Crores of rupees were wasted but still Dehradun will not become ‘smart’ | Uttarakhand News |

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किसी काम को लेकर आप करोड़ों का खर्च कर देते हैं, सीधे कहूं तो करोड़ों रुपये बहाने के बाद भी क्या स्मार्ट सिटी बना देहरादून? उत्तराखंड की राजधानी देहरादून भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है, जो हिमालय और शिवालिक पर्वत क्षेत्र की तलहटी में स्थित है, शहर को दून के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है घाटी, जिसमें बरकोट मंदिर, रॉबर्स गुफा, क्लेमेंट टाउन आदि जैसे कई पर्यटक आकर्षण हैं। Dehradun Smart City Project शहर को नागरिकों के लिए अधिक रहने योग्य बनाने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, शहर को भारत सरकार द्वारा चरण 4 में स्मार्ट सिटी मिशन में सूचीबद्ध किया गया था। देहरादून शहर को स्मार्ट और सुन्दर बनाने के लिए बनाई गई देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी एवं प्रोजेक्ट को अब राज्य सरकार पुर्णतः बंद करने जा रही है। जिस तरह की जानकारी सूत्रों से मिल रही है। अस्तित्व में आने के बाद से ही चर्चाओं और विवादों में रहने वाले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को अब केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के पत्र के बाद शासन ने बंद करने की तैयारी शुरू कर दी है। बता दें कि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार को देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी को बन्द करने एवं केंद्र की हिस्सेदारी खत्म करने के लिए पत्र लिखा है। जिस क्रम में अब राज्य एवं केंद्र अपनी अपनी हिस्सेदारी का आंकलन कर रहा है। आगामी एक से दो माह में राज्य सरकार देहरादून स्मार्ट सिटी कंपनी को लेकर अंतिम निर्णय पर मुहर लगा देगी

वहीं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ो खर्च होने के बाद भी अभी शहर के भीतर निर्माण कार्य चल रहे है। जिनकी सुस्त रफ़्तार से आम जनता से लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि तक परेशान है। राजपुर रोड़ सीट से बीजेपी के ही विधायक ने इसके खिलाफ आर पार की लड़ाई लड़ने का एलान किया है। विधायक का साफ कहना है कि 30 जुलाई को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर बैठक बुलाई गई है। जिसमें अधिकारियों से एक एक पाई का हिसाब लिया जाएगा…और ये होना भी चाहिए। जवाबदेही तय होनी ही चाहिए, लेकिन सवाल वहीं कि क्या देहरादून स्मर्ट सीट में तब्दील हो पायेगा या नहीं अगर हां तो फिर वो कौन सी पॉलीसी है जिसके तहत काम होगा। क्योंकि दोस्तो जो शासकीय सूत्रों की माने तो सूत्र कुछ अधिकारी स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी को प्रदेश भर में निर्माण एजेंसी व उपक्रम के तौर पर इस्तेमाल करने का सुझाव भी दे रहे थे, लेकिन बीते वर्षों में स्मार्ट सिटी के कामों व छवि को देखकर राज्य सरकार ने इस शासकीय कंपनी को बन्द ही करना ज्यादा बेहतर समझा है। वहीँ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट देहरादून के सीईओ और डीएम देहरादून सविन बंसल भी इस बात की पुष्टि कर रहे है की प्रोजेक्ट पर जल्द ही बड़ा निर्णय शासन स्तर पर होने वाला है और जो भी निर्माण कार्य चल रहे है। उनको भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन अब सवाल वो पूराना वाला है कि क्या देहरादून स्मार्ट सीटी बन पाएगा तो कैसे? आपको यहां ये भी बता दूं कि देहरादून को चरण 4 में स्मार्ट सिटी मिशन परियोजना का हिस्सा घोषित किया गया था और यह भारत सरकार द्वारा चुने गए 100 स्मार्ट शहरों में से एक था। शहर को 2017 में सूची में शामिल किया गया था, और स्मार्ट सिटी मिशन का स्थापना दिवस 25 जून 2019 को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा आयोजित किया गया था।

स्मार्ट सिटी मिशन भारत सरकार की एक साहसिक और नई पहल है जिसका उद्देश्य भारत के नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार करना है। हालाँकि, देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना का उद्देश्य देहरादून के नागरिकों के लिए मुख्य बुनियादी ढाँचा, स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण, स्मार्ट समाधान, अनुप्रयोग और जीवन की गुणवत्ता प्रदान करना है लेकिन उस सपने पर अब ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य शहर के लिए मूलभूत बुनियादी ढांचे का विकास करना था। नागरिकों के लिए कर भुगतान, ई-गवर्नेंस आदि जैसे ‘स्मार्ट’ अनुप्रयोग समाधान प्रदान करना था। राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना। लोगों के लिए सुरक्षित और सभ्य जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करना। इसे सुनिश्चित करने के लिए, अमृत, हृदय, स्वच्छ भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना – सभी के लिए आवास (शहरी) और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन जैसे कई अन्य प्रमुख मिशन भी योगदान देते हैं। दोस्तो शहर के सतत विकास पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। देहरादून स्मार्ट सिटी मिशन में 60 में से 10 वार्ड शामिल किए गए हैं, लेकिन अब आधा अधूरा काम होने और बहुत सारा या यूं कहें करोड़ों का बजट कत्म होने के बाद उस कंपनी को बंद किया जा रहा है। जिससे जिम्मे देहारादून सीटी को स्मार्ट सीटी बनाना था।

अब ऐसा नहीं नही कि इस कंपनी के बंद होने का असर सिर्फ देहरादून के स्मार्ट बनने और ना बनने पर पड़ेगा। लेकिन हमने तो कई शहरों के स्मार्ट होने का सपना देखा था। हमने यानि उत्तारखंड के लोगों ने तो क्या अब और शहरों की बात को छोड़ देना चाहिए। क्योंकि देहरादून तक ही स्मार्ट नहीं बन पाया। जो आयना है प्रदेश का, सभी हुकमरान यहीं बैठते हैं। अधिकारियों का यहीं पर डेरा है। लेकिन ये शहर स्मार्ट शहर नहीं बन पाया। या कहें वो कंपनी बना नहीं पाई। अब सवाल पैसे को लेकर भी है। क्या जितना पैसा अब तक खर्च बताया जा रहा है। उतना जमीन पर लगा है। उतने काम देहरहादून शहर में हुआ है। कुछ एक तस्वीरों को छोड़ दें बाकि तो वहीं है दूर ढांक के तीन पात। दोस्तो जो बजट अब तक खर्च हुआ है उसका हिसाब किताब। गैरों के साथ अपने भी मांग रहे हैं। देहरादून राजपुर रोड से विधायक ने ये सवाल पूछा। तो उधर कांग्रेस तो इस मामले में कंपनी को आड़े हाथ तो ले ही रही है। साथ ही सरकार पर आरोप लगा रही है। देहरादून शहर को स्मार्ट बनाने के नाम पर करोड़ो का खेल करने का आरोप विपक्ष लगा रहा है। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता का सीधा आरोप है कि आज भी देहरादून शहर में कोई भी व्यवस्था ठीक नहीं हो पाई है, लेकिन करोड़ो रूपए खर्च हो चुके है। वहीँ अब अगर प्रोजेक्ट ही बंद कर दिया जाएगा तो इन पैसो की जवाबदेही किसकी होगी। इसका जवाब सरकार को देना होगा।