विकास पर रार BJP MLA में तकरार! | Uttarakhand News | Vinod Chamoli | MLA Umesh Sharma

Spread the love

जी हां दोस्तो उत्तराखंड में विकास पर रार, बीजेपी विधायकों में बढ़ी तकरार, आखिर क्या वजह रही की बीजेपी के नेता ही आपस में भिड़ गए। वैसे बीजेपी नेताओं से जनता की भिड़ंत तो आपने कई बार देखी होगी। आज देखिए अब चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी विधायकों में ही गुत्थमगुथा शुरू हो गई, क्योंकि यहां एक बीजेपी विधायक ने काम शुरू किया तो दूसरे ने रुकवा दिया। आखिर क्या वजह रही कि बीजेपी के इन विधायकों ने अपनी ही पार्टी सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर दी। दोस्तो उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव अभी दूर है लेकिन विधायकों में अस्तित्व की लड़ाई को लेकर अभी से रस्साकशी शुरू हो गई है। विधायकों की लड़ाई सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच में नहीं बल्कि सत्ता पक्ष यानी बीजेपी के ही दो विधायकों के बीच में देखने को मिल रही है। दोस्तो राजधानी देहरादून की दो पड़ोसी विधानसभा में रायपुर और धर्मपुर विधानसभा को जोड़ने वाले हरे पुल को लेकर दोनों विधायकों के बीच में ये तनातनी देखने को मिल रही है। दरअसल, धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने अपनी विधानसभा धरमपुर के अंतर्गत आने वाले दीप नगर मोहल्ले से केदारपुरम मोहल्ला जो की रायपुर विधानसभा में पड़ता है उसे जोड़ने के लिए पुराने जीर्णशीर्ण हो चुके हरे पुल के निर्माण को लेकर प्रस्ताव पास किया। दीपनगर मोहल्ले से केदारपुरम स्टेट हाईवे से जुड़ने वाले इस पुल का निर्माणकार्य रायपुर विधायक उमेश काऊ ने मौके पर जाकर रोक दिया इसके बाद ये मामला भड़क गया। वहीं दोस्तो स्थानीय पार्षद दिनेश प्रसाद सती का कहना है कि विधायक उमेश शर्मा काऊ द्वारा रूकवाये गए पुल निर्माण के कदम को देखकर वहो भी हैरान है और जिस तरह से रायपुर विधायक उमेश काऊ को विकास कार्यों के लिए जाना जाता है यहां बिल्कुल उसके विपरीत है। उन्होंने बताया कि धर्मपुर और रायपुर विधानसभा को जोड़ने के लिए ये ऐतिहासिक कार्य होने जा रहा था और लंबे समय से स्थानीय जनता की मांग इस हरे पुल को लेकर चली आ रही थी और पिछले तीन से चार महीना से दीपनगर से केदारपुरम को जोड़ने वाले इस हरे पुल के निर्माण का कार्य चल रहा था लेकिन कल जिस तरह से अचानक विधायक के द्वारा मौके पर आकर अपना उग्र रूप दिखाया गया और निर्माण कार्य रोका गया ये देख कर वह भी हैरान है।

वहीं दोसतो इस मामले पर धर्मपुर विधायक विनोद चमोली का कहना है कि उन्हें नहीं लगता है कि पड़ोसी विधानसभा रायपुर के विधायक उमेश काऊ इस पुल निर्माण के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर से विधायक के कुछ संदेह रहे होंगे जिस पर उन्हें जानकारी नहीं होगी यही वजह है कि उनके द्वारा अपनी कोई बात रखी गई है और निश्चित तौर से उनकी जो बात है या फिर उनका जो संदेह है उसका समाधान कर दिया जाएगा वह हमारे अपने विधायक हैं। उन्होंने कहा कि विधायक उमेश को क्या संदेह है यह वही स्पष्ट तौर पर बता सकते हैं उनके द्वारा जनता की मांग को देखते हुए लगातार लंबे समय से पुल की मांग की जा रही थी और दीप नगर वाला इलाका उनकी तरफ है। उन्होंने कहा कि वहां पर चार दुकानें जो कि अतिक्रमण के जरिए यहां पर बनाई गई है वह भी यहां से हटाई जा रही है और निश्चित तौर से उन्हें अगर बाद में जगह बचेगी तो वहां पर दी जाएगी और यह पूरी तरह से उनकी विधानसभा का विषय है। उन्होंने कहा कि सामने रायपुर विधानसभा का जो हिस्सा आता है जिसमें उमेश विधायक है वहां पर किसी तरह का कोई ना तो अतिक्रमण है ना किसी तरह की कोई बाधा है। वहीं दूसरी तरफ दीपनगर हरे पुल का काम रुकवाने वाले रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ से भी हमने उनका पक्ष लेने की कोशिश की जिस पर उन्होंने वीडियो बाइट देने से तो इंकार कर दिया लेकिन फोन पर बताया कि वह विकास के लिए विनाश नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि यह पल 2013-14 में रायपुर विधानसभा के लिए स्वीकृत हुआ था और उसमें इसका बजट 1 करोड़ 90 लाख था लेकिन आज इस पुल का निर्माण 3.5 तीन करोड रुपए खर्च करके किया जा रहा है। दीपनगर से इसे केदारपुरम उनकी विधानसभा से जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है तो क्या उन्हें नहीं पूछा जाएगा। इसके अलावा दोस्तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी जेब से 10 लख रुपए खर्च करके पूर्व का पुल निर्माण किया था और निर्माण एजेंसी द्वारा उस लोहे को पुल को उठा ले गए बिना उनकी संस्तुति के, इसके अलावा उन्होंने बताया कि निर्माण एजेंसी द्वारा सारा गंदा पानी मंदिर में छोड़ा गया है, उन्होंने कहा कि PWD द्वारा बनाए गए पुश्तों की वजह से बहुत नुकसान हो गया हैं। इसके अलावा पुल से आगे 12 फुट का रास्ता है और इतना बड़ा पुल बनाने की क्या जरूरत है। दोस्तो, दीपनगर हरे पुल के निर्माण को लेकर बीजेपी के दो विधायकों के बीच जारी तनातनी ने न सिर्फ स्थानीय जनता को उलझन में डाल दिया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि विकास कार्यों में पारदर्शिता और समन्वय कितना है। अब देखना ये होगा कि दोनों विधायकों के बीच विवाद का समाधान कैसे निकलता है और इस ऐतिहासिक पुल का निर्माण कब पूरा होता है।