देहरादून की यमुना कॉलोनी…1960 में 25.2 हेक्टेयर भूमि पर बनी इस कॉलोनी का निर्माण करवाया गया था। लेकिन आने वाले दिनों में ये कॉलोनी कल की बात हो जाएगी। अगर सरकार सिंचाई विभाग के प्रस्ताव पर अमल करती है तो कॉलोनी के जीर्णशीर्ण भवनों की जगह मल्टीस्टोरी बिल्डिंग नजर आएंगी। बताया जा रहा है कि सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने अपने विभाग को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। ये प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि यूपी में सिंचाई विभाग की ओर से किया गया ये प्रयोग सफल रहा है। यूपी में सिंचाई विभाग की पुरानी कॉलोनियों को ध्वस्त कर पीपीई मोड पर मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निमार्ण किया जा रहा है। यमुना कॉलोनी आज भी देहरादून की एक बड़ी पहचान के तौर पर जानी जाती है। यहां 983 आवास हैं। इनमें से 553 आवास सिंचाई विभाग, 274 यूजेवीएनएल और 99 राज्य संपत्ति विभाग के पास है। इसके अलावा कुछ भवनों में तमाम दूसरे सरकारी कार्यालय स्थापित किए गए हैं। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद मंत्रियों के लिए आवास की समस्या सामने आई। ऐसे में यमुना कॉलोनी का नाम सबसे पहले आया। इसके बाद यहां पुराने भवनों को नया रंग-रूप दिया गया। आखिरकार इन भवनों को उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों को आवंटित किया गया। तब से यमुना कॉलोनी को वीवीआईपी का रुतबा भी मिल गया।
अब ये भी जान लीडिए कि आखिर यमुना कॉलोनी की स्थापना क्यों की गई। दरअसल अविभाजित उत्तर प्रदेश में गंगा और यमुना घाटी के लखवाड़, टिहरी बांध, किशाऊ, व्यासी, विष्णुप्रयाग, मनेली भाली, चीला जैसी महत्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाओं के सर्वेक्षण के लिए यहां मुख्य अभियंता, मंडलीय और खंड कार्यालय स्थापित किए गए थे। इसके अलावा तत्कालीन उत्तर प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के कार्यालय और आवास भी यहां स्थापित किए गए थे। सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि देहरादून स्थित यमुना कॉलोनी जीर्णशीर्ण अवस्था में पहुंच चुकी है। हम चाहते हैं कि यूपी की तर्ज पर यहां भी पुरानी बिल्डिंग को ध्वस्त कर नई मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निर्माण करें। इसमें आवास के साथ कार्यालय और व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी स्थापित किए जा सकेंगे।