उत्तराखंड: चुनावी साल में सरकार ने दिया गोल्डन कार्ड का तोहफा, कर्मचारी संगठनों ने बनाया श्रेय लेने का मौका

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चुनावी सीजन में जिस तरह से उत्तराखंड सरकार, वोटरों को लुभाने के लिए फैसले ले रही है, वैसे ही इन फैसलों पर कर्मचारी संगठन भी अपनी राजनीति चमका रहे हैं। गुरुवार को जैसे ही सरकार ने गोल्डन कार्ड पर शासनादेश जारी किया तो वैसे ही कर्मचारी संगठनों ने भी इस श्रेय लेने का मौका बना लिया। कई संगठनों ने खद को श्रेय देते हुए मुख्यमंत्री का आभार जताया।

सचिवालय संघ ने कहा, हो गई मुराद पूरी
उत्तराखंड सचिवालय संघ ने गोल्डन कार्ड का शासनादेश जारी होने के बाद कहा कि आज उनके संघर्ष के बाद आखिरकार मुराद पूरी हो गई है। संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी के मुताबिक, सरकार के स्तर पर लगातार फरवरी माह से संघर्षरत गोल्डन कार्ड की खामियों को दुुरुस्त करने के अहम मुद्दे को आज साकार कराया गया है। उन्होंने कहा कि करीब 11 माह से अंशदान कटौती हो रही है।

खामियों की वजह से उपचार नहीं मिल पा रहा था। सचिवालय के अधिकारी, कर्मचारी, पेंशनर्स बहुत परेशान थे। उन्होंने कहा कि सचिवालय संघ ने लगातार स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री, अन्य अधिकारियों के सामने गोल्डन कार्ड का मामला उठाया।

सीजीएचएस की दरों पर इसे संचालित करने, आयुष्मान योजना से अलग करने, नर्ठ दरों पर चिकित्सालयों को पूर्ण उपचार के लिए सूचीबदध करने, निगम, निकाय, महाविद्यालयों में भी इस योजना का लाभ देने की मांग करते आए हैं। उन्होंने कहा कि सचिवालय संघ के साथ उत्तराखंड अधिकारी कार्मिक शिक्षक महासंघ ने भी सरकार के सामने पक्ष रखा है। उन्होंने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, अधिकारियों का आभार जताया।

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समन्वय समिति ने किया मुख्यमंत्री का स्वागत
उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति ने गोल्डन कार्ड का शासनादेश आने के बाद बैठक बुलाई। बैठक में राज्य सरकार के गोल्डन कार्ड सुधारों से संबंधित शासनादेश जारी होने पर स्वागत किया गया। समिति के प्रवक्ता अरुण पांडेय व प्रताप पंवार ने बताया कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने जो आश्वासन समन्वय समिति को दिया था, उसे आखिर पूरा कर दिया है।

उन्होंने कहा कि योजना के तहत चिकित्सालयों की एक दो चिकित्सा सुविधा को ही पंजीकृत किया गया था जबकि समन्वय समिति पूरी चिकित्सा व्यवस्था का लाभ कैशलेस देने की मांग कर रही थी, जिसे मांग लिया गया है। उन्होंने अब इस योजना के सुचारू संचालन के लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में शिकायत एवं निगरानी प्रकोष्ठ का गठन करने की मांग की है।

साथ ही कर्मचारियों को 10, 16, 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने पर पदोन्नति का वेतन अनुमन्य करने, पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल करने, पुराने पेंशन व्यवस्था लागू करने सहित 18 मांगें पूरी करने की मांग की है।