपक्ष की हमले की रणनीति ने सरकार को कदम उठाने पर मजबूर किया। – कांग्रेस का बयान है कि धामी का दौरा “युवाओं के संघर्ष का परिणाम” है, न कि सरकार की पहल। दोस्तो शिक्षा, भर्ती और अवसरों की प्रक्रिया में अगर निष्पक्षता पर सवाल उठे, तो पूरे सिस्टम में अविश्वास पनप जाता है। छात्रों की मेहनत पर छाया शक की भावना बन जाती है। यदि सरकार समय रहते और ठोस तरीके से कार्रवाई न करे, तो अगली भर्ती परीक्षाओं और चयन प्रक्रिया पर भी शंका बनी रहेती है, लेकिन इधर बीजेपी वाले कांग्रेस की हंगामे को बौखलाहट बता रहे हैं। अब सवाल तो ये भी है कि कांग्रेसवाले तब जागे जब बेरोजगार संघ वाले धरना स्थगित कर घर लौट गए। दूसरा सवाल ये भी कि सरकार की जांच पर अब अभियर्थि और बेरोजगार संघ वाने कोई सवाल नहीं कर रहे हैं फिर कांग्रेस के सवालों के कहां जगह बचती है, लेकिन फिर भी कांग्रेस ये दिखाने में शायद कामयाब रही कि इस सीएम आवास कूच में कांग्रेस के सभी नेता शामिल हुए।