दिवाली 2021: राजाजी टाइगर रिजर्व में ड्रोन से होगी उल्लू के शिकारियों की निगरानी, सभी 10 रेंज में गश्त तेज

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अंध विश्वासों के चलते दीपावली पर तांत्रिक उल्लू के अंगों से साधना करते हैं। ऐसे में राजाजी टाइगर रिजर्व में बड़ी संख्या में उल्लू के शिकारी सक्रिय हो जाते हैं। इसके लिए टाइगर रिजर्व के सभी 10 रेंजों में गश्त बढ़ा दी गई है। इस बार संवेेदनशील इलाकों में ड्रोन कैमरे से शिकारियों की निगरानी की जा रही है।

टाइगर रिजर्व बेशक डीके सिंह ने बताया कि चीला, मोतीचूर समेत सभी रेंज में शिकारियों की कड़ी निगरानी की जा रही है। शिकारियों को समय रहते धर दबोचा जा सके इसके लिए टाइगर रिजर्व के आसपास के गांव के ग्रामीणों की भी मदद दी जा रही है। उन शिकारियों पर भी पैनी नजर रख रही है जो पूर्व में वन्यजीवों के शिकार या फिर उल्लुओं के शिकार के मामले में पहले गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

वन प्रभाग के जंगलों में भी शिकारियों पर नजर
देहरादून वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी राजीव धीमान ने बताया कि अधिकारियों की अगुवाई में टीमें थानो, झाझरा, आशारोड़ी, समेत तमाम इलाकों के जंगलों में डेरा डाले हुए हैं और यदि कोई भी शिकारी उन लोगों का शिकार करता पाया गया तो उसे तत्काल मौके पर ही धर दबोचा जाएगा। साथ ही वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। दूसरी ओर राजधानी में उन कारोबारियों पर भी नजर है जो पक्षियों का कारोबार करते हैं।

अंधविश्वास के चलते तांत्रिक उल्लू के अंगों का करते हैं प्रयोग
दीपावली के मौके पर तांत्रिक साधना में उल्लू के अंगों का प्रयोग करते हैं। ऐसे तांत्रिक इन शिकारियों से उल्लुओं को महंगे दामों पर खरीदते हैं। हालांकि यह तंत्र साधना पूरी तरह अंधविश्वास पर आधारित है। प्रख्यात ज्योतिषविद् डॉ. धनंजय पांडे का कहना है कि दीपावली पर उल्लू का प्रयोग पूरी तरह अंधविश्वास पर आधारित है। धर्म शास्त्रों, वेद ग्रंथों में दीपावली पर भगवान श्रीगणेश, और मां लक्ष्मी की पूजा पाठ का विधान तो है, लेकिन किसी भी ग्रंथ में उल्लुओं को लेकर तंत्र साधना का कोई जिक्र नहीं है।

तीन साल की जेल, 25 हजार रुपये का जुर्माने का है प्रावधान
इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरवेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने उल्लुओं को लुप्तप्राय श्रेणी के पक्षियोो में शामिल किया गया है। उल्लुओं भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में तेजी से विलुप्त हो रहे हैं। इनके संरक्षण केे लेकर केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से तमाम योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 में भी उल्लुओं का शिकार करते पकड़े जाने पर तीन साल की जेल व 25 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है