Ram Leela के मंच पर ‘पेपर लीक’ पर हुआ संवाद | UKSSSC Paper Leak | Uttarakhand News

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रामलीला के मंच पर खुला पेपर लीक का राज, पेपर लीक की चौंकाने वाली बात, जी हां उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से आई एक ऐसी खबर जिसने सभी को चौंका दिया। जहां भगवान श्री राम के दरबार में भी हंगामा मच गया, वहीं सामने आया है पेपर लीक का एक ऐसा मामला जो सीधे रामलीला के मंच तक पहुंच गया। ‘Paper leak’ on the stage of Ram Leela दोस्तो पूरे उत्तराखंड में पेपर लीक कांड की चर्चा हो रही है। घर-घर में इस पर सवाल हो रहा है कि इस पेपर लीक के पीछे कौन है? क्या हाकम सिंह सच में इस खेल का मास्टरमाइंड है? और सबसे बड़ी बात, क्या ये सब एक साजिश का हिस्सा है? आज मै आपके लिए लेकर आया हू उस वीडियो की कहानी, जिसने इस रहस्य को और भी गहरा कर दिया है। बने रहिए मेरे साथ, क्योंकि खुलने वाला है एक बड़ा राज! वो भी रामलीला के मंच से पहले जी हां दोस्तो उत्तराखंड पेपर लीक कांड। रामलीला से लेकर राजनैतिक घमासान मचा हुआ है, राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पिछले कुछ समय से एक बेहद गंभीर संकट से गुजर रही है। वह संकट है यूकेएसएसएससी स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा 2025 में पेपर लीक का मामला, जिसने प्रदेश के युवाओं के भविष्य को दांव पर लगा दिया है, लेकिन ये सिर्फ एक परीक्षा का मामला नहीं है, बल्कि ये कहानी है सत्ता, सियासत, और सामाजिक तनाव की, जिसमें बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों और नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं।

बीजेपी के नेताओँ को लेकर विपक्ष सवाल करता रहा है, पहले जहां उत्तराखंड लोक सेवा आयोग से जुड़े पेपर लीक मामले में दिल्ली और रायपुर से आरोपी पकड़े गए, वहीं अब राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगातार पेपर लीक की घटनाएं सामने आ रही हैं। पिथौरागढ़, काशीपुर, हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर देहरादून तक, पेपर लीक का मामला गरमाया हुआ है। दोस्तो पिथौरागढ़ में तो मामला इतना बढ़ गया कि नवरात्रि के दौरान रामलीला के मंच पर भी पेपर लीक को लेकर संवाद हुआ, जिससे साफ हो गया कि यह केवल एक प्रशासनिक मामला नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी गहरी चिंता का विषय बन चुका है। रामलीला मंच पर इस मामले को उठाने से स्पष्ट होता है कि लोगों में इस विषय को लेकर कितना जागरूकता और गुस्सा है। भगवान श्रीराम के दरबार में उठा सवाल: कौन है हाकम सिंह? उत्तराखंड में पटवारी पेपर लीक मामला अब किसी दफ्तर या अदालत की फाइलों तक सीमित नहीं रह गया है। यह मुद्दा अब जनता की जुबान पर, चाय की दुकानों पर, और अब तो रामलीला के मंच पर भी आ चुका है। जी हां, पिथौरागढ़ की एक रामलीला में जैसे ही श्रीराम का दरबार लगा, अचानक संवादों के बीच हाकम सिंह का नाम लिया गया — वह नाम जिसने उत्तराखंड के हज़ारों युवाओं के भविष्य को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया। दोस्तो नवरात्रि का पावन समय चल रहा है। लोग श्रद्धा और भक्ति में डूबे हुए हैं। रामलीलाओं में धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाएं चरम पर हैं लेकिन इस बार, पिथौरागढ़ की रामलीला में कुछ अलग हुआ। वहां मंच पर एक संवाद गूंजा जिसने सबका ध्यान खींचा। दोस्तो ये वाक्य सुनते ही मंच के आगे बैठे सैकड़ों दर्शक चौंक गए, फिर कुछ ने ताली बजाई, कुछ मुस्कराए, और कुछ गंभीर हो गए। यह सिर्फ एक संवाद नहीं था, यह एक जन-संवेदना का विस्फोट था, जो अब धार्मिक मंचों तक पहुंच चुका है।

हाकम सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य और बीजेपी से जुड़ा नाम, जो पटवारी भर्ती परीक्षा 2022 के पेपर लीक मामले का मुख्य आरोपी रहा है। एसटीएफ की जांच में खुलासा हुआ कि परीक्षा से पहले ही पेपर बिक चुका था, लाखों रुपये में सौदे हुए। नकल माफिया, कोचिंग सेंटर और कुछ प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से ये घोटाला संभव हो सका। अभी पेपर लीक कांड हुआ है इस पर जाच हो रही है लेकिन एक और खबर देखिए जहां रामलीला के मंच से पूरानी पेंशन की मांग उठ गई। दोसतो त्तराखंड की ऐतिहासिक पौड़ी रामलीला, जो अब तक धार्मिक भक्ति, संस्कृति और परंपरा के लिए जानी जाती थी, इस बार एक अनोखी और साहसी पहल के चलते पूरे राज्यभर में चर्चा का केंद्र बन गई। मंच पर चल रहा था सीता स्वयंवर का दृश्य, दर्शक श्रीराम के धनुष तोड़ने का इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन तभी मंच पर मौजूद राजा जनक ने कुछ ऐसा कह दिया, जो सिर्फ कथा का हिस्सा नहीं था — वह था समाज का एक ज्वलंत मुद्दा। पौड़ी ऐतिहासिक पौड़ी रामलीला इस बार सिर्फ धार्मिक मंचन के लिए ही नहीं, बल्कि एक अनोखी पहल के चलते भी चर्चा में रही। सीता स्वयंवर के मंचन के दौरान राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने “प्रदेश के राजा” का किरदार निभाते हुए मंच से कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग उठाई।

पोखरियाल ने मंच से कहा कि प्रदेश के कर्मचारी लंबे समय से पेंशन बहाली की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार अब तक ठोस कदम नहीं उठा पाई है। उन्होंने राजा जनक के प्रसंग का उदाहरण देते हुए कहा— “जैसे सीता स्वयंवर में वर चुनने की स्वतंत्रता दी गई थी, वैसे ही प्रदेश सरकार भी कर्मचारियों को राहत देते हुए पुरानी पेंशन योजना बहाल करे। इस अनोखे और रचनात्मक अंदाज में उठाई गई मांग का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग इसे सकारात्मक पहल बताते हुए कर्मचारियों की आवाज को नई ताकत मिलने की बात कह रहे हैं। तो दोस्तो उत्तराखंड की रामलीलाएं इस बार सिर्फ धर्म और परंपरा का मंच नहीं रहीं, बल्कि वे समाज की पीड़ा और जनता की मांगों की आवाज़ भी बन गईं। चाहे बात हो हाकम सिंह के पेपर लीक कांड की या फिर कर्मचारियों की पेंशन बहाली की — जब संवाद मंच से उतरकर जनता के दिलों तक पहुंचे, तो समझिए बदलाव की शुरुआत हो चुकी है। अब बारी सरकार की है, क्या वो इस सांस्कृतिक चेतना को सुनेगी?