जी हां दोस्तो उत्तराखंड के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक और ऐसा बवाल कि इलाज की जगह इमरजेंसी बन गई। दो पक्षों की आपसी रंजिश अस्पताल तक पहुंची, लाठी-डंडे चले और गुस्से की आग में डॉक्टर भी नहीं बचे इमरजेंसी में हंगामा, स्टाफ से मारपीट और हालात इतने बिगड़े कि डॉक्टरों को हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा। जिस जगह मरीजों की जान बचाई जाती है, वहां कानून-व्यवस्था आखिर क्यों फेल हो गई? क्या अस्पताल अब सुरक्षित नहीं रहे? जी हां दोस्तो दून मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में हिंसा: स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल, दोस्तो देहरादून स्थित दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जो राज्य के सबसे बड़े और भरोसेमंद सरकारी अस्पतालों में गिना जाता है, अस्पताल उस वक्त हिंसा का गवाह बन गया जब उसकी इमरजेंसी में दो पक्षों के बीच जमकर मारपीट हो गई। यह घटना न केवल अस्पताल प्रशासन बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। दरअसल दोस्तो दोनों पक्षों के बीच अस्पताल परिसर के बाहर पहले से ही किसी बात को लेकर विवाद चल रहा था। इसी विवाद के दौरान एक पक्ष का व्यक्ति इलाज के लिए दून मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में पहुंच गया। दुर्भाग्यवश, दूसरा पक्ष भी वहां मौजूद था। आमना-सामना होते ही पहले से चला आ रहा विवाद फिर से भड़क उठा और देखते ही देखते मामला हिंसक झड़प में बदल गया।
दोस्तो ये घटना रात के वक्त हुई, जब इमरजेंसी में मरीजों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक होती है और डॉक्टर और स्टाफ पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी पर तैनात रहते हैं, लेकिन इस बार इलाज की जगह इमरजेंसी रणक्षेत्र में तब्दील हो गई। आरोप है कि झगड़े के दौरान न केवल दोनों पक्षों के लोग आपस में भिड़े, बल्कि बीच-बचाव करने आए डॉक्टरों और सुरक्षा कर्मियों के साथ भी मारपीट की गई। दोस्तो इस अप्रत्याशित हिंसा से इमरजेंसी में अफरा-तफरी मच गई। मरीजों और उनके तीमारदारों में डर का माहौल बन गया, कई मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ और कुछ देर के लिए अस्पताल की कार्यप्रणाली पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई। हालात इतने बिगड़े कि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी के साथ भी बदसलूकी की गई, जिससे स्थिति की गंभीरता और अधिक बढ़ गई। दोस्तो घटना के बाद डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ में भारी आक्रोश देखने को मिला। उन्होंने खुद को असुरक्षित बताते हुए तत्काल हड़ताल पर जाने का फैसला लिया। डॉक्टरों का कहना है कि वे मरीजों की सेवा के लिए दिन-रात तत्पर रहते हैं, लेकिन अगर अस्पताल जैसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थान पर भी उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती, तो ऐसे हालात में काम करना बेहद मुश्किल हो जाता है। दोस्तो दून मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आर.एस. बिष्ट ने इस पूरे मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि हालात बेहद हिंसक हो गए थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि अस्पताल प्रशासन इस तरह की घटनाओं को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा। डॉक्टरों और स्टाफ की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
दोस्तो अस्पताल प्रशासन ने पूरे मामले को लेकर पुलिस को लिखित तहरीर दे दी है, ताकि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सके। इसके साथ ही प्रशासन ने यह भी निर्णय लिया है कि खासकर रात के समय इमरजेंसी में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाए। इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को ज्ञापन सौंपने की तैयारी की जा रही है, जिसमें अस्पताल परिसर में पुलिस बल की नियमित तैनाती और पुलिस रिस्पॉन्स टाइम कम करने की मांग की जाएगी। दोस्तो ये घटना केवल एक अस्पताल तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि यह प्रदेश भर के अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। बीते कुछ वर्षों में प्रेदश के कई हिस्सों से अस्पतालों में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ पर हमलों की घटनाएं सामने आती रही हैं। ऐसे में दून मेडिकल कॉलेज की ये घटना चेतावनी है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ माने जाने वाले डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ अगर खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे, तो इसका सीधा असर मरीजों की देखभाल पर पड़ेगा। जरूरत है कि प्रशासन, पुलिस और अस्पताल प्रबंधन मिलकर ऐसी व्यवस्था बनाए, जिससे अस्पताल पूरी तरह सुरक्षित क्षेत्र बन सकें और डॉक्टर बिना किसी डर के मरीजों की सेवा कर सकें। फिलहाल, इस घटना के बाद दून मेडिकल कॉलेज में माहौल तनावपूर्ण जरूर है, लेकिन प्रशासन और पुलिस के प्रयासों से स्थिति को सामान्य करने की कोशिश की जा रही है। अब देखना होगा कि दोषियों पर कितनी सख्त कार्रवाई होती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।