हरीश-प्रीतम की जुबानी जंग के बीच बचाव करने उतरे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा, दी ये नसीहत

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Uttarakhand Congress: विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस नेताओं में कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। विधानसभा चुनाव में हार और 2016 में हुई बगावत पर इन दिनों हरीश-प्रीतम के बीच जुबानी जंग जोरों पर है। कांग्रेसी नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के बीच सोशल मीडिया पर छिड़ी जुबानी जंग शायद ही किसी से छिपी हो। प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने अप्रत्यक्ष रूप से हरीश रावत पर निशाना साधा और कहा कि प्रदेश में कांग्रेस के कमजोर होने की वजह साल 2016 में कांग्रेस में हुई टूट है।

अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा का भी बड़ा बयान सामने आया है। माहरा ने कहा कि वो इस मसले पर हरीश रावत और प्रीतम सिंह से जल्द मुलाक़ात करेंगे। उन्होंने कहा कि इस तरह की बातों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रखने की बजाय पार्टी फोरम में रखना चाहिए।इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है। वहीं राजनेतिक गलियारों और खास तौर पर कांग्रेस के भीतर इस बात को लेकर चर्चा है की कांग्रेसी संगठन के खिलाफ बयानबाजी करने और लिखने वाले कांग्रेसी नेताओ को बाहर का रास्ता दिखाने वाले अध्यक्ष जी, इन बड़े नेताओं पर क्या और कब कार्यवाही करते है, क्योंकि अनुशासनहीनता तो सबके लिए बराबर है और यहां तो खुलमखुल्ला एक दूसरे पर तीर साधे जा रहे है।

विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम हरीश रावत अघोषित तौर पर खुद को मुख्यमंत्री का चेहरा बताते हुए आगे बढ़ रहे थे तो पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़े जाने की बात पर अड़े थे। चुनाव में हार मिली तो अब दोनों ही इन मुद्दों को हार की वजह बता रहे हैं। हरीश रावत जहां खुद और पार्टी की हार के लिए प्रीतम का नाम लिए बैगर उनकी ओर इशारा कर रहे हैं, वहीं प्रीतम ने भी खुले तौर पर मोर्चा खोल रखा है। उन्होंने वर्ष 2016 में पार्टी में हुई बगावत के लिए सीधे तौर पर हरीश को जिम्मेदार ठहरा दिया। उनका कहना है कि वर्तमान में पार्टी की जो हालत है, उसके लिए वर्ष 2016 की बगावत प्रमुख वजह है। तब जो लोग कांग्रेस छोड़कर चले गए थे, उसकी वजह से आज पार्टी कमजोर हुई है।