आपदा में लापता लोगों का, बनेगा डेथ सर्टिफिकेट! सरकार ने जारी की गाइडलाइन। क्या है पूरी खबर बताने के लिए आया हूं दगड़ियो। दोस्तो उत्तराखंड में हाल ही में आई भीषण आपदा ने कई परिवारों को अपनों से हमेशा के लिए जुदा कर दिया। Death Certificates Missing Persons सैकड़ों लोग अब भी लापता हैं और प्रशासन की ओर से उन्हें कानूनी रूप से मृत घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जिनके शव नहीं मिले, उनका डेथ सर्टिफिकेट कैसे बनेगा? इस रिपोर्ट में बताउंगा आपको पूरी प्रक्रिया, नियम और इससे जुड़े कानूनी पहलू, भी खबर बेहद अहम है दोस्तो। दगडि़यो वैसे पहाड़ की ये नीयती बन चुकी है कि वो बारिश में धूप में दरकते हैं और कई लोग हम सब को छोड़ कर चले जाते हैं। आपदा, आपदा दफन वो लोग जिनका शरीर भी नहीं मिल पाता। दगड़ियो उत्तराखंड के कई जिलों में आई आपदा के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो गई। इनमें से कई लोगों के शव तो मिले गए हैं, लेकिन कई अब भी लापता है। अब खबर ये है कि ऐसे लोगों को लेकर भारत सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है, जिसके तहत लापता लोगों को मृत माना जाएगा। मृतक के परिजन रिपोर्ट दर्ज करवाकर जांच के बाद डेड सर्टिफिकेट ले सकेंगे। ऐसे मामले में पहले जहां 7 साल का समय डेड सर्टिफिकेट जारी करवाने में था, अब कुछ ही महीनों में जारी हो जाएगा।
दगड़ियो उत्तराखंड के कई जिलों में इस बार मानसून सीजन ने जमकर उत्पात मचाया। हमसब ने देखा तबाही का वो मंजर एक बार नहीं कई बार देखा, जिसमें बहुत ज्यादा नुकासान प्रदेश को उठाना पड़ा झेलना पड़ा है। इस दौरान जगह-जगह बादल फटने, भारी बारिश, लैंडस्लाइड और बाढ़ जैसे ही घटनाएं देखने को मिली और जो एक आकड़ा सामने आ रहा है वो है कि इन आपदाओं से प्रदेशभर में 225 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से 136 लोगों के शव तो मिले गए है, लेकिन 89 लोग आज भी लापता हैं। इन लोगों की तलाश में बीते काफी समय से प्रशासन लगा हुआ है. हालांकि, एक लंबा समय बीत जाने के बाद भी अब तक इनका कोई सुराग हाथ नहीं लगा है। ऐसे में उन परिवारों की बात भी हो रही है जिन्होंने अपनों को खो दिया, उनका शव तक नहीं मिल पाया। जब ऐसी प्राकृतिक आपदा में कोई लापता हो जाता है तो पहले 7 साल तक इंतजार किया जाता था। तब तक उस लापता को मृत नहीं माना जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नई गाइडलाइन में क्या कहा गया उसको बताने से पहले आपको मै ये बताना चाहता हूं कि धराली से 67 लोग लापता हैं। धराली में ही 5 अगस्त को भारी तबाही की वो तस्वीर सामने आई थी, जिसने देश और दुनियां को हिला दिया था। दोस्तो आपदा के बाद सबसे ज्यादा 69 लोग उत्तरकाशी से लापता हुए, इसमें अकेले 67 लोग धराली गांव के शामिल हैं।
आपको बता दूं कि धराली में पांच अगस्त को भीषण आपदा आई थी, जिसमें बड़ी मात्रा में गाद और पानी ने लोगों के एक ही जगह जमा दिया था। धराली गांव में 69 लोग मारे गए थे। इनमें से अभी तक केवल 2 लोगों के शव बरामद हुए है, बाकी 67 आज भी लापता है। आपदा में लापता चल रहे लोगों के परिजन काफी परेशानी में भी दिखाई देते हैं। अब बात करता हूं पहले लगते थे 7 साल और अब क्या होगा। कैसे इन लापता लोगों को मृत माना जाएगा, कैसे डेथ सेर्टिफिकेट बनेगा। दोस्तो परिजनों को न तो लापता व्यक्ति का शव मिला पाया है और न ही कोई आर्थिक मदद मिल पा रही है। ऐसे में खबर ये है कि केंद्र सरकार ने लापता लोगों को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत आपदा में लापता लोग मृत मानें जाएंगे। कुछ औपचारिकता पूरी करने के बाद लापता लोगों का डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा, जिससे मृतक के परिजनों को सरकारी आर्थिक सहायता मिल सकेगी। दगड़ियो आमतौर पर पहले लापता व्यक्ति का डेथ सर्टिफिकेट जारी करवाने के लिए 7 साल लंबा इंतजार करना पड़ा था, लेकिन अब महज तीन माह के बाद ये सर्टिफिकेट मिल जाएगा। हालांकि एक जिंदा इंसान और सर्टिफिकेट की कोई तुलना हो ही नहीं सकती लेकिन उन परिवारों के लिए अब ये सर्टिफिकेट ही सब कुछ होगा।
अब आपको बताता हूं कि कैसे जारी होगा डेथ सर्टिफिकेट? दगड़ियो केंद्र सरकार की एडवाइजरी के अनुसार, लापता व्यक्ति के परिजनों अपने निवास स्थान पर शपथ पत्र के साथ FIR दर्ज करानी होगी। इसके बाद संबंधित रिपोर्ट उसे थाने भेजी जाएंगी, जहां से व्यक्ति लापता हुआ है, यहां की पुलिस लापता व्यक्ति के दस्तावेज जैसे- आधार कार्ड, राशन कार्ड और परिवार रजिस्टर की फोटो कापी लेकर एसडीएम को भेजेगी। इसके बाद एसडीएम लापता व्यक्तियों की लिस्ट सरकारी वेबसाइट पर पब्लिश कर आपत्ति मांगेंगे, दोस्तो इसके लिए करीब एक महीने का समय निर्धारित किया गया है। इस बीच अगर किसी के नाम को लेकर आपत्ति नहीं आती है, तो एसडीएम डेथ सर्टिफिकेट जारी कर देंगे। शुरुआती चरण धराली में लापता हुए लोगों के लिए केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है, तो दगड़ियो अब जब अपनों की कोई खबर नहीं, न कोई सुराग, तो यही डेथ सर्टिफिकेट उन परिवारों का एकमात्र सहारा बन गया है। मुआवजे से लेकर बीमा क्लेम और कानूनी दस्तावेजों तक—हर कदम पर इसकी ज़रूरत है। उत्तराखंड की इस आपदा ने सैकड़ों घर उजाड़ दिए, और अब ये काग़ज़ी पुष्टि ही उन परिवारों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखा रही है भले ही दिलों में दर्द अब भी उतना ही गहरा है।