उत्तराखंड में सख्त हुआ धर्मांतरण कानून, 10 साल की सजा का प्रावधान, लगेगी ‘लव जिहाद’ पर रोक

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देहरादून: बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। जिसमें धर्मांतरण कानून को और सख्त बनाने का निर्णय लिया गया। सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2022 पर मुहर लगा दी है। ये संशोधित विधेयक तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया। सरकार का मानना है कि प्रलोभन,जबरन या विवाह आदि के उद्देश्य से विश्वास में लेकर धर्म परिवर्तन कराने वाले षडयंत्रकारियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की व्यवस्था से धर्मांतरण पर अंकुश लग सकेगा।

बता दें कि उत्तर प्रदेश देश में पहला ऐसा राज्य है जिसने धर्मांतरण कानून को लागू किया। यूपी में जबरन धर्मांतरण कराने पर एक से पांच साल की सजा और 25 हजार का जुर्माना है, जबकि उत्तराखंड में ऐसा करने पर दो से सात साल की सजा होगी और 25 हजार जुर्माना होगा। प्रदेश में सामूहिक धर्मांतरण के मामले में अब तीन से दस साल तक की सजा होगी। पहले अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान था। साथ ही पीड़ितों को कोर्ट के माध्यम से पांच लाख रुपये की प्रतिपूर्ति भी मिल सकेगी। प्रदेश में जबरन धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध में शामिल किया गया है। जिसके तहत अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा। कैबिनेट में इस पर मुहर लग गई है। जल्द ही ये विधेयक विधानसभा में लाया जाएगा।