देवभूमि में तेजी से घट रही हिंदु आबादी और तेजी बढ़ रही मुस्लिम की आबादी, खुफिया एंजेंसियां सतर्क, ये साजिश है फर्जीवाड़ा सब बताने के लिए आया हूं। दोस्तो उत्तराखंड में क्या कोई बड़ी साजिश चल रही है? क्या वाकई कुछ इलाकों में हिंदू अब अल्पसंख्यक हो गए हैं? और क्या ये बदलाव महज़ आंकड़ों का खेल है या इसके पीछे है एक संगठित रणनीति? Muslim population is increasing in Devbhoomi देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में अब खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। बताया जा रहा है कि कई संवेदनशील क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी में असामान्य तेजी से वृद्धि हुई है — और यही कारण है कि इनपुट मिलने के बाद जांच एजेंसियों की नजर अब जमीन पर है। आखिर किन इलाकों में बदले हैं धार्मिक समीकरण? क्या यह जनसंख्या असंतुलन सामाजिक तनाव की आहट है? और सबसे बड़ा सवाल — क्या उत्तराखंड में सब कुछ वैसा ही है जैसा दिख रहा है? आज की बड़ी और गंभीर रिपोर्ट — देवभूमि में बदलता जनसंख्या संतुलन, खुफिया सतर्कता, और एक ऐसी सच्चाई जिसे जानना हर किसी के लिए ज़रूरी है। सब आपको सिलसिलेवार तरकी से बताने जा रहा हूं। जी हां दोस्तो राजधानी देहरादून के पछुवादून क्षेत्र में जनसांख्यिकीय बदलाव को लेकर हाल ही में एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां के कई इलाकों में हिंदू अब अल्पसंख्यक हो गए है, जिसके बाद खुफिया एजेंसियों के साथ ही स्थानीय प्रशासन भी सतर्क हो गया है। खबरों की मानें तो इन क्षेत्रों में कई मुस्लिम ग्राम प्रधानों पर बाहरी लोगों के नाम बड़ी संख्या में ग्राम पंचायत के परिवार रजिस्टर में दर्ज कराने का आरोप है।
दोस्तो इतना ही नहीं पछुवादून के करीब 28 गांवों में हिंदू समुदाय अब अल्पसंख्यक बन चुका है। ये स्थिति स्थानीय जनसांख्यिकी में बड़े बदलाव का संकेत देती है और प्रशासन इस पर गंभीरता से नजर बनाए हुए है। इधर दोस्तो सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच के आदेश दे दिए हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह प्रक्रिया योजनाबद्ध तरीके से की जा रही है ताकि क्षेत्र की जनसंख्या संरचना में बदलाव लाया जा सके। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे राशन कार्ड, बिजली-पानी के फर्जी बिल, फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों की जांच सुनिश्चित करें। उनका कहना है कि किसी भी स्तर पर फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। दोस्तो उत्तराखंड की जनसंख्या की वृद्धि दर भी देश के मुताबिक ही गिरी, उत्तराखंड की 2011 की जनगणना के अनुसार, कुल आबादी 10,116,752 है। वहीं, इस दौरान भारत की आबादी की वृद्धि दर में 3.84 फीसदी की गिरावट आई है। भारत की आबादी की 2001 के 21.54 फीसदी के मुकाबले 2011 में 17.70 फीसदी रह गई। वहीं, उत्तराखंड में जनसंख्या वृद्धि दर 2001 के 20.41 फीसदी के मुकाबले अब 18.81 फीसदी रह गई है।
दोस्तो इससे कुछ इस तरह से समझिए, 2001 में 1 लाख थे मुस्लिम, अब 14 लाख से ज्यादा हैं। उत्तराखंड का गठन साल 2000 में हुआ था। उस वक्त नए बने राज्य में 2001 की जनगणना के मुताबिक करीब 1 लाख आबादी ही मुस्लिमों की थी, जो 2011 में बढ़कर 14 लाख से ज्यादा हो चुकी है। इस दौरान हिंदुओं की आबादी की वृद्धि दर 16 फीसदी थी तो पूरे दशक के दौरान मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धिदर 39 फीसदी हो चुकी है। ये आंकड़े तब के हैं, जब बीते एक दशक से भारत की जनगणना के आंकड़े जारी नहीं हुए हैं। इसके अलावा आपको ये भी दिखाने की कोशिश करता हूं कि कैसे 10 साल में घट गए हिंदू और बढ़ गए मुस्लिम 2001 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड की आबादी में हिंदू 84.95% थे, जबकि मुस्लिम 11.92% थे। 2011 की जनगणना तक हिंदू आबादी घटकर 82.97% रह गई थी और मुस्लिम आबादी बढ़कर 13.95% हो गई थी। जो दस वर्षों में 2% की बढ़ोतरी दिखाता है। इसके अलावा दोस्तो चौकाने वाली बात तो ये कि हिंदू धार्मिक शहर हरिद्वार में हिंदुओं के बाद मुस्लिम आबादी ज्यादा। जी हां सही सुना आपने आश्चर्यजनक रूप से हरिद्वार में मुस्लिमों की आबादी भी काफी ज्यादा है। हरिद्वार एक तीर्थनगरी है। इसके बाद भी यहां पर हिंदुओं के बाद दूसरे नंबर मुस्लिम ही सबसे ज्यादा हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, देहरादून, नैनीताल, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर इन चारों जिलों में औसत हिंदू आबादी करीब 75 फीसदी है। वहीं, औसत मुस्लिम आबादी 20.5 फीसदी है। तो सवाल सिर्फ आंकड़ों का नहीं है — सवाल है सामाजिक संतुलन, सांप्रदायिक सौहार्द और उत्तराखंड की पहचान का है। अगर कुछ क्षेत्रों में धार्मिक जनसंख्या का असामान्य बदलाव हो रहा है, तो उस पर निगरानी और जांच जरूरी है, लेकिन उतनी ही जरूरी है कि इस बहस को नफ़रत नहीं, नीतियों और तथ्यों के आधार पर आगे बढ़ाया जाए..खुफिया एजेंसियां सक्रिय हैं, प्रशासन अलर्ट है — अब ज़रूरत है कि जनता भी सजग रहे, लेकिन अफवाहों और उकसावे से दूर रहे, क्योंकि देवभूमि की आत्मा — विविधता में एकता है, उसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।