अतिक्रमण पर ये बवाल कैसा ?।Dehradun News | Uttarakhand News

Share

अतिक्रमण पर ये बवाल कैसा? जी हां दोस्तो ऋषिकेश में उस वक़्त हड़कंप मच गया, जब एम्स के पास अतिक्रमण हटाने पहुंची पुलिस और नगर निगम की टीम को कुछ ऐसा सामना करना पड़ा, जिसकी किसी ने उम्मीद तक नहीं की थी। गरम खाने से लेकर पत्थर तक, तवा और बर्तन हवा में लहराते रहे, और सड़क पर उतर आया विरोध का उबाल। तो दोस्तो ये हंगामा क्या वाकई ये सिर्फ़ रोज़ी-रोटी बचाने की लड़ाई थी, या फिर प्रशासन की कार्रवाई में था कोई पक्षपात? सड़क पर गर्म खाना क्यों उछला? और महिलाएं क्यों अड़ गईं जेसीबी के सामने? हंगामे के बीच कौन चुप रहा और किसे ले जाया गया कोतवाली? ये पूरी घटना। कैमरे की नज़रों में क़ैद हुई है, तस्वीरें आपको हैरान भी करेंगी और सोचने पर मजबूर भी। ऋषिकेश एम्स के पास अतिक्रमण हटाने पहुंची नगर निगम और पुलिस टीम को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। ये विरोध इतना उग्र हो गया कि कुछ महिलाओं ने अपनी ठेलियों से भरा गरम खाना पुलिस व निगम कर्मियों पर फेंक दिया, मौके पर अफरातफरी मच गई। इस दौरान महिलाएं तवा, बर्तन और पत्थर लेकर जेसीबी के आगे खड़ी हो गईं। पुलिस को पांच महिलाओं सहित एक युवक को हिरासत में लेना पड़ा। दोस्तो ये तस्वीरें शिवाजी नगर तिराहे की है, जो ऋषिकेश एम्स के पास है ये इलाका नगर निगम द्वारा ‘जीरो जोन’ घोषित किया गया है, यानी यहां किसी भी प्रकार की दुकान, ठेली, या स्थायी-अस्थायी निर्माण की अनुमति नहीं है।

प्रशासन का कहना है कि इस क्षेत्र में आने-जाने वाले मरीजों और एंबुलेंस की सुविधा के लिए यह प्रतिबंध जरूरी है। इसके सात नगर निगम और पुलिस का कहना है कि कई बार मुनादी और नोटिस देने के बावजूद अतिक्रमण नहीं हटाया गया। मजबूरी में जब कार्रवाई शुरू हुई, तो हालात बिगड़ गए। दोस्तो इस अभियान के दौरान जब नगर निगम की जेसीबी ने एक महिला की ठेली हटाई, तो वहां मौजूद महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कुछ महिलाओं ने गुस्से में पतीले से गरम खाना निकाला और पुलिस व नगर निगम के कर्मचारियों पर फेंक दिया। सौभाग्यवश खाना अधिक गर्म नहीं था, जिससे कोई गंभीर रूप से झुलसा नहीं, लेकिन एक दरोगा की वर्दी और निगमकर्मी के कपड़े जरूर गंदे हो गए। विरोध कर रही महिलाओं ने तवा, बर्तन और पत्थर उठाकर जेसीबी के सामने प्रदर्शन शुरू कर दिया। कुछ महिलाएं जेसीबी के सामने लेट गईं और चालक को धमकाती भी दिखाई दी। हालात जब बेकाबू होते दिखे, तो पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। पांच महिलाओं और एक युवक को हिरासत में लेकर कोतवाली लाया गया। हालांकि, इसके बाद कोतवाली के बाहर भी तनाव बढ़ गया, जब महिलाओं के समर्थन में कुछ स्थानीय लोग वहां पहुंच गए और पुलिस कार्रवाई का विरोध करने लगे।

दोस्तो ये भी बता दूं कि विरोध करने वाली महिलाओं का कहना है कि प्रशासन चुनिंदा दुकानदारों और ठेली वालों पर ही कार्रवाई कर रहा है। एक महिला ने बताया, हम सालों से यहां रोज़गार कर रहे हैं। ठेली लगाकर बच्चों का पेट पालते हैं, लेकिन हर बार हमें ही हटाया जाता है, जबकि कुछ लोग पैसे देकर आराम से बैठे हैं। ये दोहरी नीति क्यों?एक और महिला ने कहा, हमको हटाया जा रहा है, लेकिन सामने की दुकानें जस की तस हैं। आखिर कौन तय करता है कि अतिक्रमण कौन है और कौन नहीं? ऋषिकेश नगर निगम के एक अधिकारी ने साफ कहा, यह इलाका जीरो जोन में आता है। पहले भी अतिक्रमण हटाने को लेकर मुनादी की गई थी। हमने बार-बार चेतावनी दी। अब कार्रवाई हो रही है, तो विरोध हो रहा है। कानून सबके लिए बराबर है। उधर पुलिस अधिकारी ने बताया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हमें कुछ लोगों को हिरासत में लेना पड़ा। हमने बल प्रयोग नहीं किया, लेकिन हालात संभालने जरूरी थे। दोस्तो इस घटना के बाद शहर में राजनीतिक माहौल भी गरमा गया, कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने पुलिस की कार्रवाई को कठघरे में खड़ा किया है। उनका कहना है कि आम लोगों को रोज़गार से हटाने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए थी। वहीं, कुछ सामाजिक संगठनों ने कहा कि एम्स जैसे संस्थान के पास अतिक्रमण व यातायात बाधा शहर की छवि खराब करता है और आपातकालीन सेवाओं को भी प्रभावित करता है।

दोस्तो इस घटना ने प्रशासनिक सख्ती और आम जनता की रोज़मर्रा की मजबूरी के बीच टकराव को एक बार फिर उजागर किया है। एक तरफ कानून का पालन जरूरी है, खासकर जब बात आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की हो; लेकिन दूसरी ओर, गरीब तबके की आजीविका का सवाल भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। क्या अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ इन महिलाओं को वैकल्पिक स्थान या बाजार देने की योजना नहीं बननी चाहिए? क्या प्रशासन और नागरिकों के बीच संवाद की खाई इतनी गहरी हो गई है कि समाधान सिर्फ टकराव से निकलता है?ऋषिकेश की यह घटना सिर्फ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह उस बड़ी सामाजिक सच्चाई की झलक भी है, जहां कानून और ज़रूरतें आमने-सामने खड़ी होती हैं। प्रशासन को सख्ती दिखानी पड़ी, तो महिलाओं को अपनी रोटी की लड़ाई में गरम तवा उठाना पड़ा। फिलहाल, मामला पूरी तरह शांत नहीं है। पुलिस का कहना है कि आगे भी अभियान जारी रहेगा, जबकि स्थानीय लोग विरोध की रणनीति बना रहे हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि दोनों पक्ष बैठकर हल निकालें — ताकि शहर की व्यवस्था भी सुधरे और किसी का चूल्हा भी न बुझे।