Uttarakhand Election 2022: इस बार घोषणा पत्र पर दिखेगी मोदी विजन की छाप, निशंक पर है दारोमदार

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भाजपा 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र तैयार करने में जुट गई है। पार्टी के घोषणापत्र पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन की स्पष्ट छाप दिखेगी। पीएम ने 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनाने की संभावना जताई है। भाजपा अपने घोषणा का स्वरूप इसी दृष्टि से तैयार करेगी।

70 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों की राय से तैयार कर रहे घोषणा पत्र
भाजपा की चुनाव घोषणा समिति के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को बनाया गया है। निशंक घोषणा पत्र समिति की बैठक कर चुके हैं। चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक में भी प्रस्तुतिकरण दे चुके हैं। डॉ. निशंक के मुताबिक, सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों की राय से हम घोषणा पत्र तैयार कर रहे हैं। निश्चित तौर पर घोषणापत्र के लिए हमारा रोड मैप उत्तराखंड को देश का अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में होगा।

यह घोषणा पत्र नहीं, संकल्प पत्र होगा। हम अपने वादों को पूरा करने का संकल्प लेंगे। संकल्प पत्र में एक हिस्से में हमने पांच साल में क्या किया, उसका ब्योरा देंगे। दूसरे हिस्से में हमारे चुनावी संकल्प होंगे। हमारा खुद का विजन तो है ही लेकिन हम जानना चाहते हैं कि विकास को लेकर लोगों के मन में क्या है। इसलिए प्रत्येक विधानसभा में जाकर सुझाव लिए जाएंगे। सभी वर्गों से बातचीत करेंगे।
नव उत्तराखंड बनाना है तो ये पांच कदम उठाने होंगे
सामाजिक कार्यकर्ता और सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन संस्थापक के अनूप नौटियाल का मानना है कि पांच कठिन कदम प्रभावी ढंग से उठाने के बाद ही नव उत्तराखंड बनाने की कल्पना की जा सकती है।

1. दक्षता व नवाचार जरूरी:  विधायिका और कार्यपालिका में दक्षता, नवाचार और आधुनिक तकनीक से युक्त मानव संसाधन की आवश्यकता होगी। पिछले पांच साल में राज्य में आंदोलन की परंपरा नहीं बदली। भर्ती प्रक्रिया का सिस्टम निर्विवाद नहीं रह पाया। इनमें सुधार के जरिये शिखर तक पहुंचने की राह बनेगी। जनप्रतिनिधियों व सरकारी मुलाजिमों के दक्षता विकास के लिए ट्रैनिंग एक अनिवार्य आवश्यकता है।

2. जान है तो जहान है: आपदा सबसे बड़ी चुनौती है। हिमालय राज्यों में उत्तराखंड ऐसा राज्य है जहां आपदा सबसे ज्यादा लोग मारे गए। ये अहम मसला है। दूसरी स्वास्थ्य सेक्टर है। कोरानाकाल में उत्तराखंड में हिमाचल से दोगुने लोग मारे गए। इसमें बहुत सुधार की जरूरत है। तीसरा बड़ी चुनौती वित्तीय संकट की है। करीब 75 हजार करोड़ के कर्ज में डूबे राज्य के आर्थिक संसाधनों में बढ़ोतरी के रास्ते भी निकालने होंगे।

3. सतत विकास का मॉडल: पिछले 21 वर्षों का इतिहास बता रहा है कि हम केंद्र के सहारे चलने के आदि हो चुके हैं। लेकिन हमें एक न एक दिन अपने सहारे तैयार करने होंगे। राज्य गठन से ही पर्यटन और जल विद्युत परियोजनाओं को हमने अपनी भावी समृद्धि का आधार माना है। लेकिन 25 हजार मेगावाट की संभावना वाले उत्तराखंड में महज तीन हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। अभी तक राजधानी का विषय तय नहीं हो पाया। भू कानून, कृषि, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के संवर्द्धन और सतत विकास के मध्य संतुलन के साधना होगा।

4. पहाड़ की पीड़ा का समाधान: उत्तराखंड के सामने पलायन की पीड़ा का स्थायी इलाज जरूरी है। सामाजिक सुरक्षा के मोर्चे पर पहाड़ और मैदान के बीच की दूरी 21 साल बाद भी खत्म नहीं हो पाई है। नीति आयोग की हाल ही में बहुआयामी गरीबी सूचकांक की रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती है। बहुआयामी गरीबी में अल्मोड़ा सबसे ऊपर है, जबकि देहरादून सबसे नीचे। बहुआयामी गरीबी सूचकांक में सबसे गरीब सात जिलों में पांच अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, चंपावत, बागेश्वर व टिहरी पर्वतीय जिले हैं।

5.भविष्य का आधार, सुशासन: नौटियाल के मुताबिक, पीएम मोदी के मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गर्वमेंट के सिद्धांत को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा। कितना ही लुभावना घोषणा पत्र बना दें, उसे समयबद्ध ढंग से धरातल पर उतारने वाला एक मजबूत सरकारी तंत्र जरूरी है। इसके लिए तकनीक, डाटा, प्लानिंग, और पेशेवर लोगों की सहभागिता जरूरी है। सुशासन ही राज्य के भविष्य की संभावना का आधार है।

भाजपा ने 2017 में दृष्टि पत्र के तकरीबन सभी वादे पूरे कर दिए। शेष रह गई घोषणाएं पूरी होने की प्रक्रिया में है। पार्टी ने चुनाव में जाने से पूर्व प्रदेश की जनता से वादा किया था कि वह सरकार गठन पर सभी वादे पूरे होंगे। वह हमने करके दिखाया है। नए घोषणा पत्र की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 11 दिसंबर को 70 विधानसभाओं में रथ जाएंगे, जो जनता से घोषणा पत्र को लेकर सुझाव प्राप्त करेंगे। लोगों की राय लेने के अलावा हर वर्ग से बातचीत के बाद घोषणा पत्र को अंतिम रूप दिया जाएगा।