प्रदेश सरकार ने चारधाम यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) वापस ले ली है। अब सरकार चारधाम यात्रा शुरू कराने के लिए उच्च न्यायालय में मजबूत पैरवी करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड सरकार की एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) वंशजा शुक्ला ने एसएलपी वापस लिए जाने की पुष्टि की। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सीटी रविशंकर की कोर्ट में उत्तराखंड सरकार बनाम सचिदानंदन डबराल व अन्य मामले में सुनवाई हुई। जिसमें वंशजा शुक्ला ने विशेष अनुमति याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। न्यायालय ने एसएलपी वापस लेने की स्वतंत्रता के साथ मामला खारिज कर दिया।
सरकार चाहती है कि हाईकोर्ट में ही चारधाम यात्रा संचालित करने का फैसला हो। मामला सुप्रीम कोर्ट में होने से निर्णय में देरी हो रही थी। उत्तराखंड सरकार के महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर के मुताबिक, सरकार उच्च न्यायालय में विचाराधीन मामले में पैरवी करेगी।
सरकार चारधाम यात्रा शुरू करने का बढ़ रहा है दबाव
बुधवार को पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने की बात कही थी। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई में विलंब होने की वजह से याचिका वापस ली जा रही है।
चारधाम यात्रा शुरू न होने की वजह से तीर्थ पुरोहितों से लेकर व्यापारी वर्ग तक सभी नाराज हैं। यात्रा बंद होने के लिए वे राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। चुनावी साल में लोगों की इस नाराजगी से प्रदेश सरकार की पेशानी पर बल है। इस चिंता से पार पाने के लिए सरकार अब न्यायालय में नए सिरे से यात्रा शुरू करने के पक्ष में अपने तर्क रखना चाहती है।
कोविड प्रोटोकाल को लेकर चारधाम यात्रा की सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने के बाद अब सरकार हाईकोर्ट में मजबूत पैरवी करेगी। हमें उम्मीद है कि हाईकोर्ट का फैसला जनभावनाओं के अनुरूप होगा।