जून 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ तक पहुंच के लिए प्रदेश सरकारों ने हेलीकॉप्टर सेवा को बढ़ावा तो दिया लेकिन सुरक्षित हवाई सेवा को लेकर कोई इंतजाम नहीं हो पाए हैं। आज तक एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम तक स्थापित नहीं हो किया गया है, जिससे यहां हवा की दशा और दबाव की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। ऐसे में कभी भी हवाई दुर्घटना का कारण बन सकता है। बावजूद यूकाडा व शासन गंभीर नहीं हैं।
समुद्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ मेरू-सुमेरू पर्वत की तलहटी पर विराजमान है। गौरीकुंड से केदारनाथ तक गहरी संकरी घाटी है, जिससे गुजरकर हेलीकॉप्टर केदारनाथ पहुंचते हैं। यहां हल्की बारिश में चारों तरफ कोहरा छाने की समस्या आम है, जो यात्राकाल में अधिक रहती है।
बावजूद, हेलीकॉप्टर की उड़ान बेधड़क होती आ रही है। आपदा के बाद से बीते सात वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमति शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और बड़े नौकरशाह भी हेलीकॉप्टर से केदारनाथ आते रहे हैं। बावजूद सुरक्षित हवाई सेवा को लेकर इस विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्र में कोई इंतजाम नहीं हैं।