उत्तरकाशी के डोकराणी बामक ग्लेशियर (Uttarkashi Avalanche) में हिमस्खलन की चपेट में आने से 29 पर्वतारोही लापता हो गए थे, जिनमें से 27 के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि दो लोग अब भी लापता हैं। इस घटना में जिन लोगों ने अपने कलेजे के टुकड़ों को खो दिया, उनके दर्द का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। हिमाचल प्रदेश के नारकंडा गांव का कैंथला परिवार भी इनमें से एक है। हादसे में जान गंवाने वाले गांव के एक बेटे की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि अगले दिन ही गांव के एक और बेटे का शव पहुंच गया। 4 अक्टूबर को द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन हादसे में हिमाचल के नारकंडा गांव निवासी शिवम कैंथला और अंशुल कैंथला लापता हो गए थे। हादसे के तीन दिन बाद बीते शुक्रवार को पहले शिवम कैंथला का शव जिला मुख्यालय उत्तरकाशी लाया गया। शनिवार को शिवम का गांव के पैतृक घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।
परिवार के लोग इस सदमे से उबरे भी नहीं थे कि अगले ही दिन रविवार को 24 साल के अंशुल कैंथला का शव भी उत्तरकाशी पहुंच गया। अशुंल के पिता पूर्व सैनिक इंदर कैंथला हादसे में इकलौते बेटे के सकुशल लौटने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन बेटे का शव देखते ही उनकी आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ा पड़ा। इंदर कैंथला ने बताया कि अंशुल को म्यूजिक और साहसिक खेलों का शौक था। उसने आखिरी बार अपनी मां गीता कैंथला से फोन पर बात की थी। तब उसने आठ अक्टूबर तक लौटने की बात कही थी, बेटा तो नहीं आया लेकिन इसके अगले दिन उसका शव मिलने की मनहूस खबर आ गई। अंशुल ने हिमाचल धर्मशाला से ही माउंटेनियरिंग में बेसिक कोर्स किया था। बता दें कि द्रौपदी का डांडा हिमस्खलन हादसे (Uttarkashi Avalanche) के बाद से अब तक कुल 21 शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं, 6 शव एडवांस बेस कैंप में हैं, जबकि 2 लोग अभी भी लापता हैं।