हरक एपीसोड पूरा होने के बाद ही होगी टिकटों की घोषणा, आज स्क्रीनिंग कमेटी सौंपेगी अपनी रिपोर्ट

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विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में अब टिकटों की घोषणा हरक एपीसोड के पूरा होने के बाद ही होगी। पार्टी सूत्रों की मानें तो जब तक इस प्रकरण का पटाक्षेप नहीं हो जाता, तब तक टिकटों की घोषणा मुश्किल है। इधर, पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी ने फंसी हुई सीटों पर एक बार फिर मंथन बैठक कर पैनल तैयार कर लिए हैं, जिन्हें मंगलवार को केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) को सौंपा जाएगा।

पार्टी प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने बताया कि करीब 35 सीटों पर सहमती नहीं बन पा रही थी। सोमवार को हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में एक बार फिर इन सीटों पर चर्चा की गई। ज्यादातर सीटों पर सहमति बन गई है। 12 से 15 सीटों पर दो से तीन नामों के पैनल तैयार कर लिए गए हैं। जिन्हें मंगलवार को सीईसी को सौंप दिया जाएगा। इन सीटों पर आखिरी फैसला सीईसी को ही करना है।

सीटों को लेकर गुटबाजी के सवाल पर गोदियाल ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। बैठक बेहद ही सौहादपूर्ण माहौल में हुई है। जब पार्टी की सूची बाहर आएगी तो सबको पता चल जाएगा कि पार्टी में गुटबाजी जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा सीईसी की पिछली बैठक में राहुल गांधी ने इतना जरूर कहा था कि जिन सीटों पर आप लोग सहमति नहीं बना पा रहे हैं, उन्हें मेरिट के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर सीईसी को सौंप दिया जाए। इन पर सीईसी खुद फैसला ले लेगी। गोदियाल ने कहा एक-दो दिन के भीतर पार्टी पहली सूची जारी कर देगी।

दूसरी तरफ पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब जब तक हरक प्रकरण नहीं सुलझ जाता, तब तक टिकटों की घोषणा मुश्किल है। पार्टी भाजपा की रणनीति को भी समझने का प्रयास कर रही है। वह किस सीट पर किसे उतार सकती है। उसी हिसाब से रणनीति बनाई जाएगी। इधर, भाजपा भी कांग्रेस की पहली सूची के जारी होने का इंतजार कर रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों पार्टियां टुकड़ों में सूची जारी कर सकती हैं।

…तो क्या हरक के लिए भी बदलेगा परिवारवाद का फॉर्मूला

भाजपा में अपनी पुत्रवधू को टिकट दिलाने में नाकाम रहे पूर्व कैबिनेट हरक सिंह रावत के लिए कांग्रेस क्या परिवारवाद का फॉर्मूला बदलेगी? बेशक अभी हरक सिंह कांग्रेस में शामिल नहीं हो पाए हैं। लेकिन पूर्व सीएम हरीश रावत को छोड़ दें तो पार्टी के सभी प्रमुख नेता हरक के कांग्रेस में शामिल होने के संकेत दे रहे हैं।

भाजपा हरक सिंह को पार्टी से निकाले जाने की मुख्य वजह परिवार के लिए तीन टिकट मांगे जाना बता रही है। हरक भी कई मौकों पर अपनी पुत्रवधू अनुकृति को लैंसडौन विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की पैरवी करते आ रहे हैं। खुद हरक यह खुलासा कर चुके हैं कि उन्होंने इस बारे में पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी से बात कर चुके थे।

लेकिन अब हरक सिंह भाजपा में नहीं है। वह यह खुलासा कर चुके हैं कि वह कांग्रेस में अपनी अगली राजनीतिक पारी खेलेंगे। लेकिन सवाल यही है कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद भी वह अपने और अपनी पुत्रवधू के लिए टिकट की मांग करेंगे। कांग्रेस पहले ही यह संदेश साफ कर चुकी है कि टिकटों के आवंटन में एक परिवार एक टिकट का सिद्धांत लागू होगा। केवल पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके विधायक बेटे संजीव आर्य पर यह सिद्धांत अपवाद स्वरूप लागू नहीं होगा। कांग्रेस में शामिल होने के बाद क्या हरक सिंह रावत भी अपवाद होंगे?

यदि पार्टी उनकी हसरत पूरी करेगी तो क्या वे कांग्रेसी दिग्गज चुप रह जाएंगे, जिन पर टिकट के लिए उनके परिवारवालों का जबर्दस्त दबाव है। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सबसे ऊपर हैं, जिनके पुत्र व पुत्री टिकट की दौड़ में शामिल हैं। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के भाई और पुत्र भी टिकट की कतार में बताए जा रहे हैं। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत रावत अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे हैं।