देहरादून: लेखपाल-पटवारी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर है। इसी कड़ी में देहरादून के गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, विधायक अनुपमा रावत, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत तमाम कांग्रेसी नेता सांकेतिक उपवास पर बैठे। इस दौरान उन्होंने भर्ती घोटालों को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाया। हरीश रावत का कहना है कि राज्य की व्यवस्था संचालन हेतु गठित संस्थाएं राज्य के मुकुट पर रत्न की भांति है, इनकी चमक राज्य के भाल को आलोकित करती है। आज कुछ रत्न चटक गए हैं। जैसे अधिनस्थ सेवा चयन आयोग, राज्य सहकारी बैंक, पंतनगर विश्वविद्यालय, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय, तराई बीज निगम, संस्था के रूप में विधान सभा सचिवालय।
अभी-अभी राज्य का लोक सेवा आयोग रूपी बड़ा रत्न चटका है। कुछ और भी चटकने की ओर बढ़ रहे हैं। राज्य विद्युत निगम, जल निगम, परिवहन निगम, गढ़वाल मंडल विकास निगम, वन निगम, मुक्त विश्वविद्यालय, दून विश्वविद्यालय, तकनीकी विश्वविद्यालय आदि-आदि लंबी फेहरिस्त है। मैं इस सबके लिए व्यक्तिगत तौर पर मुख्यमंत्री को उत्तरदायी नहीं मानता हूं। वह तो अभी-अभी आए हैं। मगर वह एक ऐसे तंत्र का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसे उपरोक्त संस्थाओं में ऐसे लोगों को नियुक्त करने के लिए बाध्य किया जा रहा है, जिनकी क्षमता का आकलन उनकी वैचारिक सोच या प्रतिबद्धता हैं। पब्लिक सर्विस कमीशन में महत्वपूर्ण स्थानों व संवेदनशील कार्यों हेतु कुछ विशेष प्रकार के लोगों को नियुक्त किया गया है। पंतनगर विश्वविद्यालय में तो अब शोध कार्य भी वैचारिक सोच के आधार पर दिए जा रहे हैं।
छोटा राज्य है हम कहां जाकर रूकेंगे! मुझे सुर्खियों का शौक नहीं है। मैं तो उस समय भी सुर्खियां बटोरता था, जब मुझ पर चोट करने वाले लोग पैदा भी नहीं हुए थे। आज कल देहरादून में राज्य के भविष्य लड़के-लड़कियों के मुंह जहां-तहां पुकार लगा रहे हैं। उन्हें अपने भविष्य, मां-बाप के लिए हुए कर्ज, भाई-बहनों के उत्तरदायित्व की चिंता है। उनके मुरझाये चेहरे बिना कहे सब कुछ कह रहे हैं। उन्हें थोड़ी सहानुभूति दिखा दो तो रो पड़ रहे हैं। मेरे शब्द उनके मनोभावों को व्यक्त करने में असमर्थ हैं। राज्य लुटेरों के संगठित गिरोह में फंसा हुआ है। पक्ष-विपक्ष, दोनों को इन नौजवानों की चित्कार सुननी चाहिए। पक्ष अपना कार्य करे, हमें अपना कर्तव्य पूरा करना चचाहिए। आज का उपवास/धरना आदि एक कदम मात्र है और आगे भी पूरी शक्ति से लड़ें।
22 जनवरी, 2023 को फिर संघर्ष जोड़ना पड़ेगा। आगे इस संबंध में कांग्रेस पार्टी को इस संबंध में निर्णय लेना है।